ETV Bharat / state

सुरखी में 71.97 प्रतिशत मतदान, युवाओं में दिखा उत्साह, दोनों प्रत्याशियों में कांटे की टक्कर

सुरखी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने मतदान रूपी लोकतंत्र के महायज्ञ में 71.97% मतदान के साथ अपने मतों की आहुति दी. निर्वाचन क्षेत्र के कुल 2,05,810 मतदाताओं में से 148,116 मतदाताओं के वोट ईवीएम में दर्ज हुए.

the-outcome-of-the-assembly-by-election-will-decide-who-will-win-from-the-bjp-congress-candidate
सागर मतदान
author img

By

Published : Nov 4, 2020, 1:08 PM IST

Updated : Nov 4, 2020, 1:50 PM IST

सागर। सुरखी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने मतदान रूपी लोकतंत्र के महायज्ञ में 71.97% मतदान के साथ अपने मतों की आहुति दी. निर्वाचन क्षेत्र के कुल 2,05,810 मतदाताओं में से 1,48,116 मतदाताओं के वोट ईवीएम में दर्ज हुए. इनमें 83,721 यानी 74.81% पुरुष और 64,395 यानी 68.59% महिलाओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया.

सुरखी विधानसभा में मतदान

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 75.48% था. तब 77.37% पुरुष और 73.21% महिलाओं ने वोट डाले थे. जहां तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह राजपूत ने 22 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी और पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को चुनावी शिकस्त दी थी.

बड़े-बुजुर्गों में भी दिखा उत्साह

सुरखी विधानसभा क्षेत्र में सभी 297 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से ही हल्की ठंडक के साथ मतदान शुरू हुआ. मतदाता पोलिंग बूथ पर पहुंचने लगे थे और शाम 6 बजे तक यह सिलसिला चलता रहा. मतदाताओं ने पूरे जोश के साथ अपने मताधिकार का उपयोग किया. एक और जहां 80 से 90 साल के बुजुर्ग मतदाताओं में अपने मतदान और लोकतंत्र का हिस्सा बनने का जोश दिखा तो वहीं दूसरी ओर युवा मतदाताओं ने भी पूरे जुनून के साथ बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया.

मतदान में कोरोना गाइडलाइन का रखा गया ध्यान

उपचुनाव के दिन सुबह ठंड की वजह से मतदान की गति थोड़ी धीमी रही, लेकिन धीरे धीरे 9 बजे के बाद मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या देखने को मिली. सभी मतदान केंद्रों पर कोविड-19 गाइडलाइन का ध्यान रखा गया. नियमों के अनुसार फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ मांस और क्लब सैनिटाइजर भी मतदान केंद्रों पर उपलब्ध कराए जा रहे थे.

ईवीएम में कैद प्रत्याशियों का भविष्य

सुरखी विधानसभा उप निर्वाचन में मैदान पर उतरे 15 प्रत्याशियों का चुनावी भविष्य मतदान के साथ ही ईवीएम में दर्ज हो गया है. जिसका परिणाम 10 नवंबर को मतगणना के दिन सामने आएगा. मतदान शांतिपूर्ण संपन्न होने पर सागर कलेक्टर और एसपी ने जनता को धन्यवाद दिया है.

दोनों प्रत्याशियों ने किए जनता से वादे

सुरखी विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र है, यही वजह है कि मतदाताओं की उम्मीद ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी योजनाओं और विकास कार्यों के प्रति ज्यादा होती है. विधानसभा में पानी की समस्या सबसे बड़ी समस्याओं में एक है. यही वजह है कि दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी बीजेपी से गोविंद सिंह राजपूत और कांग्रेस से पारुल साहू ने पानी की किल्लत से क्षेत्र को निजात दिलाने के लिए कई तरह के दावे और वादे किए हैं. बीजेपी ज्वाइन करने के बाद गोविंद की राजपूत में मंत्री रहते हुए करीब 100 करोड़ के नल जल एवं अन्य योजनाओं के शिलान्यास की बात कही, वहीं बीजेपी छोड़ कांग्रेस से जुड़ने वाली पारुल साहू ने भी जनता को जीतने पर पानी सड़क जैसी सभी समस्याओं से निजात दिलाने का वादा किया है.

