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मां शारदा के भक्त दूल्हा देव को लगता मदिरा का भोग, तपस्या करते- करते ले ली थी समाधि

सतना के मैहर मां शारदा की पहाड़ी के नीचे बसे दूल्हा देव मंदिर में भक्त प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाते हैं. यह परंपरा सालों से चली आ रही है.

दूल्हा देव को लोग प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं मदिरा
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Published : Oct 7, 2019, 1:50 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 3:57 PM IST

सतना। मैहर में लाखों भक्त मां शारदा के दर्शन के लिए आते हैं. वहीं मैहर पहाड़ी के नीचे दूल्हा देव का मंदिर भी स्थापित है. जहां शराब का भोग चढ़ाने की परंपरा है. शराब का भोग लगाकर भक्त उसे प्रसाद की तरह ग्रहण भी करते हैं. यह परंपरा कब और किसने शुरू की, इसकी कोइ जानकारी नहीं है. पिछले कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है.

दूल्हा देव को लोग प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं मदिरा

मैहर मां की तपस्या करते हुए दूल्हा देव ने ली थी समाधि
बताया जाता है कि दूल्हा देव ने मैहर की मां शारदा की तपस्या करते- करते समाधि ले ली थी. समाधि में लीन होने के बाद से आज तक लोग दूल्हा देव की पूजा करते हैं. मां शारदा के दर्शन करने के बाद जो भक्त दूल्हा देव के दर्शन नहीं करता है, कहा जाता है कि उसे माता के दर्शन का पूरा लाभ नहीं मिलता है.

दूल्हा देव के मंदिर में देश भर से भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, और कोई भी खाली हाथ नहीं जाता. दूल्हा देव मंदिर में इनकी एक बाउली बनाई गई है. इस वजह से दुल्हा देव प्रसिद्ध हैं. दूल्हा देव मंदिर में भक्त झूमते, नाचते-गाते हुए दिखाई देते हैं. आदिकाल पुराना यह मंदिर मैहर माता के धाम में आस्था का केंद्र माना जाता है. दूल्हा देव मंदिर में शराब के अलावा नारियल, फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि यहां जो भी भक्त आकर प्रसाद चढ़ाता है, उसे कभी दुख नहीं होता है. इस मंदिर में आने के बाद बाझन को पुत्र, निर्धन को माया मिलती है.

सतना। मैहर में लाखों भक्त मां शारदा के दर्शन के लिए आते हैं. वहीं मैहर पहाड़ी के नीचे दूल्हा देव का मंदिर भी स्थापित है. जहां शराब का भोग चढ़ाने की परंपरा है. शराब का भोग लगाकर भक्त उसे प्रसाद की तरह ग्रहण भी करते हैं. यह परंपरा कब और किसने शुरू की, इसकी कोइ जानकारी नहीं है. पिछले कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है.

दूल्हा देव को लोग प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं मदिरा

मैहर मां की तपस्या करते हुए दूल्हा देव ने ली थी समाधि
बताया जाता है कि दूल्हा देव ने मैहर की मां शारदा की तपस्या करते- करते समाधि ले ली थी. समाधि में लीन होने के बाद से आज तक लोग दूल्हा देव की पूजा करते हैं. मां शारदा के दर्शन करने के बाद जो भक्त दूल्हा देव के दर्शन नहीं करता है, कहा जाता है कि उसे माता के दर्शन का पूरा लाभ नहीं मिलता है.

दूल्हा देव के मंदिर में देश भर से भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, और कोई भी खाली हाथ नहीं जाता. दूल्हा देव मंदिर में इनकी एक बाउली बनाई गई है. इस वजह से दुल्हा देव प्रसिद्ध हैं. दूल्हा देव मंदिर में भक्त झूमते, नाचते-गाते हुए दिखाई देते हैं. आदिकाल पुराना यह मंदिर मैहर माता के धाम में आस्था का केंद्र माना जाता है. दूल्हा देव मंदिर में शराब के अलावा नारियल, फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि यहां जो भी भक्त आकर प्रसाद चढ़ाता है, उसे कभी दुख नहीं होता है. इस मंदिर में आने के बाद बाझन को पुत्र, निर्धन को माया मिलती है.

