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नसबंदी की 'मौतबंदी'! संयुक्त निदेशक ने 12 दिन पहले किया था ऑपरेशन

बीएमसी में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां नसबंदी का इलाज कराने आई एक महिला की 12 दिन बाद मौत हो गई. ऑपरेशन के दौरान खून की नस कटने के चलते महिला की मौत हुई है. महिला का ऑपरेशन स्वास्थ्य विभाग की जॉइंट डायरेक्टर डॉ. शशि ठाकुर ने किया था.

Deceased woman with child
बच्चे के साथ मृतक महिला
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Published : Feb 10, 2021, 12:55 AM IST

Updated : Feb 10, 2021, 6:22 AM IST

सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में नसबंदी का ऑपरेशन कराने वाली बरियाघाट की निकिता जैन की मंगलवार दोपहर को मौत हो गई. पति का आरोप है कि मौत गलत ऑपरेशन के कारण हुई है. ऑपरेशन के दो दिन बाद से ही महिला की हालत बिगड़ने लगी थी. इस पर परिजन निजी अस्पताल ले गए, वहां डॉक्टरों ने महिला के पेट में जमा करीब 3 लीटर खून निकाला. डॉक्टरों के मुताबिक नसबंदी के दौरान पेट में खून की नस कट गई थी. इससे पेट में ब्लीडिंग होती रही. महिला का ऑपरेशन भोपाल से आईं स्वास्थ्य विभाग की जॉइंट डायरेक्टर डॉ. शशि ठाकुर ने 28 जनवरी को किया था.

नसबंदी की 'मौतबंदी'!
  • पति ने लगाया लापरवाही का आरोप

महिला का पति सौरभ जैन सेल्समैन है. उसने बताया कि आंगनबाड़ी सहायिका सरिता चौरसिया ने उन्हें नसबंदी के लिए प्रेरित किया था. वह 12 दिन पहले बीएमसी में पत्नी का ऑपरेशन कराने गए थे. दो दिन बाद पत्नी की हालत बिगड़ गई. आनन-फानन में उसे निजी अस्पताल ले गए. वहां जांच के दौरान पता चला कि ऑपरेशन के दौरान पेट में ही खून की नस कटने से लगातार ब्लीडिंग हो रही है. यहां से भी दूसरे निजी अस्पताल रेफर कर दिया.

  • नसबंदी के ऑपरेशन के दौरान बड़ी लापरवाही

वहां डॉ. संतोष राय ने 31 जनवरी को पत्नी का ऑपरेशन कर ब्लीडिंग रोक दी, लेकिन तब तक शरीर में सिर्फ 3 प्रतिशत हीमोग्लोबिन बचा था. डॉक्टरों ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से खून, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स लाने को कहा. लेकिन इतनी लापरवाही के बाद भी हमें बगैर डोनर और राशि के ब्लड नहीं मिला. ऐसे में हर दिन डोनर ढूंढ-ढूंढ कर 6 यूनिट रक्त, 10 यूनिट प्लाज्मा और 5 प्लेट्स लगाए गए. इसके बाद भी हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ा, तो पता चला कि पत्नी का शरीर बाहरी ब्लड नहीं ले रहा. इसके बाद निकिता को बीएमसी के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया. फिर भी वह बच नहीं सकी. मेरा 3 साल का बेटा और 6 माह की बेटी हर दिन मां के लिए रोते हैं. वहीं मृतिका के परिजन भी बहु की मौत के सदमे में हैं.

  • पूरे मामले की होगी जांच-सिविल सर्जन

मामले को लेकर जब जिला के सिविल सर्जन डॉ. आरडी गायकवाड़ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि महिला को डीआईसी नामक बीमारी थी. कोई भी अचानक डीआईसी का शिकार नहीं होता. महिला को डिलेवरी के बाद यह शिकायत हुई होगी और इसी के कारण ऑपरेशन के बाद तबियत बिगड़ी. जब इन से सवाल किया गया क्या डॉक्टर की इस ऑपरेशन में गलती थी तो उन्होंने कहा जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में नसबंदी का ऑपरेशन कराने वाली बरियाघाट की निकिता जैन की मंगलवार दोपहर को मौत हो गई. पति का आरोप है कि मौत गलत ऑपरेशन के कारण हुई है. ऑपरेशन के दो दिन बाद से ही महिला की हालत बिगड़ने लगी थी. इस पर परिजन निजी अस्पताल ले गए, वहां डॉक्टरों ने महिला के पेट में जमा करीब 3 लीटर खून निकाला. डॉक्टरों के मुताबिक नसबंदी के दौरान पेट में खून की नस कट गई थी. इससे पेट में ब्लीडिंग होती रही. महिला का ऑपरेशन भोपाल से आईं स्वास्थ्य विभाग की जॉइंट डायरेक्टर डॉ. शशि ठाकुर ने 28 जनवरी को किया था.

नसबंदी की 'मौतबंदी'!
  • पति ने लगाया लापरवाही का आरोप

महिला का पति सौरभ जैन सेल्समैन है. उसने बताया कि आंगनबाड़ी सहायिका सरिता चौरसिया ने उन्हें नसबंदी के लिए प्रेरित किया था. वह 12 दिन पहले बीएमसी में पत्नी का ऑपरेशन कराने गए थे. दो दिन बाद पत्नी की हालत बिगड़ गई. आनन-फानन में उसे निजी अस्पताल ले गए. वहां जांच के दौरान पता चला कि ऑपरेशन के दौरान पेट में ही खून की नस कटने से लगातार ब्लीडिंग हो रही है. यहां से भी दूसरे निजी अस्पताल रेफर कर दिया.

  • नसबंदी के ऑपरेशन के दौरान बड़ी लापरवाही

वहां डॉ. संतोष राय ने 31 जनवरी को पत्नी का ऑपरेशन कर ब्लीडिंग रोक दी, लेकिन तब तक शरीर में सिर्फ 3 प्रतिशत हीमोग्लोबिन बचा था. डॉक्टरों ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से खून, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स लाने को कहा. लेकिन इतनी लापरवाही के बाद भी हमें बगैर डोनर और राशि के ब्लड नहीं मिला. ऐसे में हर दिन डोनर ढूंढ-ढूंढ कर 6 यूनिट रक्त, 10 यूनिट प्लाज्मा और 5 प्लेट्स लगाए गए. इसके बाद भी हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ा, तो पता चला कि पत्नी का शरीर बाहरी ब्लड नहीं ले रहा. इसके बाद निकिता को बीएमसी के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया. फिर भी वह बच नहीं सकी. मेरा 3 साल का बेटा और 6 माह की बेटी हर दिन मां के लिए रोते हैं. वहीं मृतिका के परिजन भी बहु की मौत के सदमे में हैं.

  • पूरे मामले की होगी जांच-सिविल सर्जन

मामले को लेकर जब जिला के सिविल सर्जन डॉ. आरडी गायकवाड़ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि महिला को डीआईसी नामक बीमारी थी. कोई भी अचानक डीआईसी का शिकार नहीं होता. महिला को डिलेवरी के बाद यह शिकायत हुई होगी और इसी के कारण ऑपरेशन के बाद तबियत बिगड़ी. जब इन से सवाल किया गया क्या डॉक्टर की इस ऑपरेशन में गलती थी तो उन्होंने कहा जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Feb 10, 2021, 6:22 AM IST
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