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रजिस्टर में एक छात्र, मौजूदगी शून्य, फिर भी सरकारी स्कूल में पदस्थ हैं दो-दो शिक्षक

एमपी अजब है सबसे गजब है. एमपी से अमूमन ऐसे मामले सामने आते हैं, जो लोगों को या तो हैरत में डाल देते हैं या फिर चौंका देते हैं. ताजा मामला भी कुछ इसी तरह का है, जिसमें शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर हुई है. जहां सरकारी स्कूल के रजिस्टर में सिर्फ एक छात्र का नाम दर्ज है, जोकि निजी स्कूल में पढ़ने जाता है. वहीं इस स्कूल में दो शिक्षक पदस्थ हैं, जो दिन भर बैठकर कुर्सी तोड़ रहे हैं.

बिना छात्रों के संचालित हो रहा सरकारी स्कूल
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Published : Sep 28, 2019, 10:52 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 2:09 PM IST

सतना। सुनसान स्कूल भवन, कमरों के दरवाजों पर लटके ताले, खाली बैठे दो शिक्षक और छात्रों की संख्या शून्य. ये तस्वीर है सरकारी स्कूल की. सतना जिले के उचेहरा तहसील में आने वाले सरकारी स्कूल गोवराओखुर्द की बदहाली शिक्षा विभाग की लापरवाही की कहानी बयां कर रहा है. स्कूल में पदस्थ दो शिक्षक सरकारी तनख्वाह लेकर भी दिन भर फ्री बैठे रहते हैं क्योंकि स्कूल में छात्रों की संख्या सिर्फ एक है, वो छात्र भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाता है.

बिना छात्रों के संचालित हो रहा सरकारी स्कूल

1970 से संचालित हो रहे इस स्कूल में एक वक्त छात्रों की संख्या 50 के ऊपर रहती थी, लेकिन इस वर्ष स्कूल में एक भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया. पिछले माह जब महिला शिक्षक कविता सिंह का स्कूल में ट्रांसफर हुआ तो उन्होंने खुद के बेटे का नाम स्कूल के रजिस्टर में दर्ज कर लिया, जबकि शिक्षिका का बेटा भी पढ़ने प्राइवेट स्कूल में ही जाता है. जिसके चलते स्कूल में फ्री बैठकर दोनों शिक्षक अमृतलाल चौधरी और कविता सिंह दिन निकाल देते हैं.

स्कूल में पिछले साल सिर्फ दो ही छात्र मौजूद थे, जबकि इस साल तो हाल और भी बुरा है. आरोप है कि महिला शिक्षक कविता सिंह का गोवराओखुर्द में मायका है, इसलिए उन्होंने अपना ट्रांसफर यहां करा लिया. स्कूल में छात्रों के लिए रसोईघर से लेकर शौचालय तक सब कुछ बनाया गया है, लेकिन छात्रों की कमी के चलते सब खंडहर में तब्दील हो रहा है. इस मामले में शिक्षकों ने भी अपनी दलील दी है. स्कूल की बदहाली पर जिला शिक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत को जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है.

हैरानी की बात ये है कि हर वर्ष शिक्षा विभाग में स्कूल की पूरी जानकारी जाती है. इसके बाद भी विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. स्कूल में छात्रों से ज्यादा शिक्षक हैं, पर जहां शिक्षकों की जरूरत है, वहां छात्र परेशान हो रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में जल्द कार्रवाई करे.

सतना। सुनसान स्कूल भवन, कमरों के दरवाजों पर लटके ताले, खाली बैठे दो शिक्षक और छात्रों की संख्या शून्य. ये तस्वीर है सरकारी स्कूल की. सतना जिले के उचेहरा तहसील में आने वाले सरकारी स्कूल गोवराओखुर्द की बदहाली शिक्षा विभाग की लापरवाही की कहानी बयां कर रहा है. स्कूल में पदस्थ दो शिक्षक सरकारी तनख्वाह लेकर भी दिन भर फ्री बैठे रहते हैं क्योंकि स्कूल में छात्रों की संख्या सिर्फ एक है, वो छात्र भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाता है.

