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कुपोषण के गाल में सतना, 41 हजार नौनिहाल MALNUTRION से बेहाल

कुपोषण मध्यप्रदेश पर एक कलंक की तरह है. दूसरे जिलों की तरह सतना में भी कुपोषण का कहर काफी ज्यादा है. यहां 41 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.

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Published : Nov 28, 2019, 12:08 AM IST

children malnourished in satna
कुपोषण के गाल में सतना

सतना। कुपोषण यानी एक ऐसा कंलक, जो देश के दिल यानी मध्यप्रदेश पर इस तरह लगा कि इसके दूर होने के आसार दूर-दूर नजर नहीं आते. राज्य का कोई भी अंचल कुपोषण के कहर से बच नहीं पाया. बात अगर विंध्य की करें तो यहां कुपोषण के गाल में हजारों नौनिहाल समाए हुए हैं. सतना के मझगवां में कुपोषण को दूर करने वाली सरकारी योजनाएं धूल फांकती नजर आती हैं. यहां के बाशिंदे बताते हैं कि उन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता, लिहाजा बच्चों को बीमारियां घेर लेती हैं. सड़क नहीं होने से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचती. ग्रामीणों का दर्द न तो सरकारी नुमाइंदों को दिखता है और न ही सिसासत के हुक्मरानों को.

कुपोषण की जद में सतना

सरकार बदली लेकिन यहां के हालात नहीं
सूबे में चाहे बीजेपी की सत्ता रही हो या फिर कांग्रेस की, कुपोषण को दूर करने के लिए किसी ने अब तक ऐसे ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके परिणाम सार्थक आए हों. यही वजह है कि कुपोषण घटने की बजाए उल्टा बढ़ता गया. शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते हालात कितने बदतर हैं, सुनिए मंझगावं के बाशिदों की जुबानी.तो सुना आपने सरकारी योजनाओं के लाभ का इंतजार कर रहे ये लोग कितने मजबूर हैं. पूरे सतना जिले में कुपोषण के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो


⦁ अकेले सतना में 41 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
⦁ इसमें 36 हजार 221 बच्चे मध्यम कुपोषित हैं
⦁ जबकि 5 हजार 491 बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में आते हैं.
⦁ पूरे सतना जिले में मझगवां ब्लॉक के हालात बद से बदतर हैं.
⦁ मझगवां में कुल 96 ग्राम पंचायत आती हैं.
⦁ इनमें 4 हजार 662 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं
⦁ जबकि अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 913 है.

रेड जोन में शामिल है मझगवां

यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास के साझा अभियान की पोल खोल रहे हैं. मध्यप्रदेश शासन ने कुपोषण के मामले में मझगवां क्षेत्र को रेड जोन में रखा है. यहां के हर घर में एक बच्चा कुपोषित है. हालात ये हैं कि हर साल 400 बच्चों को एनआरसी में भर्ती किया जाता है. इसके बाद भी हालत सुधरने की बजाय उल्टे बदतर होते जा रहे हैं. मझगवां बीएमओ ने कुपोषण फैलने की वजहें बताई हैं.


सरकारी आंकड़े बता रहे हकीकत
एक तरफ सरकारी आंकड़े कुपोषण के मामले में सतना जिले की हकीकत उजागर कर रहे हैं तो वहीं अधिकारी अपना-अपना राग अलापने से नहीं चूक रहे. सतना के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का दावा है कि कुपोषण को दूर करने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है.


कब मिटेगा कुपोषण का कलंक?
अधिकारी भले ही कुछ भी कहें लेकिन सरकार के तमाम दावे मझगवां की तस्वीर के सामने फीके पड़ रहे हैं. अब शासन-प्रशासन को चाहिए की आदिवासी बाहुल्य मझगवां को कुपोषित से सुपोषित बनाने ऐसे ठोस कदम उठाए जाएं, जिससे कुपोषण के कहर से यहां के बारिदों को राहत मिल सके.

सतना। कुपोषण यानी एक ऐसा कंलक, जो देश के दिल यानी मध्यप्रदेश पर इस तरह लगा कि इसके दूर होने के आसार दूर-दूर नजर नहीं आते. राज्य का कोई भी अंचल कुपोषण के कहर से बच नहीं पाया. बात अगर विंध्य की करें तो यहां कुपोषण के गाल में हजारों नौनिहाल समाए हुए हैं. सतना के मझगवां में कुपोषण को दूर करने वाली सरकारी योजनाएं धूल फांकती नजर आती हैं. यहां के बाशिंदे बताते हैं कि उन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता, लिहाजा बच्चों को बीमारियां घेर लेती हैं. सड़क नहीं होने से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचती. ग्रामीणों का दर्द न तो सरकारी नुमाइंदों को दिखता है और न ही सिसासत के हुक्मरानों को.

