सतना। मैहर में लाखों भक्त मां शारदा के दर्शन के लिए आते हैं. वहीं मैहर पहाड़ी के नीचे दूल्हा देव का मंदिर भी स्थापित है. जहां शराब का भोग चढ़ाने की परंपरा है. शराब का भोग लगाकर भक्त उसे प्रसाद की तरह ग्रहण भी करते हैं. यह परंपरा कब और किसने शुरू की, इसकी कोइ जानकारी नहीं है. पिछले कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है.
मैहर मां की तपस्या करते हुए दूल्हा देव ने ली थी समाधि
बताया जाता है कि दूल्हा देव ने मैहर की मां शारदा की तपस्या करते- करते समाधि ले ली थी. समाधि में लीन होने के बाद से आज तक लोग दूल्हा देव की पूजा करते हैं. मां शारदा के दर्शन करने के बाद जो भक्त दूल्हा देव के दर्शन नहीं करता है, कहा जाता है कि उसे माता के दर्शन का पूरा लाभ नहीं मिलता है.
दूल्हा देव के मंदिर में देश भर से भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, और कोई भी खाली हाथ नहीं जाता. दूल्हा देव मंदिर में इनकी एक बाउली बनाई गई है. इस वजह से दुल्हा देव प्रसिद्ध हैं. दूल्हा देव मंदिर में भक्त झूमते, नाचते-गाते हुए दिखाई देते हैं. आदिकाल पुराना यह मंदिर मैहर माता के धाम में आस्था का केंद्र माना जाता है. दूल्हा देव मंदिर में शराब के अलावा नारियल, फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि यहां जो भी भक्त आकर प्रसाद चढ़ाता है, उसे कभी दुख नहीं होता है. इस मंदिर में आने के बाद बाझन को पुत्र, निर्धन को माया मिलती है.