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बीजेपी सांसद गणेश सिंह के खिलाफ लोगों की नाराजगी, क्या मोदी फैक्टर का मिलेगा फायदा? - महामुकाबला

सतना में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है. हालांकि बीजेपी सांसद गणेश सिंह एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रहे हैं, जिससे कांग्रेस के पक्ष में नतीजा जा सकता है.

बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला
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Published : May 21, 2019, 5:02 PM IST

Updated : May 21, 2019, 7:49 PM IST

सतना। 2014 के मुकाबले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला नजर आ रहा है. जिले में 15 साल से सांसद रहे बीजेपी के गणेश सिंह का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी से है. गणेश सिंह को लेकर एंटी इनकंबेंसी का फायदा राजाराम त्रिपाठी को मिलता दिख रहा है. इस सीट से कौन विजयी होगा, ये तो 23 मई को ही पता चलेगा.

अशोक शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार, सतना


जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं. इन सातों विधानसभा सीटों में से 5 विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है, तो वहीं 2 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. इस लोकसभा चुनाव में 15 साल से बीजेपी के सांसद गणेश सिंह के खिलाफ लोगों का आक्रोश देखने को मिल रहा है. इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
वरिष्ठ पत्रकार अशोक शुक्ला ने बताया कि जिले में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला है. उन्होंने बताया कि यहां के सांसद गणेश सिंह के खिलाफ 15 वर्षों का जन आक्रोश है. यह देखना होगा कि यह आक्रोश मोदी फैक्टर को कितना प्रभावित करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि जाति समीकरण भी इस चुनाव में साफ नजर आ रहा है जिसका फायदा कांग्रेस के पक्ष में जाता दिख रहा है.
जिले के 7 विधानसभा सीटों में से रैगांव, नागौद, अमरपाटन इन तीन सीटों में बीजेपी की बढ़त नजर आ रही है, तो वहीं रामपुर, सतना, चित्रकूट इन तीन सीटों पर कांग्रेस की बढ़त नजर आ रही है. सतना जिले की सबसे अहम सीट मैहर विधानसभा है, जहां पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.

सतना। 2014 के मुकाबले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला नजर आ रहा है. जिले में 15 साल से सांसद रहे बीजेपी के गणेश सिंह का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी से है. गणेश सिंह को लेकर एंटी इनकंबेंसी का फायदा राजाराम त्रिपाठी को मिलता दिख रहा है. इस सीट से कौन विजयी होगा, ये तो 23 मई को ही पता चलेगा.

अशोक शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार, सतना


जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं. इन सातों विधानसभा सीटों में से 5 विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है, तो वहीं 2 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. इस लोकसभा चुनाव में 15 साल से बीजेपी के सांसद गणेश सिंह के खिलाफ लोगों का आक्रोश देखने को मिल रहा है. इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
वरिष्ठ पत्रकार अशोक शुक्ला ने बताया कि जिले में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार मुकाबला है. उन्होंने बताया कि यहां के सांसद गणेश सिंह के खिलाफ 15 वर्षों का जन आक्रोश है. यह देखना होगा कि यह आक्रोश मोदी फैक्टर को कितना प्रभावित करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि जाति समीकरण भी इस चुनाव में साफ नजर आ रहा है जिसका फायदा कांग्रेस के पक्ष में जाता दिख रहा है.
जिले के 7 विधानसभा सीटों में से रैगांव, नागौद, अमरपाटन इन तीन सीटों में बीजेपी की बढ़त नजर आ रही है, तो वहीं रामपुर, सतना, चित्रकूट इन तीन सीटों पर कांग्रेस की बढ़त नजर आ रही है. सतना जिले की सबसे अहम सीट मैहर विधानसभा है, जहां पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.

Intro:सतना लोकसभा सीट में 2014 के मुकाबले 2019 के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में जोरदार टक्कर नजर आ रही । एक और बीजेपी में मोदी फैक्टर का असर सतना जिले में दिख रहा है । तो वही सतना में 15 साल के भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह के एंटी इनकंबेंसी भी कम नहीं है । तो दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी भी इस मुकाबले में कमजोर नहीं है । राज्य में सरकार कहीं ना कहीं गणेश सिंह के एंटी इनकंबेंसी का फायदा राजाराम त्रिपाठी को मिल रहा है । देखने वाली बात तो यह होगी इस लोकसभा सीट का ताज किसके सर होगा । यह तो आने वाले 23 तारीख के परिणाम ही तय करेंगे ।


Body:सतना जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं । इन सातों विधानसभा सीटों में 5 विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है वहीं 2 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है । इस लोकसभा चुनाव में 15 साल से भाजपा के सांसद गणेश सिंह पर विकास के नाम पर लोगों के अंदर जन आक्रोश देखने को मिला है। यही वजह है कि गणेश सिंह को एंटी इनकंबेंसी का सामना इस लोकसभा चुनाव में करना पड़ा । वहीं गणेश सिंह के इन एंटी इनकंबेंसी और जन आक्रोश में मोदी फैक्टर कितना प्रभावी होता है यह तो देखने वाली बात होगी । कहीं ना कहीं जिलेभर में मोदी फैक्टर सबसे अधिक प्रभावी नजर आ रहा है । तो वही इस मोदी फैक्टर का गणेश सिंह पर कितना प्रभावी होगा यह तो देखने वाली बात है ।
आपको बता दे सतना जिले की राजनीति का सबसे अहम मुद्दा जातिगत समीकरण है जिसके तहत सतना की राजनीति का बोलबाला होता है । वहीं इसी जाति समीकरण के चलते कांग्रेस ने भी 42 साल बाद ब्राह्मण प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी को चुना है । सतना जिला ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है । कहीं ना कहीं गणेश सिंह का लोगों पर जन आक्रोश का मुनाफा कांग्रेस को मिल सकता है । साथ ही आज भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह की स्थिति सिर्फ मोदी फैक्टर पर टिकी हुई है । खुद के फैक्टर पर गणेश सिंह जनता पर हावी नहीं दिख रहे हैं । राज्य में कांग्रेस की सरकार कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी को मुनाफा का आसार दिख रहा है ।
सतना जिले के 7 विधानसभा सीटों में रैगांव नागौद अमरपाटन इन 3 सीटों में बीजेपी की बढ़त नजर आ रही है । तो वही रामपुर सतना चित्रकूट इन 3 सीटों पर कांग्रेस की बढ़त नजर आ रही है । सतना जिले की सबसे अहम सीट मैहर विधानसभा है जो कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी इसका परिणाम कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह राहुल को झेलना पड़ा था जहां से पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था । इस बार भी मैहर विधानसभा क्षेत्र दोनों ही पार्टी के लिए एक कड़ा मुकाबला माना जा रहा है । इस लोकसभा चुनाव में दोनों ही पार्टी में कांटे की टक्कर का सामना देखने को मिल रहा है ।
फिलहाल दोनों ही पार्टी में अभी तक कांग्रेस प्रत्याशी की बढ़त नजर आ रही है। और इसका परिणाम आने वाली 23 तारीख को आप सभी के सामने होगा ।


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अशोक शुक्ला --- वरिष्ठ पत्रकार सतना ।
Last Updated : May 21, 2019, 7:49 PM IST
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