कुपोषण की जद में सतना

सरकार बदली लेकिन यहां के हालात नहीं
सूबे में चाहे बीजेपी की सत्ता रही हो या फिर कांग्रेस की, कुपोषण को दूर करने के लिए किसी ने अब तक ऐसे ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके परिणाम सार्थक आए हों. यही वजह है कि कुपोषण घटने की बजाए उल्टा बढ़ता गया. शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते हालात कितने बदतर हैं, सुनिए मंझगावं के बाशिदों की जुबानी.तो सुना आपने सरकारी योजनाओं के लाभ का इंतजार कर रहे ये लोग कितने मजबूर हैं. पूरे सतना जिले में कुपोषण के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो


⦁ अकेले सतना में 41 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
⦁ इसमें 36 हजार 221 बच्चे मध्यम कुपोषित हैं
⦁ जबकि 5 हजार 491 बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में आते हैं.
⦁ पूरे सतना जिले में मझगवां ब्लॉक के हालात बद से बदतर हैं.
⦁ मझगवां में कुल 96 ग्राम पंचायत आती हैं.
⦁ इनमें 4 हजार 662 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं
⦁ जबकि अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 913 है.

रेड जोन में शामिल है मझगवां

यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास के साझा अभियान की पोल खोल रहे हैं. मध्यप्रदेश शासन ने कुपोषण के मामले में मझगवां क्षेत्र को रेड जोन में रखा है. यहां के हर घर में एक बच्चा कुपोषित है. हालात ये हैं कि हर साल 400 बच्चों को एनआरसी में भर्ती किया जाता है. इसके बाद भी हालत सुधरने की बजाय उल्टे बदतर होते जा रहे हैं. मझगवां बीएमओ ने कुपोषण फैलने की वजहें बताई हैं.


सरकारी आंकड़े बता रहे हकीकत
एक तरफ सरकारी आंकड़े कुपोषण के मामले में सतना जिले की हकीकत उजागर कर रहे हैं तो वहीं अधिकारी अपना-अपना राग अलापने से नहीं चूक रहे. सतना के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का दावा है कि कुपोषण को दूर करने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है.


कब मिटेगा कुपोषण का कलंक?
अधिकारी भले ही कुछ भी कहें लेकिन सरकार के तमाम दावे मझगवां की तस्वीर के सामने फीके पड़ रहे हैं. अब शासन-प्रशासन को चाहिए की आदिवासी बाहुल्य मझगवां को कुपोषित से सुपोषित बनाने ऐसे ठोस कदम उठाए जाएं, जिससे कुपोषण के कहर से यहां के बारिदों को राहत मिल सके.

Intro:एंकर --
मध्य प्रदेश सरकार कुपोषण को लेकर लाख दावे करती. और कुपोषण के सुधार के लिए करोड़ रुपए पानी की तरह बहा रही है उसके बावजूद भी कुपोषण की स्थिति जस की तस बनी हुई है. जी हां हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सतना जिले की यहां पर 41 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार है. शासन के द्वारा पोषण पुनर्वास केंद्र और वआंगनवाडी खोली गई हैं. लेकिन फिर भी कुपोषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. शासन प्रशासन की सभी योजनाएं ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रही है. सतना जिले में चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के मझगवां तहसील मैं सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं. इसके अलावा उचेहरा का परस्मानिया पठार मैहर का भदनपुर पहाड़ी क्षेत्र मे भी सबसे अधिक कुपोषित बच्चे हैं ।


