सतना। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को सतना अल्प प्रवास पर पहुंचे थे. जहां चुनावी सभा में शामिल हुए और सभा में शामिल होने के बाद मोदी ने मंच से अपने उद्बोधन के पहले नल तरंग की प्रस्तुति सुनी. मैहर बाबा अलाउद्दीन खान की नींव हैं. जिसे हाल में ही G20 में शामिल किया गया था. लाल तरंग बजाने वाली कलाकार ज्योति चौधरी को मोदी ने मंच से नल तरंग बजाने के लिए आमंत्रित किया. नल तरंग को सुनने के बाद जनसभा को पीएम मोदी ने संबोधित किया.
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सतना की जनसभा में ज्योति जी की संगीत प्रस्तुति ने मंत्रमुग्ध कर दिया। pic.twitter.com/Vt6P53UqjJ
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पीएम मोदी ने सुना नल तरंग: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैहर जिले के पद्म विभूषण बाबा अलाउद्दीन खान के द्वारा रखी गई नींव को सबसे पहली प्राथमिकता दी. बाबा अलाउद्दीन खा संगीत के गुरु माने जाते हैं. मैहर दो ही नाम से जाना जाता है, एक मैहर मां शारदा देवी तो दूसरा पद्म विभूषण बाबा अलाउद्दीन खान के नाम से जाना जाता है. बाबा अलाउद्दीन खान ने बंदूक की नाल से बनाए गए नल तरंग की शुरुआत की थी. जिसको करीब 107 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इस नल तरंग को बजाने वाली कलाकार ज्योति चौधरी को पीएम मोदी ने मंच से सबसे पहले नाल तरंग की प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया. ज्योति चौधरी और उनके सहयोगी द्वारा नल तरंग की यह पूरी प्रस्तुति दी गई. पीएम मोदी ने मंच में बैठकर नल तरंग की प्रस्तुति को देखा और सुना. उन्होंने इसका गुणगान भी किया.
10 वर्षों से नल तरंग बजा रहीं ज्योति: इस बारे में नल तरंग को बजाने वाली कलाकार ज्योति चौधरी ने बताया कि करीब 10 वर्षों से वह इस नाल तरंग को बजा रही हैं. ज्योति चौधरी को अपने पिता से इसकी प्रेरणा मिली थी. उनके पिता संगीत के सभी वाद्य यंत्र बनाया करते थे. जिसे देखकर वह प्रेरित हुईं. उन्होंने धीरे-धीरे इसको बजाने की शुरुआत की और आज वह इस नल तरंग को बजा रही हैं. यह नल तरंग बंदूक की नाल से बनाया गया है.
G20 में भी बजाया था नलतरंग सम्मानित: हाल में ही G20 में उन्हें सम्मानित किया गया था और आज पीएम मोदी ने फिर मंच में अपना उद्बोधन शुरू करने से पहले उनकी प्रशंसा की. उनके नल तरंग की प्रस्तुति को सुना और देखा. उन्होंने इसे अपना सौभाग्य बताया और पीएम मोदी को धन्यवाद ज्ञापित किया. वहीं बाबा अलाउद्दीन खां के बारे में तबला वादक रोहित कुमार ने भी इसकी पूरी जानकारी दी. कौन थे बाबा अलाउद्दीन खां.
मैहर की पहचान अलाउद्दीन खां: अलाउद्दीन खां मैहर की पहचान हैं. उन्होंने यहां से ही शास्त्रीय संगीत को सीखा. बहुत सारे लोगों ने उनके माध्यम से सीखा और अलग-अलग मुकाम शास्त्रीय संगीत के माध्यम से हासिल किया. आपको बता दें बाबा अलाउद्दीन खां किसी परिचय के मोहताज नहीं है. मैहर दो बातों के लिए मशहूर माना जाता है. जिसमें विश्व प्रसिद्ध मैहर मां शारदा देवी का धाम और पद्म विभूषण उस्ताद बाबा अलाउद्दीन खां की कर्मभूमि के रूप में इसे जाना जाता है.
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कौन हैं अलाउद्दीन खां: बाबा अलाउद्दीन खान का जन्म सन 1862 में पूर्वी बंगाल में हुआ था, जो कि आज बांग्लादेश में है. मैहर में बाबा अलाउद्दीन खां एक बड़ी उपलब्धि माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां पर बाबा की रूह बसती है. बाबा अलाउद्दीन 200 से अधिक भारतीय और पश्चिमी वाद्य बजाते थे. जिसमें सबसे ज्यादा बजाने जाने वाले सरोद, सितार वादन और अपनी ध्रुपद गायकी के लिए प्रसिद्ध थे. बाबा मियां तानसेन की शिष्य परंपरा के अंग थे. उन्हें कई मशहूर शिष्य जैसे पंडित रविशंकर और अली अकबर खान जैसे कलाकार मिले. मैहर वाद्य वृंद अपनी तरह का एक अनूठा आर्केस्ट्रा है. बाबा ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के साथ साथ पश्चिमी शास्त्रीय संगीत भी सीखा था. उन्होंने बंदूक की नाल से एक अनूठे वाद्य नलतरंग का आविष्कार किया. जो आज भी अलाउद्दीन खां बाबा की अकादमी में मौजूद है. इन्होंने अलाउद्दीन खां भारतीय संगीत के सबसे बड़े घरानों में से एक मैहर घराने की नींव रखी थी.