दलबदल के नेता एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में

विधानसभा का चुनाव शुरू से ही सुर्खियों में रहा, क्योंकि यहां कांग्रेस के कद्दावर नेता गोविंद सिंह राजपूत दलबदल का छठवीं बार क्षेत्र में बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरे. वहीं कांग्रेस ने 2013 में गोविंद सिंह राजपूत को शिकस्त देने वाली बीजेपी की तत्कालीन विधायक पारुल साहू को कांग्रेस में शामिल कर उसे अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित होने के बाद दलबदल और गद्दार जैसे मुद्दे यहां ठंडे पड़ गए. क्योंकि दोनों ही प्रत्याशी दल बदल कर चुनाव लड़ रहे थे.

पिछले चुनाव में 141 था हार-जीत का अंतर

मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के आसपास ही रहा. महिलाएं भी बड़ी संख्या में पोलिंग बूथ तक पहुंची. वहीं युवाओं में भी चुनाव को लेकर खासी जागरूकता और रुझान देखने को मिला. बात अगर दोनों प्रत्याशियों की जीत हार की की जाए तो 2013 में यही दोनों प्रत्याशी आमने-सामने थे और उस वक्त जीत हार का अंतर 141 था. उस वक्त वोटर बिल्कुल खामोश था. यही स्थिति इस बार भी नजर आ रही है महिलाओं का एक महिला प्रत्याशी के प्रति रुझान ज्यादा नजर आया, तो वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो यह चाहता है कि गोविंद सिंह अगर जीते तो बीजेपी सरकार में उन्हें उन्हें मंत्री पद मिलेगा और क्षेत्र में विकास की संभावना बढ़ जाएगी.

दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर

जबकि दोनों ही दलों का अपना-अपना एक वोट बैंक भी है. जो प्रत्याशी नहीं पार्टी को वोट देता है, हालांकि अगर मैनेजमेंट और जोरदार प्रचार की बात की जाए तो इस बार बीजेपी इस मामले में आगे नजर आती है, क्योंकि कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी की घोषणा आखिरी वक्त में की तो बीजेपी प्रत्याशी पहले ही तय था. चुनावी रण में बीजेपी के शिवराज से लेकर वीडी शर्मा सहित अन्य प्रभावशाली नेता पहुंचे. वहीं कुल मिलाकर दोनों ही प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है. यही वजह है कि राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार के परिणाम को लेकर दुविधा में है.

परिणाम करेगा तय किसकी साख बची और किसकी हुई हार

कुल मिलाकर दोनों ही दल क्षेत्र में अपना प्रभाव रखते हैं और दोनों की ही साख इस चुनाव में लगी हुई है. मतदाताओं ने दोनों दलों के नेताओं का राजनीतिक भविष्य ईवीएम में कैद कर दिया है, जोकि 10 नवंबर को मंगलवार के दिन घोषित हो जाएगा

सागर। सुरखी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने मतदान रूपी लोकतंत्र के महायज्ञ में 71.97% मतदान के साथ अपने मतों की आहुति दी. निर्वाचन क्षेत्र के कुल 2,05,810 मतदाताओं में से 1,48,116 मतदाताओं के वोट ईवीएम में दर्ज हुए. इनमें 83,721 यानी 74.81% पुरुष और 64,395 यानी 68.59% महिलाओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया.

सुरखी विधानसभा में मतदान

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 75.48% था. तब 77.37% पुरुष और 73.21% महिलाओं ने वोट डाले थे. जहां तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह राजपूत ने 22 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी और पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को चुनावी शिकस्त दी थी.

बड़े-बुजुर्गों में भी दिखा उत्साह

सुरखी विधानसभा क्षेत्र में सभी 297 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से ही हल्की ठंडक के साथ मतदान शुरू हुआ. मतदाता पोलिंग बूथ पर पहुंचने लगे थे और शाम 6 बजे तक यह सिलसिला चलता रहा. मतदाताओं ने पूरे जोश के साथ अपने मताधिकार का उपयोग किया. एक और जहां 80 से 90 साल के बुजुर्ग मतदाताओं में अपने मतदान और लोकतंत्र का हिस्सा बनने का जोश दिखा तो वहीं दूसरी ओर युवा मतदाताओं ने भी पूरे जुनून के साथ बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया.

मतदान में कोरोना गाइडलाइन का रखा गया ध्यान

उपचुनाव के दिन सुबह ठंड की वजह से मतदान की गति थोड़ी धीमी रही, लेकिन धीरे धीरे 9 बजे के बाद मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या देखने को मिली. सभी मतदान केंद्रों पर कोविड-19 गाइडलाइन का ध्यान रखा गया. नियमों के अनुसार फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ मांस और क्लब सैनिटाइजर भी मतदान केंद्रों पर उपलब्ध कराए जा रहे थे.

