सागर। बीड़ी और तंबाकू उद्योग से जुड़े कोटपा कानून में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे संशोधन को लेकर बीड़ी मजदूर और बीड़ी उद्योग से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. 2003 में बनाए गए सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट कानून (कोटपा कानून) में 31 दिसंबर को नई नियमावली जारी की गई है. नई नियमावली में सरकार ने न तो बीड़ी मजदूरों से बात की, और न ही बीड़ी उद्योग से जुड़े लोगों से, सरकार फरवरी माह में संशोधन लागू करने जा रही थी, लेकिन देश के बीड़ी उद्योग वाले इलाकों में हुए विरोध के कारण इस कानून को फिलहाल 31 मार्च तक टाल दिया गया है.
बीड़ी उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार ने कोटपा कानून में जो बदलाव का प्रस्ताव दिया है, उससे लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे और बीड़ी उद्योग धराशायी हो जाएगा. बीड़ी उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि बीड़ी को गांजा और दूसरे नशीले पदार्थ की तरह पेश किया जा रहा है.
कोटपा कानून में किए जा रहे हैं संशोधन
सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट 2003 पर केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में संशोधन पेश किए हैं. केंद्र सरकार ने 21 दिसंबर 2020 को कोटपा कानून के संशोधन की नियमावली पेश की थी. यह संशोधन फरवरी माह से लागू होने वाले थे. बीड़ी उद्योग से जुड़े व्यवसायी और श्रमिकों का कहना है कि इस तरह का कानून बनाने के पहले ना तो मजदूरों से और ना ही बीड़ी उद्योग से जुड़े लोगों से कोई सलाह ली गई है. हालांकि बीड़ी उद्योग से जुड़े मजदूरों ने इसका विरोध किया था, जिसके बाद सरकार ने 31 मार्च तक इस कानून को लंबित कर दिया है.
कोटपा के सख्त प्रावधान
कोटपा कानून में जो बदलाव पेश किए गए हैं, उन पर अगर गौर करें तो बीड़ी उद्योग पूरी तरह चरमरा जाएगा. लोगों का कहना है कि ये संशोधन पूरी तरह अव्यवहारिक हैं. आइए जानते हैं इस कानून का प्रावधान..
- नियमों के अनुसार बीड़ी निर्माता बीड़ी के बंडल पर अपने ब्रांड का चित्र नहीं दिखा सकते हैं.
- बीड़ी बेचने वाला दुकानदार भी बीड़ी मंडलों को खुले तौर पर प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं.
- खुली बीड़ी का विक्रय पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा.
- हर बंडल में बीड़ी की संख्या 25 तय रहेगी.
- बंडल में एमआरपी और बीड़ी के निर्माण की तारीख का उल्लेख अनिवार्य होगा.
- बीड़ी उद्योग से जुड़े बीड़ी निर्माता, ठेकेदार, व्यापारी, डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर, पनवाड़ी और दुकानदार को भी कोटपा कानून के तहत पंजीयन लेना होगा, ऐसा न करने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
- कोटपा कानून के नए नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति अपने घर के बाहर धूम्रपान नहीं कर सकता है. बीड़ी उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस कानून को देखकर लगता है कि बीड़ी को गांजा और ड्रग्स की श्रेणी में रख दिया गया है.
- कोटपा कानून में किए जा रहे संशोधन को तोड़ने पर दंडनीय अपराध माना जाएगा, इसके तहत 7 साल की सजा और करोड़ों रुपए का जुर्माना लग सकता है.
गुटका, बीड़ी बेचने वाले दुकानों पर हुई छापामार कार्रवाई, सामान जब्त कर लगाया जुर्माना
बीड़ी उद्योग से कितनी जनसंख्या जुड़ी हुई है ?
बीड़ी मूल रूप से ग्रामीण कुटीर उद्योग है, इसमें देशभर के 2.6 करोड़ तंबाकू किसान, 25 लाख बीड़ी मजदूर, 40 लाख से अधिक आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार और 75 लाख से ज्यादा पनवाड़ियों के रोजगार का माध्यम है.
घर बैठे महिलाओं की हो जाती है कमाई
बीड़ी उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे बड़े पैमाने पर महिलाएं जुड़ी हुई हैं. महिलाएं अपने घरेलू कामकाज निपटाने के बाद बीड़ी बनाने का काम करती हैं और उनको घर में अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. इन महिलाओं का कहना है कि अगर बिजली बंद हो जाएगी, तो हमारे ऊपर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार अगर इसे बंद करना चाहती है, तो फिर हमारे लिए वैकल्पिक व्यवसाय की व्यवस्था करें.
उद्योग से जुड़े अन्य लोगों को भी खतरा
मजदूरों के अलावा जो लोग बीड़ी का व्यवसाय बड़े पैमाने पर करते हैं और अपना ब्रांड तैयार करके बाजार में बेचते हैं, उनका कहना है कि इस तरह के संशोधन से उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा. सरकार को इतने कठिन प्रावधान नहीं करना चाहिए.
सांसद ने दिया है आश्वासन
सांसद राज बहादुर सिंह का कहना है कि देश के जिन इलाकों में बीड़ी बनाने का काम होता है. वहां के तमाम सांसदो ने केंद्रीय श्रम मंत्री से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद कोटपा कानून में संशोधन की मंजूरी 31 मार्च तक के लिए टाल दी गई थी.
गौरतलब है कि सरकार ने कोटपा कानून में जो बदलाव का प्रस्ताव दिया है, उससे लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे और बीड़ी उद्योग धराशायी हो जाएगा. अब देखना होगा कि सरकार कोटपा कानून को लेकर क्या बदलाव करती है.