बिना छात्रों के संचालित हो रहा सरकारी स्कूल

1970 से संचालित हो रहे इस स्कूल में एक वक्त छात्रों की संख्या 50 के ऊपर रहती थी, लेकिन इस वर्ष स्कूल में एक भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया. पिछले माह जब महिला शिक्षक कविता सिंह का स्कूल में ट्रांसफर हुआ तो उन्होंने खुद के बेटे का नाम स्कूल के रजिस्टर में दर्ज कर लिया, जबकि शिक्षिका का बेटा भी पढ़ने प्राइवेट स्कूल में ही जाता है. जिसके चलते स्कूल में फ्री बैठकर दोनों शिक्षक अमृतलाल चौधरी और कविता सिंह दिन निकाल देते हैं.

स्कूल में पिछले साल सिर्फ दो ही छात्र मौजूद थे, जबकि इस साल तो हाल और भी बुरा है. आरोप है कि महिला शिक्षक कविता सिंह का गोवराओखुर्द में मायका है, इसलिए उन्होंने अपना ट्रांसफर यहां करा लिया. स्कूल में छात्रों के लिए रसोईघर से लेकर शौचालय तक सब कुछ बनाया गया है, लेकिन छात्रों की कमी के चलते सब खंडहर में तब्दील हो रहा है. इस मामले में शिक्षकों ने भी अपनी दलील दी है. स्कूल की बदहाली पर जिला शिक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत को जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है.

हैरानी की बात ये है कि हर वर्ष शिक्षा विभाग में स्कूल की पूरी जानकारी जाती है. इसके बाद भी विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. स्कूल में छात्रों से ज्यादा शिक्षक हैं, पर जहां शिक्षकों की जरूरत है, वहां छात्र परेशान हो रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में जल्द कार्रवाई करे.

Intro:एंकर --
मध्यप्रदेश में सरकार बदलते ही सरकारी विभागों में तबादले की रफ्तार खरगोश से तेज होने लगी. यही वजह है कि सरकारी दफ्तर के अधिकारी कर्मचारियों को मनमानी जगह पर भेज दिया गया. जहां सरकारी दफ्तर के अधिकारी कर्मचारी अपने मन के मुताबिक नौकरी कर रहे हैं और शासन के पैसे का आराम से लुफ्त उठा रहे हैं. ऐसा ही हाल सतना जिले के शिक्षा विभाग का है जहां मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जिलेभर में ट्रांसफर उद्योग चलाया गया. और हर शिक्षक अपनी मनमानी जगह पर ट्रांसफर कर दिया गया. जी हां हम बात कर रहे हैं सतना जिले के उचेहरा तहसील के गोवराओखुर्द के प्राथमिक शाला की जहां विद्यालय में इस वर्ष एक भी छात्र नहीं था लेकिन गत वर्ष अगस्त में महिला शिक्षक का ट्रांसफर कर दिया गया जिसने विद्यालय के रजिस्टर में अपने ही बेटे का नाम दर्ज कर लिया और विद्यालय खोलकर शिक्षक और शिक्षिका दोनों पूरा दिन बैठकर अपना पूरा समय आराम से व्यतीत करते हैं. विद्यालय में नाम मात्र का सिर्फ एक ही छात्र का ना मौजूदा समय में दर्ज है. पिछले वर्ष भी विद्यालय में मात्र दो ही छात्र थे. ऐसे में शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही सामने आ रही है जहां महिला शिक्षक को उसके मायके वाले स्थान में ही ट्रांसफर कर दिया गया और वह आराम से विद्यालय में बैठकर पूरा समय फालतू व्यतीत करती हैं ।


