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EC में नियुक्ति पर SC का ऐतिहासिक फैसला, जानें- क्या बोली याचिकाकर्ता - सागर की जया ठाकुर याचिका

भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला दिया है और अब भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति 3 सदस्य कमेटी द्वारा होगी. जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सदस्य होंगे. दरअसल, सागर की जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया और योग्यता को लेकर एक याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई के बाद 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए यह व्यवस्था की है.

SC historic decision appointment in EC
EC में नियुक्ति पर SC का ऐतिहासिक फैसला
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Published : Mar 3, 2023, 3:56 PM IST

EC में नियुक्ति पर SC का ऐतिहासिक फैसला

सागर। याचिकाकर्ता के वकील वरुण ठाकुर का कहना था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन यहां पर केंद्रीय चुनाव आयोग हो या राज्य चुनाव आयोग, इनकी निष्पक्षता और तटस्थता हमेशा सवालों के घेरे में रहती है. आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और चयन प्रक्रिया को लेकर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं. भारतीय संविधान में अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग के गठन की व्यवस्था दी गई थी और संसद को कानून बनाने के निर्देश लए थे. लेकिन आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी संसद केंद्रीय और राज्य निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और चयन प्रक्रिया तय नहीं कर पाई थी.

कुल चार याचिकाएं हुईं दायर : इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अलग-अलग चार याचिका पेश की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 24 नवंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. करीब 3 महीने बाद ऐतिहासिक फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि 3 सदस्यीय कमेटी भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करेगी. चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के नियम प्रक्रिया को लेकर याचिकाकर्ता डॉ. जया ठाकुर ने 998/2022 दायर की थी. इस तरह की तीन और अन्य याचिकाएं थीं. जिनको लेकर तय किया गया था कि संवैधानिक पीठ एक साथ सुनवाई करेगी.

चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के प्रावधान : संविधान के अनुच्छेद 324 में केंद्रीय और राज्य निर्वाचन आयोग के गठन अधिकार और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर प्रावधान किए गए हैं. अनुच्छेद 324 (5) के तहत कहा गया है कि संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, चुनाव आयुक्तों और क्षेत्रीय आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्यकाल ऐसा होगा. जैसा कि राष्ट्रपति नियम द्वारा निर्धारित कर सकते हैं, बशर्ते कि मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और समान आधारों के अलावा नहीं हटाया जाएगा और मुख्य चुनाव आयुक्त की सेवा की शर्तों में उनकी नियुक्ति के बाद उनके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा. परन्तु यह और कि किसी अन्य चुनाव आयुक्त या क्षेत्रीय आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना पद से नहीं हटाया जा सकता है.

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क्या कहना है याचिकाकर्ता का : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद जया ठाकुर का कहना है कि चुनाव आयोग के सदस्यों को लेकर मैंने याचिका दायर की थी. जिसमें हमने मांग की थी कि इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से हो और उसके लिए एक व्यवस्था बनाई जाए.साथ ही पद से हटाने की व्यवस्था बनाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर ऐतिहासिक फैसला दिया है और जिसमें हमारी मांगों को माना है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो इनकी नियुक्ति करेगी. इस कमेटी में प्रधानमंत्री नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश सदस्य होंगे. मुझे बहुत खुशी है कि अब यह चीजें सुचारू रूप से चलेंगी. क्योंकि इसके पहले चुनाव आयोग पर कई बार एकतरफा फैसला देने का आरोप लगता रहा है. निश्चित रूप से चुनाव आयोग निष्पक्ष रूप से काम कर पाएगा.

EC में नियुक्ति पर SC का ऐतिहासिक फैसला

सागर। याचिकाकर्ता के वकील वरुण ठाकुर का कहना था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन यहां पर केंद्रीय चुनाव आयोग हो या राज्य चुनाव आयोग, इनकी निष्पक्षता और तटस्थता हमेशा सवालों के घेरे में रहती है. आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और चयन प्रक्रिया को लेकर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं. भारतीय संविधान में अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग के गठन की व्यवस्था दी गई थी और संसद को कानून बनाने के निर्देश लए थे. लेकिन आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी संसद केंद्रीय और राज्य निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और चयन प्रक्रिया तय नहीं कर पाई थी.

कुल चार याचिकाएं हुईं दायर : इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अलग-अलग चार याचिका पेश की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 24 नवंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. करीब 3 महीने बाद ऐतिहासिक फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि 3 सदस्यीय कमेटी भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करेगी. चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के नियम प्रक्रिया को लेकर याचिकाकर्ता डॉ. जया ठाकुर ने 998/2022 दायर की थी. इस तरह की तीन और अन्य याचिकाएं थीं. जिनको लेकर तय किया गया था कि संवैधानिक पीठ एक साथ सुनवाई करेगी.

चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के प्रावधान : संविधान के अनुच्छेद 324 में केंद्रीय और राज्य निर्वाचन आयोग के गठन अधिकार और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर प्रावधान किए गए हैं. अनुच्छेद 324 (5) के तहत कहा गया है कि संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन, चुनाव आयुक्तों और क्षेत्रीय आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्यकाल ऐसा होगा. जैसा कि राष्ट्रपति नियम द्वारा निर्धारित कर सकते हैं, बशर्ते कि मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और समान आधारों के अलावा नहीं हटाया जाएगा और मुख्य चुनाव आयुक्त की सेवा की शर्तों में उनकी नियुक्ति के बाद उनके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा. परन्तु यह और कि किसी अन्य चुनाव आयुक्त या क्षेत्रीय आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना पद से नहीं हटाया जा सकता है.

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क्या कहना है याचिकाकर्ता का : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद जया ठाकुर का कहना है कि चुनाव आयोग के सदस्यों को लेकर मैंने याचिका दायर की थी. जिसमें हमने मांग की थी कि इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से हो और उसके लिए एक व्यवस्था बनाई जाए.साथ ही पद से हटाने की व्यवस्था बनाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर ऐतिहासिक फैसला दिया है और जिसमें हमारी मांगों को माना है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो इनकी नियुक्ति करेगी. इस कमेटी में प्रधानमंत्री नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश सदस्य होंगे. मुझे बहुत खुशी है कि अब यह चीजें सुचारू रूप से चलेंगी. क्योंकि इसके पहले चुनाव आयोग पर कई बार एकतरफा फैसला देने का आरोप लगता रहा है. निश्चित रूप से चुनाव आयोग निष्पक्ष रूप से काम कर पाएगा.

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