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सतना में 70 फीसदी बच्चे एनीमिया से ग्रसित, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में हुआ खुलासा

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक सतना में 70 फीसदी बच्चें एनीमिया की चपेट में हैं. यहां हर दूसरा बच्चा एनीमिक है. रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के साथ गर्भवती महिलाएं भी इस बीमारी से जूझ रही हैं.

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Published : Feb 2, 2020, 12:22 PM IST

Updated : Feb 2, 2020, 3:19 PM IST

70 percent children in Satna are vulnerable to anemia
सतना में एनीमिया की चपेट में 70 फीसदी बच्चे

सतना। प्रदेश सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत बच्चों में एनीमिया के खिलाफ मुहिम चला रही है. इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है. लेकिन इसके बाद भी इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक सतना में 70 फीसदी बच्चें एनीमिया की चपेट में हैं. जिले में हर दूसरा बच्चा इस बीमारी का प्रकोप झेल रहा है. यह बीमारी जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को ज्यादा होती है.

सतना में एनीमिया की चपेट में 70 फीसदी बच्चे

रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं में भी एनीमिया का प्रकोप पाया गया है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. एनीमिया को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने भी चिंता जताई है. बता दें कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट चौकने वाली है. नेशनल रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि, वर्तमान में सतना जिले में 15 से 49 वर्ष की लगभग 48 फीसदी किशोरियों और सामान्य महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं. जिसमें गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत सामान्य महिलाओं से भी ज्यादा है.

ऐसा नहीं है कि, अकेले बच्चे और महिलाएं खून की कमी से परेशान हैं. बल्कि जिले में लगभग 24 प्रतिशत पुरुषों भी रक्त अल्पता की कमी से जूझ रहे है. जिले में सर्वाधिक 70 फीसदी एनीमिया 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में देखा जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबित सतना जिले में हर दूसरा बच्चा इस बीमारी का शिकार होता जा रहा है.

सरकार के दावों की हकीकत

बता दें कि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत जागरूकता अभियान की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दी गई है. इस योजना के तहत हर दूसरे बच्चे पर नजर रखी जा रही है और इस अभियान का फोकस किशोरी और गर्भवती महिलाओं पर भी किया जा रहा है. जिले से लेकर ब्लॉकों तक सभी स्कूलों आंगनबाड़ी केंद्रों में आयरन टेबलेट, फोलिक एसिड सिरप बांटने के निर्देश जारी किए गए हैं. लेकिन दिए गए निर्देश कागजों तक ही सीमित होकर रह गए. जमीनी स्तर पर शासन की योजनाओं का लाभ अब नहीं पहुंच पा रहा है. सतना जिले में महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते हर दूसरा बच्चा एनीमिया का शिकार होता जा रहा है. जिसका वर्तमान आंकड़ा 70 फीसदी पहुंच चुका है. अब ऐसे में महिला बाल विकास अधिकारी हमेशा की तरह रटा रटाया बयान देकर अपनी दलीलों से पल्ला झाड़ रहे हैं.

सतना। प्रदेश सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत बच्चों में एनीमिया के खिलाफ मुहिम चला रही है. इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है. लेकिन इसके बाद भी इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक सतना में 70 फीसदी बच्चें एनीमिया की चपेट में हैं. जिले में हर दूसरा बच्चा इस बीमारी का प्रकोप झेल रहा है. यह बीमारी जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को ज्यादा होती है.

सतना में एनीमिया की चपेट में 70 फीसदी बच्चे

रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं में भी एनीमिया का प्रकोप पाया गया है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. एनीमिया को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने भी चिंता जताई है. बता दें कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट चौकने वाली है. नेशनल रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि, वर्तमान में सतना जिले में 15 से 49 वर्ष की लगभग 48 फीसदी किशोरियों और सामान्य महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं. जिसमें गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत सामान्य महिलाओं से भी ज्यादा है.

ऐसा नहीं है कि, अकेले बच्चे और महिलाएं खून की कमी से परेशान हैं. बल्कि जिले में लगभग 24 प्रतिशत पुरुषों भी रक्त अल्पता की कमी से जूझ रहे है. जिले में सर्वाधिक 70 फीसदी एनीमिया 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में देखा जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबित सतना जिले में हर दूसरा बच्चा इस बीमारी का शिकार होता जा रहा है.

