सतना। सुनसान स्कूल भवन, कमरों के दरवाजों पर लटके ताले, खाली बैठे दो शिक्षक और छात्रों की संख्या शून्य. ये तस्वीर है सरकारी स्कूल की. सतना जिले के उचेहरा तहसील में आने वाले सरकारी स्कूल गोवराओखुर्द की बदहाली शिक्षा विभाग की लापरवाही की कहानी बयां कर रहा है. स्कूल में पदस्थ दो शिक्षक सरकारी तनख्वाह लेकर भी दिन भर फ्री बैठे रहते हैं क्योंकि स्कूल में छात्रों की संख्या सिर्फ एक है, वो छात्र भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाता है.
1970 से संचालित हो रहे इस स्कूल में एक वक्त छात्रों की संख्या 50 के ऊपर रहती थी, लेकिन इस वर्ष स्कूल में एक भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया. पिछले माह जब महिला शिक्षक कविता सिंह का स्कूल में ट्रांसफर हुआ तो उन्होंने खुद के बेटे का नाम स्कूल के रजिस्टर में दर्ज कर लिया, जबकि शिक्षिका का बेटा भी पढ़ने प्राइवेट स्कूल में ही जाता है. जिसके चलते स्कूल में फ्री बैठकर दोनों शिक्षक अमृतलाल चौधरी और कविता सिंह दिन निकाल देते हैं.
स्कूल में पिछले साल सिर्फ दो ही छात्र मौजूद थे, जबकि इस साल तो हाल और भी बुरा है. आरोप है कि महिला शिक्षक कविता सिंह का गोवराओखुर्द में मायका है, इसलिए उन्होंने अपना ट्रांसफर यहां करा लिया. स्कूल में छात्रों के लिए रसोईघर से लेकर शौचालय तक सब कुछ बनाया गया है, लेकिन छात्रों की कमी के चलते सब खंडहर में तब्दील हो रहा है. इस मामले में शिक्षकों ने भी अपनी दलील दी है. स्कूल की बदहाली पर जिला शिक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत को जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है.
हैरानी की बात ये है कि हर वर्ष शिक्षा विभाग में स्कूल की पूरी जानकारी जाती है. इसके बाद भी विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. स्कूल में छात्रों से ज्यादा शिक्षक हैं, पर जहां शिक्षकों की जरूरत है, वहां छात्र परेशान हो रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में जल्द कार्रवाई करे.