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chandra grahan 2022 एक पखवाड़े में दो ग्रहण, जानें सूतक और ग्रहण काल में तुलसी का महत्व

महाभारत काल के बाद पहली बार 15 दिनों के अंदर दो ग्रहण पड़ रहे हैं. यह ग्रहण कई राशियों पर शुभ तो कुछ पर अशुभ संकेत डाल रहे हैं. वहीं ग्रहण और सूतक काल में सबसे ज्यादा महत्व तुलसी का होता है. जानिए सूतक और ग्रहण काल में तुलसी का क्या है महत्व (importance of tulsi in chandra grahan )

chandra grahan 2022
चंद्र ग्रहण में तुलसी का महत्व
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Published : Nov 8, 2022, 6:30 AM IST

सतना। 8 नवंबर यानि मंगलवार को इस वर्ष साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगेगा (chandra grahan 2022). चंद्र ग्रहण कार्तिक पक्ष की पूर्णिमा को पड़ेगा. इससे पहले अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लग चुका है. इस ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाएगा. कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन मंगलवार चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों में यह ग्रहण दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण में सूतक लगते ही ग्रहण का प्रभाव शुरू हो जाता है. ऐसे में तुलसी का बहुत बड़ा महत्व होता है (importance of tulsi in chandra grahan).

ग्रहण काल में तुलसी का महत्व: इस बारे में सोहावल छोटा स्थान अखाड़ा के आचार्य रमाकांत तिवारी ने बताया कि तुलसी का ग्रहण में बहुत बड़ा महत्व होता है. किसी भी शुभ कार्य में तुलसी और कुशा का उपयोग जरूर किया जाता है. ग्रहण में सूतक लगते ही सभी चीजें अपवित्र मानी जाती है. ऐसे में तुलसी का उपयोग किया जाता है. जैसे की ग्रहण के बाद जब हमें भोजन या किसी अन्य सामग्री को ग्रहण करना होता है तो उसमें तुलसी का उपयोग जरूरी होता है. तुलसी डालने से सूतक का प्रभाव समाप्त हो जाता है.

तुलसी और कुशा का उपयोग करने से कार्य होते हैं शुभ: घर के समय घर में सभी देव स्थल और मंदिरों में तुलसी और कुशा का उपयोग करने से सभी कार्य शुभ होते हैं. जैसे यदि कोई भी जानवर गाय, भैंस ग्रहण के समय बच्चे को जन्म देती है तो गेरु लगा दिया जाता है. जिससे कि जन्म लेने वाले बच्चे में सूतक का प्रभाव समाप्त हो जाता है और वह सकुशल जन्म लेता है. चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण यदि सूतक का प्रभाव होता है तो तुलसी का उपयोग अवश्य रूप से किया जाना चाहिए.

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15 दिन के अंदर दो ग्रहण होना अशुभ संकेत: इस साल 15 दिनों के अंदर सूर्य ग्रहण के बाद चंद्र ग्रहण पड़ना अशुभ का संकेत है. महाभारत काल में भी 15 दिनों के अंदर दो ग्रहण पड़े थे. जिसमें महायुद्ध हुआ था. ऐसे में घातक परिणाम सामने आए थे. ज्योतिष शरद द्विवेदी 8 नवंबर को पड़ने वाले चंद्रग्रहण के बारे में बताया की हाल में ही हम सभी ने सूर्य ग्रहण देखा अब चंद्रग्रहण है. यह साल का अंतिम व दूसरा ग्रहण है. एक पक्ष में दो ग्रहण के प्रभाव हमेशा नकारात्मक प्रतीत होते हैं. जिससे कि प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने के संकेत मिलते हैं.

चंद्र ग्रहण के समय इन बातों का रखें ध्यान: कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन मंगलवार चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों में यह ग्रहण दिखाई देगा. क्योकि चंद्रोदय से पूर्व ही ग्रहण प्रारम्भ हो जाएगा. चन्द्रग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घण्टे पूर्व प्रारम्भ हो जाएगा. चंद्र ग्रह का आरंभ दोपहर 2:39 बजे से और ग्रहण का मध्य 4:29 बजे एवं ग्रहण की समाप्ति 6:19 पर होगा. ग्रहण काल के समय खाना नहीं खाना चाहिए. ग्रहण के समय मंत्रोच्चारण का जाप करने से मंत्र का फल और ज्यादा बढ़ जाता है. ग्रहण प्रारम्भ काल से मोक्ष तक जाप करना चाहिये. ग्रहण काल में शयन नहीं करना चाहिये. मल-मूत्र विसर्जन नहीं करना चाहिये. स्वेत वस्तुओं का दान करना चाहिए. घर में मौजूद पूजा ग्रह की मूर्तियों को न छुए. मंदिर के कपाट बंद रखें. वृक्षों का स्पर्श न करें.