सरकार के दावों की हकीकत

बता दें कि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत जागरूकता अभियान की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दी गई है. इस योजना के तहत हर दूसरे बच्चे पर नजर रखी जा रही है और इस अभियान का फोकस किशोरी और गर्भवती महिलाओं पर भी किया जा रहा है. जिले से लेकर ब्लॉकों तक सभी स्कूलों आंगनबाड़ी केंद्रों में आयरन टेबलेट, फोलिक एसिड सिरप बांटने के निर्देश जारी किए गए हैं. लेकिन दिए गए निर्देश कागजों तक ही सीमित होकर रह गए. जमीनी स्तर पर शासन की योजनाओं का लाभ अब नहीं पहुंच पा रहा है. सतना जिले में महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते हर दूसरा बच्चा एनीमिया का शिकार होता जा रहा है. जिसका वर्तमान आंकड़ा 70 फीसदी पहुंच चुका है. अब ऐसे में महिला बाल विकास अधिकारी हमेशा की तरह रटा रटाया बयान देकर अपनी दलीलों से पल्ला झाड़ रहे हैं.

Intro:एंकर --
सतना जिले में 70 फीसदी बच्चे एनीमिया का शिकार है.इस बीमारी से बच्चों में खून की कमी होती है.यह बीमारी जन्म से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को ज्यादातर होती है. इतना ही नहीं खून की कमी बच्चों के साथ प्रसूताओं को भी अधिकांश होती है.सतना जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत एनीमिया को कम करने के लिए किए जा रहे हो पाए जमीनी स्तर पर फेल होते नजर आ रहे हैं ।

Body:Vo --
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत बच्चों में एनीमिया की कमी लाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं.और इनमें सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है.अगर हम बात करे सतना जिले की तो जिलेभर में 70 फ़ीसदी बच्चों को रक्त अल्पता खून की कमी (एनीमिया) बीमारी की चपेट में है.जिले में हर दूसरा बच्चा इस बीमारी का प्रकोप झेल रहा है.यह बीमारी जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को ज्यादातर होती है.साथ ही इस बीमारी के चपेट में बच्चों के साथ गर्भवती महिलाएं भी शामिल है.इस रक्ताल्पता से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भी चिंतित है लेकिन एनीमिया को दूर करने के लिए कई मर्तबा चलाए गए अभियान के बावजूद भी इसकी कमी में कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.सतना जिले में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 की रिपोर्ट हैरतअंगेज है जो आपको चौक आने पर मजबूर कर रही है.नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 की रिपोर्ट यह खुलासा किया है कि वर्तमान में सतना जिले भर में 15 से 49 वर्ष की लगभग 48 फीसदी किशोरियों और सामान्य महिलाएं एनीमिया का शिकार है.जबकि गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत सामान्य महिलाओं से भी ज्यादा है लगभग 54 फ़ीसदी गर्भवती महिलाएं इसका शिकार हैं.ऐसा नहीं है कि अकेले बच्चे और महिलाएं खून की कमी से परेशान हैं बल्कि जिले में लगभग 24% पुरुषों में भी रक्त अल्पता की कमी है.जिले में सर्वाधिक 70 फ़ीसदी एनीमिया 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में देखा जा रहा है.सतना जिले में हर दूसरा बच्चा इस बीमारी का शिकार होता जा रहा है ।

Conclusion:Vo --
बहरहाल सतना जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत जागरूकता अभियान की जिम्मेदारी आशाओं तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को दी गई है.इस योजना के तहत हर दूसरे बच्चे पर नजर रखी जा रही है.और इस अभियान का फोकस किशोरी और गर्भवती महिलाओं पर भी किया जा रहा है.जिले से लेकर ब्लॉकों तक सभी स्कूलों आंगनवाड़ी केंद्रों में आयरन टेबलेट फोलिक एसिड सिरप बांटने के निर्देश जारी किए गए हैं लेकिन दिए गए निर्देश कागजों में तब्दील हो गए.जमीनी स्तर पर शासन की योजनाओं कला अब नहीं पहुंच पा रहा है.सतना जिले में महिलाबाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते हर दूसरा बच्चा एनीमिया का शिकार होता जा रहा है.जिसका वर्तमान आंकड़ा 70 फ़ीसदी पहुंच चुका है.अब ऐसे में महिलाबाल विकास अधिकारी हमेशा की तरह रटा रटाया बयान देकर अपनी दलीलें पेश कर पल्ला झाड़ रहे हैं ।


Byte --
सौरभ सिंह -- महिला बाल विकास अधिकारी सतना ।

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डॉ राकेश अग्रवाल -- शिशु रोग विशेषज्ञ सतना ।
Last Updated : Feb 2, 2020, 3:19 PM IST
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