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कुपोषण सरकार के माथे का कलंक बना हुआ है. सतना जिले में 41 हजार से ज्यादा मासूम कुपोषण से जूझ रहे हैं. सरकार द्वारा मासूमों को पोषित करने के लिए जो आहार 1 सप्ताह के लिए दे रही है. उतने में सिर्फ 1 दिन के लिए पेट भर रहा है. सतना जिले में महिला बाल विकास के आंकड़ों के अनुसार कुपोषित बच्चे के आंकड़े 36 हजार 221 और अतिकुपोषित 5 हजार 419 है. यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास के साझा अभियान की पोल खोल चुके हैं. सतना जिले का मझगवां क्षेत्र कुपोषण के मामले में नंबर वन पर है. इसके अलावा उचेहरा का परस्मानिया पठार मैहर का भदनपुर पहाड़ी क्षेत्र भी सबसे ज्यादा कुपोषित क्षेत्र माना जाता है. सतना ईटीवी भारत टीम द्वारा जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के मझगवां तहसील में पहुंचकर कुपोषण के बारे में जब ग्रामीणों से बात की गई तो ग्रामीणों ने बताया कि यहां शासन प्रशासन की योजनाएं हम लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं.मझगवां ब्लॉक के अंतर्गत 96 ग्राम पंचायत हैं.जिनमे कुपोषण के आंकड़ों के अनुसार 4 हजार 662 कुपोषित और 913 अति कुपोषित बच्चे यहां पर हैं. यहां पर कुपोषण के मुख्य वजह ग्रामीणों को पर्याप्त मात्रा में पोषण आहार ना मिलना और दूषित पानी पीने से कई प्रकार से बीमारियां फैलना, जो कि आगे चलकर कुपोषण का रूप धारण कर लेती हैं. पीएचई विभाग द्वारा साल में एक बार ही ग्रामीणों इलाकों में पानी को लेकर दवाई का छिड़काव किया जाता है. लेकिन उसके बाद दोबारा वहां मुड़कर नहीं देखा जाता कि पानी की क्या स्थिति है और ना ही कभी इसकी जांच की जाती है. दूसरी मुख्य वजह अशिक्षा मानी जाती है. ग्रामीण इलाकों में कम पढ़े लिखे होने से बच्चों की देखरेख करना और उनका पालन पोषण में सही तरीके से ना हो पाना जिससे कुपोषित बच्चे और भी बढ़ते जा रहे हैं. कुपोषण को लेकर जिलेभर में महिला बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा अभियान चलाया जा रहा है. कई योजनाएं चलाए जा रहे हैं. लेकिन आज भी ग्रामीणों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा. सभी योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. स्वास्थ विभाग का दावा है कि लगातार कुपोषण में सुधार के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं और कुपोषण की स्थिति कम होती जा रही है. लेकिन सतना जिले के कुपोषण के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास की दावों की पोल खोल रहा है ।

Vo --
इस बारे में मझगवां बीएमओ खुद बता रहे हैं कि सतना जिले में मझगवां कुपोषण के मामले में सबसे ज्यादा कुपोषण यही पाया जाता है. यहां पर कुपोषण ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में है. और जो आदिवासी बच्चे हैं उन्हें पेट भर पोषण आहार नहीं मिलता है. बच्चों के माता-पिता उनका सही तरीके से ध्यान नहीं रख पा रहे हैं और बच्चे दूषित पानी पी रहे हैं जिसके कारण से बच्चों में कुपोषण फैलता जा रहा है. कुपोषण के लिए मध्यप्रदेश शासन ने मझगवां क्षेत्र को रेड जोन में रखा है. यहां के ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में हर घर में एक आद बच्चे कुपोषित पाए जाते हैं. यहां हर साल 400 के लगभग बच्चों का पोषण पुनर्वास केंद्र में ट्रीटमेंट किया जाता है लेकिन उसके बावजूद भी सब कुछ पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से उन्हें कोठी या जिला अस्पताल रेफर करना पड़ जाता है. यहां पर दूषित भोजन और पानी सही नहीं होने पर कुपोषण सबसे अधिक पाया जाता है ।

Vo --
कुपोषण द लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि कुपोषण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. सतना जिले में लगातार पोषण पुनर्वास में ज्यादा ज्यादा बच्चों का उपचार किया जा रहा है. जिले के मझगवां ब्लॉक में सबसे ज्यादा कुपोषण की समस्या है. अशिक्षा पहुंच विहीन क्षेत्र मझगवां सबसे ज्यादा प्रभावित है इसके अलावा उचेहरा ब्लॉक का परसमानिया पठार और मैहर के भदनपुर पहाड़ी इलाका भी ज्यादा प्रभावित है. इन सब की मुख्य वजह अशिक्षा और गरीबी है जिसकी वजह से कुपोषण का सही उपचार न मिल पाना कुपोषण को बढ़ावा देता है. और दूषित पानी से होने वाली बीमारियां भी कुपोषण का रूप धारण कर लेती है।

Vo --
बहरहाल सतना जिले में लगातार सरकारों द्वारा कुपोषण को लेकर सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन इन योजनाओं का लाभ ग्रामीण इलाकों तक नहीं पहुंच पा रहा है. इस बारे में सतना जिले के अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं की अशिक्षा और पहुंच विहीन क्षेत्र कुपोषण का कारण है. लेकिन योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई हैं. यही वजह है कि वर्षों से चली आ रही कुपोषण की समस्या आज भी सतना जिले में जस की तस बनी हुई है. अब देखना यह होगा की सरकार द्वारा कुपोषण के कलंक को लेकर किस प्रकार से ठोस कदम उठाए जाएंगे ।


Conclusion:byte --
फूलाबाई मवासी -- स्थानीय निवासी मझगवां आदिवासी क्षेत्र ।
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पप्पू मवासी -- स्थानीय निवासी मझगवां आदिवासी क्षेत्र ।
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तरूण त्रिपाठी -- BMO मझगवां सतना ।
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अशोक अवधिया -- मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला सतना ।
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