सतना। कोरोना वायरस से जारी जंग में पूरे देश में लगातार लॉकडाउन बढ़ाया जा रहा है. ऐसे में दूसरे राज्यों से अपने राज्यों के लिए पैदल ही सफर तय कर रहे मजदूरों की कहानियां इन दिनों सुर्खियों में हैं. इस दौरान उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करते हुए भूखे-प्यासे हजारों मील का सफर तय करना पड़ रहा हैं. लेकिन अब एक नजर सतना के उचेहरा स्वास्थ्य केंद्र के वॉर्ड में नवजात के साथ लेटी इस महिला पर भी डालिए, जिसकी कहानी सिहरन पैदा करती है.
सतना के उचेहरा तहसील के खोखर्रा वेलहाई की रहने वाली आदिवासी महिला शकुंतला गर्भावस्था में भी अपने घर के लिए परिवार संग पैदल ही रवाना हो गई. करीब 70 किलोमीटर पैदल सफर तय करने के बाद शकुंतला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया. जिसके बाद भी शकुंतला ने हार नहीं मानी और महज दो-तीन घंटे आराम करने के बाद एक फिर हिम्मत जुटाकर अपने परिवार के साथ पैदल ही 150 किलोमीटर का सफर तय कर महाराष्ट्र के बिजासन बॉर्डर पर पहुंची.
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सरकारी दावों की पोल खोलती सतना से एक प्रवासी दंपति की कहानी सामने आई हैं. ये मजदूर दंपति काम के सिलसिले में नासिक गए थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण वहीं फंसे रह गए और वापस आने के लिए कोई साधन नहीं मिलने पर गर्भावस्था के नौंवे महीने में भी नासिक से घर के लिए पैदल निकल पड़ी. बता दें, महिला को लगभग 70 किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर स्थित पिंपलगांव पर प्रसव पीड़ा शुरू हो गई, जिसके बाद रास्ते मे ही चार साथी महिलाओं की मदद से शकुंतला ने नवजात बच्ची को जन्म दिया.
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डिलीवरी के बाद नवजात को लेकर शकुंतला को 150 किलोमीटर का पैदल लंबा सफर तय करना पड़ा. जानकारी के मुताबिक बीते शनिवार को शकुंतला बिजासन बॉर्डर पर पहुंची थी. उसके गोद में नवजात बच्चे को देख चेक-पोस्ट की इंचार्ज कविता कनेश उसके पास जांच के लिए पहुंची. जहांं महिला ने कहा कि अब वो पैदल नहीं चल सकती है. इसके बाद शकुंतला और उसके साथ के सभी लोगों को एक कॉलेज में रोका गया.
शकुंतला ने बताया कि उसे बॉर्डर पर महाराष्ट्र शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली. MP बॉर्डर पहुंचते ही उन्हें वाहन उपलब्ध कराया गया और उनके गृह जिले के लिए रवाना किया गया.
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शकुंतला के पति राकेश कोल ने बताया कि ये यात्रा बेहद कठिन थी, लेकिन रास्ते में मददगार भी मिले. एक सरदार परिवार ने नवजात शिशु के लिए कपड़े और आवश्यक सामान दिए. राकेश ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से नासिक में उद्योग धंधे बंद हैं, इस वजह से नौकरी चली गई. सतना जिले स्थित उचेहरा गांव तक पहुंचने के लिए पैदल जाने के सिवा उनके पास कोई और चारा नहीं था. उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था. इसिलए घर की ओर पैदल चल दिए. वो सभी जैसे ही पिंपलगांव पहुंचे, वहां पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. जिसके बाद रास्ते में ही उनके साथ आ रही महिलाओं ने उसकी डिलीवरी कराई.
हालांकि, अब ये परिवार अपने जिले एक नए मेहमान के साथ पहुंच गया है. फिलहाल महिला और नवजात दोनों अस्पताल में हैं. लॉकडाउन में ऐसी कई तस्वीरें सामने आ रही हैं, जो कहीं न कहीं प्रशासन की व्यवस्थाओं और दावों पर सवाल खड़े करती है. साथ ही ये सवाल भी कि क्या इन गरीबों के हाथों में हमेशा वादों की पुलिंदा ही थमाया जाएगा.