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महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर हुआ बुंदेलखंड में मंदिर का निर्माण, महाशिवरात्रि पर होगा नवशिवरात्रि का आयोजन

अगर किसी कारण से उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, तो आप सागर शहर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर भगवान महाकाल के दर्शन कर सकते हैं (Mahakal Mandir of Bundelkhand).

Sagar Mahakal Temple
बुंदेलखंड के महाकाल
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Published : Feb 8, 2023, 6:32 AM IST

Updated : Feb 8, 2023, 7:24 AM IST

बुंदेलखंड में महाकाल मंदिर

सागर। नेशनल हाईवे 44 पर बांदरी कस्बे के पास खेजरा धाम में महाकाल मंदिर की प्रतिकृति तैयार की गई है. मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम दौर में हैं और अब यह इलाका महाकाल धाम खेजरा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां महाकाल मंदिर की तरह शिवलिंग के दर्शन होंगे. महाकाल मंदिर की तरह प्रवेश द्वार बनाया गया है. गर्भ गृह में महाकाल मंदिर की तरह वास्तु रखा गया है. इसके अलावा गर्भगृह में भगवान महाकाल के साथ-सथ मां गौरी, प्रथम पूज्य गणेश और भगवान कार्तिकेय भी स्थापित किए गए हैं.

Mahakal of Bundelkhand
बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर

निर्माण कार्य की तैयारियां: इस मंदिर में खास बात ये है कि, मंदिर का निर्माण कार्य सिर्फ पुष्य नक्षत्र में किया जाता है. बाकी 27 दिन मंदिर के निर्माण कार्य की तैयारियां चलती रहती हैं. अब तक 108 पुष्य नक्षत्र में मंदिर का निर्माण किया गया है. पहली बार मंदिर में महाशिवरात्रि का आयोजन हो रहा है. आयोजन 13 फरवरी से शुरू होकर 18 फरवरी तक चलेगा. जिसे शिव नवरात्रि के नाम से जाना जाएगा.

Mahakal of Bundelkhand
मंदिर में नंदी महाराज

पं महेश तिवारी की तपस्या का परिणाम: बुंदेलखंड के छोटे से गांव में भगवान महाकाल मंदिर की प्रतिकृति तैयार करने की तपस्या पंडित महेश तिवारी ने की है. पंडित महेश तिवारी को विरासत में धर्म और अध्यात्म की शिक्षा मिली है. उन्होंने तीन विषयों से एमए करने के बाद समाजशास्त्र में पीएचडी की है. कई सरकारी नौकरी करने के बाद भी उनका मन नहीं लगा और सब कुछ छोड़ कर अपने गांव वापस आ गए और महाकाल की सेवा में जुट गए. उज्जैन में भगवान महाकाल के दरबार में सालों समय बिताने के बाद उनके मन में विचार आया कि क्यों ना अपने गांव में महाकाल मंदिर की तर्ज पर ही मंदिर का निर्माण कराया जाए और फिर उन्होंने 2015 में मंदिर निर्माण का काम शुरू किया. मंदिर करीब 2 एकड़ जमीन पर बना हुआ है. मंदिर के निर्माण में भक्त गणों ने भी काफी सहयोग किया है.

Sagar Mahakal Temple
महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर हुआ बुंदेलखंड में मंदिर का निर्माण

Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि कब, शिव-पार्वती विवाह के दिन क्यों मनाया जाता ये पर्व?

पुष्य नक्षत्र में होता है निर्माण कार्य: खेजरा धाम गांव में बन रहे महाकाल मंदिर खास बात यह है कि इसका निर्माण कार्य सिर्फ पुष्य नक्षत्र में ही किया जाता है, बाकी 27 दिन तक पुष्य नक्षत्र में किए जाने वाले निर्माण कार्य की तैयारियां चलती हैं. जय महाकाल सेवा समिति संयोजक पं. महेश तिवारी ने बताया वर्ष 2015 के पुष्य नक्षत्र से लेकर अब तक 108 पुष्य नक्षत्र में मंदिर का निर्माण कार्य किया गया है. पुष्य नक्षत्र के दिन बड़ी संख्या में लोग श्रमदान करने पहुंच जाते हैं. कई भक्त मंदिर निर्माण में योगदान देने के लिए निर्माण सामग्री अपने साथ लाते हैं. हर पुष्प नक्षत्र पर करीब 200 से अधिक लोग और 10 मजदूर मिलकर 24 घंटे काम करते रहे. पं. महेश तिवारी बताते हैं कि देश में शायद ही ऐसे मंदिरों की जिनका निर्माण कार्य पुष्य नक्षत्र में किया गया हो. कुल 108 पुष्य नक्षत्र में मंदिर निर्माण होने के बाद 2022 में अक्षय तृतीया के दिन महाकाल की वैदिक मंत्रों से प्रतिष्ठा की गई है. तब से भक्त अक्षय तृतीया से यहां दर्शन भी कर रहे हैं.

