भोपाल। जब देश को आजादी नहीं मिली थी और मध्य प्रदेश का गठन भी नहीं हुआ था. तब बुंदेलखंड के सच्चे सपूत जाने-माने बैरिस्टर डॉक्टर हरिसिंह गौड़ ने बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाके में विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. समय के साथ विश्वविद्यालय ने जमकर ख्याति बटोरी और केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित कर दिया. लेकिन आज इस विश्वविद्यालय पर केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय का ध्यान ही नहीं जा रहा है. हालात यह है कि पिछले छह महीने से विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव के पद खाली हैं और कई महत्वपूर्ण पदों पर भी प्रभारी के जरिए व्यवस्था का संचालन हो रहा है.
कुलपति कुलसचिव सहित कई महत्वपूर्ण पद प्रभारी के भरोसे
केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर की बात करें, तो पिछले छह महीने से कुलपति की नियुक्ति नहीं की गई है. इसके अलावा कुलसचिव का पद भी खाली है. कुलपति और कुलसचिव जैसे पद भी प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति ना होने के कारण विश्व विद्यालय की शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है.
इसके अलावा सहायक कुलसचिव और संयुक्त कुलसचिव के भी पद खाली हैं. विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी और परीक्षा नियंत्रक जैसे पदवी प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं. विश्वविद्यालय के कई विभाग विभाग अध्यक्ष ना होने के कारण प्रभारी विभाग अध्यक्षों के भरोसे संचालित किया जा रहे हैं. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को नियुक्ति करना है.
सागर विश्वविद्यालय में खाली पड़े पदों को लेकर विश्वविद्यालय के मीडिया अधिकारी दिवाकर सिंह राजपूत का कहना है कि इन पदों पर पूर्णकालिक नियुक्ति केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रक्रिया की जाती है.