सतना। 8 नवंबर यानि मंगलवार को इस वर्ष साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगेगा (chandra grahan 2022). चंद्र ग्रहण कार्तिक पक्ष की पूर्णिमा को पड़ेगा. इससे पहले अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लग चुका है. इस ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाएगा. कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन मंगलवार चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों में यह ग्रहण दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण में सूतक लगते ही ग्रहण का प्रभाव शुरू हो जाता है. ऐसे में तुलसी का बहुत बड़ा महत्व होता है (importance of tulsi in chandra grahan).

ग्रहण काल में तुलसी का महत्व: इस बारे में सोहावल छोटा स्थान अखाड़ा के आचार्य रमाकांत तिवारी ने बताया कि तुलसी का ग्रहण में बहुत बड़ा महत्व होता है. किसी भी शुभ कार्य में तुलसी और कुशा का उपयोग जरूर किया जाता है. ग्रहण में सूतक लगते ही सभी चीजें अपवित्र मानी जाती है. ऐसे में तुलसी का उपयोग किया जाता है. जैसे की ग्रहण के बाद जब हमें भोजन या किसी अन्य सामग्री को ग्रहण करना होता है तो उसमें तुलसी का उपयोग जरूरी होता है. तुलसी डालने से सूतक का प्रभाव समाप्त हो जाता है.

तुलसी और कुशा का उपयोग करने से कार्य होते हैं शुभ: घर के समय घर में सभी देव स्थल और मंदिरों में तुलसी और कुशा का उपयोग करने से सभी कार्य शुभ होते हैं. जैसे यदि कोई भी जानवर गाय, भैंस ग्रहण के समय बच्चे को जन्म देती है तो गेरु लगा दिया जाता है. जिससे कि जन्म लेने वाले बच्चे में सूतक का प्रभाव समाप्त हो जाता है और वह सकुशल जन्म लेता है. चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण यदि सूतक का प्रभाव होता है तो तुलसी का उपयोग अवश्य रूप से किया जाना चाहिए.

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15 दिन के अंदर दो ग्रहण होना अशुभ संकेत: इस साल 15 दिनों के अंदर सूर्य ग्रहण के बाद चंद्र ग्रहण पड़ना अशुभ का संकेत है. महाभारत काल में भी 15 दिनों के अंदर दो ग्रहण पड़े थे. जिसमें महायुद्ध हुआ था. ऐसे में घातक परिणाम सामने आए थे. ज्योतिष शरद द्विवेदी 8 नवंबर को पड़ने वाले चंद्रग्रहण के बारे में बताया की हाल में ही हम सभी ने सूर्य ग्रहण देखा अब चंद्रग्रहण है. यह साल का अंतिम व दूसरा ग्रहण है. एक पक्ष में दो ग्रहण के प्रभाव हमेशा नकारात्मक प्रतीत होते हैं. जिससे कि प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने के संकेत मिलते हैं.

चंद्र ग्रहण के समय इन बातों का रखें ध्यान: कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन मंगलवार चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों में यह ग्रहण दिखाई देगा. क्योकि चंद्रोदय से पूर्व ही ग्रहण प्रारम्भ हो जाएगा. चन्द्रग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घण्टे पूर्व प्रारम्भ हो जाएगा. चंद्र ग्रह का आरंभ दोपहर 2:39 बजे से और ग्रहण का मध्य 4:29 बजे एवं ग्रहण की समाप्ति 6:19 पर होगा. ग्रहण काल के समय खाना नहीं खाना चाहिए. ग्रहण के समय मंत्रोच्चारण का जाप करने से मंत्र का फल और ज्यादा बढ़ जाता है. ग्रहण प्रारम्भ काल से मोक्ष तक जाप करना चाहिये. ग्रहण काल में शयन नहीं करना चाहिये. मल-मूत्र विसर्जन नहीं करना चाहिये. स्वेत वस्तुओं का दान करना चाहिए. घर में मौजूद पूजा ग्रह की मूर्तियों को न छुए. मंदिर के कपाट बंद रखें. वृक्षों का स्पर्श न करें.

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