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सतना जिले के उचेहरा तहसील के गोवराओखुर्द कि शासकीय प्राथमिक विद्यालय जहां पर विद्यालय में केवल एक ही छात्र का नाम रजिस्टर में दर्ज है. वह छात्र गत वर्ष विद्यालय में ट्रांसफर होकर आई शिक्षिका का बेटा है जोकि केजी वन नाम दर्ज है. यह विद्यालय सन 1970 से संचालित है. इसमें 2 शिक्षक पदस्थ हैं अमृतलाल चौधरी सहायक शिक्षक और कविता सिंह प्राथमिक शिक्षक पदस्थ है.जो वर्तमान समय में 17 अगस्त 2019 को ट्रांसफर होकर अपने मायके क्षेत्र गोवराओखुर्द गांव में आई. इस विद्यालय में शिक्षिका कविता सिंह का छात्र का छात्र कभी विद्यालय नहीं आता. विद्यालय में सुबह से शाम तक बैठकर शिक्षक और शिक्षिका दोनों अपना पूरा दिन फालतू व्यतीत करते हैं. यह मानव की शासन के पैसे का मुफ्त में लुफ्त उठा रहे हैं. शिक्षिका अपना ट्रांसफर गोवराओखुर्द अपने मायके मैं करवा लिया है. जिससे कि उसे पूरा दिन आराम से काटने में कोई दिक्कत ना हो. इससे साफ तौर से नजर आ रहा है कि शासन के पैसों का कैसे दुरुपयोग हो रहा है.गोवराओखुर्द मैं विद्यालय तो है. विद्यालय के लिए विद्यालय भवन रसोईघर शौचालय सभी बनाए गए हैं जो यहां पर छात्र ना होने की वजह से खंडहर में तब्दील होने की कगार पर है. इसमें शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही सामने आ रही है. सतना जिले की सैकड़ों ऐसे विद्यालय हैं. जहां पर शिक्षक को पर्याप्त हैं लेकिन छात्रों की संख्या नाम मात्र की है. वहीं जिले में हजारों विद्यालय ऐसे हैं जहां आज भी छात्र तो है लेकिन शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी है. बावजूद इसके शिक्षा विभाग मौन बैठा हुआ है.गोवराओखुर्द विद्यालय की जानकारी हर वर्ष शिक्षा विभाग में दर्ज कराई जाती है लेकिन जानकारी होने के बावजूद भी शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. ऐसे में "कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया". इस विद्यालय में वर्ष 2016 में 11 छात्र अध्ययनरत थे. 2017 में 8 छात्र अध्ययनरत थे. वर्ष 2018 में 2 छात्र अध्ययनरत थे. और वर्तमान समय में एक ही छात्र कार्तिकेय सिंह नाम का केजी वन नाम दर्ज है जोकि इसी विद्यालय में पत्र शिक्षिका का बेटा है.
स्थानीय लोगों की मानें तो विद्यालय में वर्तमान समय में पदस्थ शिक्षिका के बेटे का नाम केवल रजिस्टर में ही दर्ज है. जबकि उसका छात्र प्राइवेट विद्यालय में अध्ययनरत है. स्थानीय लोग भी शिक्षा विभाग की लापरवाही पर सवाल खड़े कर रहे हैं ।

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इस बारे में जब सतना ईटीवी भारत द्वारा मामले को जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह के संज्ञान में लाया गया. तो उन्होंने बताया कि ये मामला आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है. जल्द ही इसमें नोटिस जारी कर विद्यालय को बंद किया जाएगा और जिन विद्यालय में शिक्षकों की कमी है उसमें इनको भेजा जाएगा. जिलेभर में ऐसे जितने विद्यालय हैं जिनको चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी ।



Conclusion:byte --
अमृतलाल चौधरी -- सहायक शिक्षक शा.विद्यालय गोवराओखुर्द सतना ।
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रावेंद्र सिंह -- स्थानीय निवासी गोवराओखुर्द ।
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टी.पी. सिंह -- जिला शिक्षा अधिकारी सतना ।
Last Updated : Sep 28, 2019, 2:09 PM IST
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