ईवीएम में कैद प्रत्याशियों का भविष्य

सुरखी विधानसभा उप निर्वाचन में मैदान पर उतरे 15 प्रत्याशियों का चुनावी भविष्य मतदान के साथ ही ईवीएम में दर्ज हो गया है. जिसका परिणाम 10 नवंबर को मतगणना के दिन सामने आएगा. मतदान शांतिपूर्ण संपन्न होने पर सागर कलेक्टर और एसपी ने जनता को धन्यवाद दिया है.

दोनों प्रत्याशियों ने किए जनता से वादे

सुरखी विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र है, यही वजह है कि मतदाताओं की उम्मीद ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी योजनाओं और विकास कार्यों के प्रति ज्यादा होती है. विधानसभा में पानी की समस्या सबसे बड़ी समस्याओं में एक है. यही वजह है कि दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी बीजेपी से गोविंद सिंह राजपूत और कांग्रेस से पारुल साहू ने पानी की किल्लत से क्षेत्र को निजात दिलाने के लिए कई तरह के दावे और वादे किए हैं. बीजेपी ज्वाइन करने के बाद गोविंद की राजपूत में मंत्री रहते हुए करीब 100 करोड़ के नल जल एवं अन्य योजनाओं के शिलान्यास की बात कही, वहीं बीजेपी छोड़ कांग्रेस से जुड़ने वाली पारुल साहू ने भी जनता को जीतने पर पानी सड़क जैसी सभी समस्याओं से निजात दिलाने का वादा किया है.

दलबदल के नेता एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में

विधानसभा का चुनाव शुरू से ही सुर्खियों में रहा, क्योंकि यहां कांग्रेस के कद्दावर नेता गोविंद सिंह राजपूत दलबदल का छठवीं बार क्षेत्र में बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरे. वहीं कांग्रेस ने 2013 में गोविंद सिंह राजपूत को शिकस्त देने वाली बीजेपी की तत्कालीन विधायक पारुल साहू को कांग्रेस में शामिल कर उसे अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित होने के बाद दलबदल और गद्दार जैसे मुद्दे यहां ठंडे पड़ गए. क्योंकि दोनों ही प्रत्याशी दल बदल कर चुनाव लड़ रहे थे.

पिछले चुनाव में 141 था हार-जीत का अंतर

मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के आसपास ही रहा. महिलाएं भी बड़ी संख्या में पोलिंग बूथ तक पहुंची. वहीं युवाओं में भी चुनाव को लेकर खासी जागरूकता और रुझान देखने को मिला. बात अगर दोनों प्रत्याशियों की जीत हार की की जाए तो 2013 में यही दोनों प्रत्याशी आमने-सामने थे और उस वक्त जीत हार का अंतर 141 था. उस वक्त वोटर बिल्कुल खामोश था. यही स्थिति इस बार भी नजर आ रही है महिलाओं का एक महिला प्रत्याशी के प्रति रुझान ज्यादा नजर आया, तो वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो यह चाहता है कि गोविंद सिंह अगर जीते तो बीजेपी सरकार में उन्हें उन्हें मंत्री पद मिलेगा और क्षेत्र में विकास की संभावना बढ़ जाएगी.

दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर

जबकि दोनों ही दलों का अपना-अपना एक वोट बैंक भी है. जो प्रत्याशी नहीं पार्टी को वोट देता है, हालांकि अगर मैनेजमेंट और जोरदार प्रचार की बात की जाए तो इस बार बीजेपी इस मामले में आगे नजर आती है, क्योंकि कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी की घोषणा आखिरी वक्त में की तो बीजेपी प्रत्याशी पहले ही तय था. चुनावी रण में बीजेपी के शिवराज से लेकर वीडी शर्मा सहित अन्य प्रभावशाली नेता पहुंचे. वहीं कुल मिलाकर दोनों ही प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है. यही वजह है कि राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार के परिणाम को लेकर दुविधा में है.

परिणाम करेगा तय किसकी साख बची और किसकी हुई हार

कुल मिलाकर दोनों ही दल क्षेत्र में अपना प्रभाव रखते हैं और दोनों की ही साख इस चुनाव में लगी हुई है. मतदाताओं ने दोनों दलों के नेताओं का राजनीतिक भविष्य ईवीएम में कैद कर दिया है, जोकि 10 नवंबर को मंगलवार के दिन घोषित हो जाएगा

Last Updated : Nov 4, 2020, 1:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.