Intro:एंकर --
मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर नगरी में एक ऐसा मंदिर जहां लोग प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाते हैं.इस मंदिर को दूल्हा देव के नाम से लोग जानते हैं. सतना जिले के मैहर में बड़ी कई लाख भक्त मां शारदा के दर्शन के लिए आते हैं. मैहर पहाड़ी के नीचे दूल्हा देव का मंदिर है जहां शराब का भोग चढ़ाने की परंपरा है. शराब का भोग लगाकर भक्त उसे प्रसाद की तरह ग्रहण भी करते हैं यह परंपरा कब और किसने शुरू की इसकी किसी को जानकारी नहीं है लेकिन यह वर्षों से चली आ रही परंपरा जिसे लोग पूरा करते हैं. यहां भक्तों को कई रूप में देखा जाता है ।


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विश्व प्रसिद्ध मैहर मां शारदा की नगरी बामन शक्तिपीठों में से 1 शक्तिपीठ मानी जाती है. माना जाता है कि भगवान शिव जब माता सती का सांवली शव लेकर भटक रहे थे तब उनका हार यहां गिर गया था. माई का हर गिरने से यह स्थान माई हार हुआ जो अपभ्रंश होकर मैहर पड़ गया देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक मां शारदा देवी का मंदिर प्रकृति के मनोरम दृश्यों से घिरा हुआ है. माई शारदा त्रिकूट पर्वत के शिखर पर स्थित है जो दूर से ही भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है. वही मैहर मां शारदा के नगरी में पहाड़ी के नीचे बसा दूल्हा देव का मंदिर जहां भक्तों द्वारा दूल्हा देव को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं. कई हजारों वर्ष पुराना यह दूल्हा देव का मंदिर अपने आप में सुप्रसिद्ध मारा जाता है. कहते हैं की दूल्हा देव ने मैहर मां शारदा की तपस्या करते करते अपनी समाधि ले ली थी. समाधि में लीन होने के बाद से आज तक लोग दूल्हा देव की पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि मैहर मां शारदा के दर्शन करने के बाद जो भक्त दूल्हा देव के दर्शन नहीं करता है उसके मैहर माता के दर्शन पूरे नहीं कहलाते हैं. दूल्हा देव के दर्शन करने के बाद ही मैहर माता के दर्शन सफल माने जाते हैं ।
Vo -
पूरे देश में उज्जैन महाकाल मैं भैरव बाबा को प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है. और मैहर का दूल्हा देव मंदिर भैरव बाबा का दूसरा रूप माना जाता है. यहां भी भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाते हैं और उसे ग्रहण भी करते हैं. यहां देश भर से भक्त अपनी अपनी मनोकामना लेकर आते हैं लेकिन वह खाली हाथ नहीं जाते. दुलादेव मंदिर में इनकी एक बाउली बनाई गई है. इस वजह से दुल्हा देव प्रसिद्ध है. दूल्हा देव मंदिर में भक्त झूमते हुए नाचते हुए गाते हुए हर प्रकार से देखा जाता है. यहां सभी भक्तों की दुख कष्टों का निवारण हो जाता है. आदिकाल पुराना यह मंदिर मैहर माता मैं आस्था का केंद्र माना जाता है. दूल्हा देव मंदिर में शराब के अलावा नारियल फूल आदि प्रसाद चढ़ाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी भक्त आकर प्रसाद चलाता है उसे कभी दुख नहीं होते हैं. इस मंदिर में आने के बाद बाजन को पुत्र निर्धन को माया और अंधे को आंख मिलती है ।


Conclusion:byte --
राजेश कुमार निषाद -- भक्त दूल्हा बाबा मैहर सतना ।
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नागा बाबा संत -- भक्त दूल्हा बाबा मैहर सतना ।
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स्वामी सिंघी ऋषि महराज -- पुजारी दूल्हा बाबा मैहर सतना ।

PTC --
प्रदीप कश्यप ETV भारत संवाददाता जिला सतना ।
Last Updated : Oct 7, 2019, 3:57 PM IST
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