सागर। ब्रिटिश शासन के समय बुंदेलखंड में विद्रोह की आग धधक रही थी. बुंदेलखंड पर नियंत्रण रखने के लिए अंग्रेजों ने सागर में छावनी बनाते हुए विद्रोह को काबू में रखने के प्रयास किए थे. इसी कड़ी में सागर में काफी संख्या में ब्रिटिश अफसरों और कर्मचारियों का आना हुआ था. उनकी प्रार्थना के लिए सागर कैंट इलाके में सेंट पीटर्स चर्च बनाया गया था. यह चर्च करीब 180 साल पुराना है और मध्य भारत के सबसे खूबसूरत चर्च में इसका नाम शुमार किया जाता है. इस चर्च को बनाने के लिए इटली से विशेष रूप से कारीगर बुलाए गए थे. आज 180 साल बाद भी चर्च की खूबसूरती जस की तस कायम है. (know its history and beauty secrets)
1841 में पहली बार हुई थी प्रार्थनाः सागर स्थित सेंट पीटर चर्च का निर्माण 1835 में शुरू हुआ था. चर्च को खूबसूरत बनाने के लिए इटली से विशेष रूप से कारीगर बुलाए गए थे. करीब 4 साल तक चर्च का निर्माण कार्य चला था और पहली बार चर्च में 12 जनवरी 1841 को प्रार्थना हुई थी. चर्च के पूर्व सचिव सनेंद्र कनासिया बताते हैं कि यह चर्च सागर का सबसे पुराना और अपनी खूबसूरती के लिए पूरे मध्यप्रदेश में और दूर-दूर तक मशहूर है. इसका निर्माण 1835 में प्रारंभ हुआ था. चर्च के ऊपर जो घंटी लगी है, उसमें भी 1835 का उल्लेख है. ब्रिटिश काल में जो ईसाई लोग यहां रहते थे, वह यहां आकर आराधना करते थे और प्रत्येक रविवार को विशेष रूप से प्रार्थना का आयोजन होता था. (Prayer was held for the first time in 1841)
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चर्च के मूल स्वरूप को बचाए रखने की कोशिशः सागर के सबसे पुराने चर्च के मूल स्वरूप के बारे में सनेंद्र कनासिया बताते हैं कि यह चर्च अपनी खूबसूरती के लिए दूर-दूर तक मशहूर था. वही यह मध्य प्रांत का मुख्यालय होता था. ग्वालियर, झांसी होशंगाबाद और तमाम चर्च इसी सेंट पीटर चर्च के अंतर्गत आते थे. अभी कुछ दिन पहले मेरे कार्यकाल में यहां पर जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया था. चर्च का प्लास्टर नए सिरे से कराया गया था और फर्श भी नया बनाया गया था. लेकिन इस बात का ख्याल रखा गया था कि चर्च के मूल स्वरूप में किसी तरह से छेड़छाड़ ना हो, उसे ज्यों का त्यों रखा जाए और उसकी सुंदरता पर कोई असर ना पड़े. (Efforts to preserve original form of church)
क्रिसमस पर होगा विशेष आयोजनः सेंट पीटर चर्च में क्रिसमस के दिन विशेष आयोजन किए जाएंगे. क्रिसमस पर जो तय कार्यक्रम होते हैं, उसके अनुसार क्रिसमिस ट्री के कार्यक्रम होंगे. 25 दिसंबर को क्रिसमस की विशेष आराधना होगी और विशेष गीत भी गाए जाएंगे. इस अवसर पर ईसाई धर्म के युवा और बच्चे नाटक के जरिए यह बताएंगे कि कैसे प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. (Special event will be held on christmas)