महाकाल मंदिर की तर्ज पर निर्माण: खेजरा के महाकाल धाम में शिवलिंग, प्रवेश-निकास, दिशा और आकृति महाकाल मंदिर की तर्ज पर किया गया है. जिस तरह उज्जैन मंदिर में प्रवेश के लिए गुफानुमा रास्ते और दक्षिण दिशा से जाना पड़ता है, वैसे भी यहां प्रवेश के लिए तैयार होगा और नंदी गृह से वापसी होगी. महाकाल मंदिर की तरह खेजरा धाम में भी रूद्र सागर तालाब का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर की संरचना और आकृति भी महाकाल मंदिर की तरह है. मंदिर का प्रवेश द्वार भी महाकाल मंदिर की तरह बनाया गया है और गर्भ गृह भी वैसा ही बनाया गया है. मंदिर के बाहर की नक्काशी भी महाकाल मंदिर की तरह होना है. अभी तक 52 फीट ऊंचा मंदिर बन चुका है, कुल 96 फुट ऊंचाई रहेगी. मंदिर के ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर भी बनेगा, जिसके साल में एक बार नाग पंचमी पर दर्शन होंगे. बाबा महाकाल की प्रेरणा से कार्य चल रहा है.

रामराजा सरकार और कृष्ण दरबार के भी दर्शन: महाकाल धाम खेजरा के मंदिर परिसर में सिर्फ बाबा महाकाल के दर्शन नहीं होंगे बल्कि रामराजा सरकार और भगवान राधा-कृष्ण का दरबार भी यहां बनाया जा रहा है. मंदिर के बाई तरफ श्री राधाकृष्ण दरबार और दाईं तरफ रामराजा सरकार की स्थापना की गई है. इसके अलावा मंदिर परिसर में ही यज्ञशाला का निर्माण किया गया है. महाकाल मंदिर की तर्ज पर महाकाल उपवन भी लगाया गया है.

पहली बार महाशिवरात्रि का आयोजन: यह पहला मौका होगा जब महाकाल धाम खेजरा में महाशिवरात्रि पर्व का आयोजन होगा. जिसे नव शिवरात्रि नाम दिया गया है. पं. महेश तिवारी बताते है कि 13 फरवरी से महाशिवरात्रि का पर्व शुरू होगा. भगवान की शादी के सभी संस्कार वैदिक रीति रिवाज के साथ कराए जाएंगे. महाशिवरात्रि पर 17 फरवरी सुबह 4 बजे से भक्तों को दर्शन के लिए 19 फरवरी की रात 12 बजे से खुला रखा जाएगा. हिमांशु तिवारी ने बताया कि भगवान की शादी की वैवाहिक पत्रिका भी प्रकाशित की गई है. बांदरी से भगवान शिव की बारात खेजरा धाम के लिए प्रस्थान करेगी.

बुंदेलखंड में महाकाल मंदिर

सागर। नेशनल हाईवे 44 पर बांदरी कस्बे के पास खेजरा धाम में महाकाल मंदिर की प्रतिकृति तैयार की गई है. मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम दौर में हैं और अब यह इलाका महाकाल धाम खेजरा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां महाकाल मंदिर की तरह शिवलिंग के दर्शन होंगे. महाकाल मंदिर की तरह प्रवेश द्वार बनाया गया है. गर्भ गृह में महाकाल मंदिर की तरह वास्तु रखा गया है. इसके अलावा गर्भगृह में भगवान महाकाल के साथ-सथ मां गौरी, प्रथम पूज्य गणेश और भगवान कार्तिकेय भी स्थापित किए गए हैं.

Mahakal of Bundelkhand
बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर

निर्माण कार्य की तैयारियां: इस मंदिर में खास बात ये है कि, मंदिर का निर्माण कार्य सिर्फ पुष्य नक्षत्र में किया जाता है. बाकी 27 दिन मंदिर के निर्माण कार्य की तैयारियां चलती रहती हैं. अब तक 108 पुष्य नक्षत्र में मंदिर का निर्माण किया गया है. पहली बार मंदिर में महाशिवरात्रि का आयोजन हो रहा है. आयोजन 13 फरवरी से शुरू होकर 18 फरवरी तक चलेगा. जिसे शिव नवरात्रि के नाम से जाना जाएगा.

Mahakal of Bundelkhand
मंदिर में नंदी महाराज

पं महेश तिवारी की तपस्या का परिणाम: बुंदेलखंड के छोटे से गांव में भगवान महाकाल मंदिर की प्रतिकृति तैयार करने की तपस्या पंडित महेश तिवारी ने की है. पंडित महेश तिवारी को विरासत में धर्म और अध्यात्म की शिक्षा मिली है. उन्होंने तीन विषयों से एमए करने के बाद समाजशास्त्र में पीएचडी की है. कई सरकारी नौकरी करने के बाद भी उनका मन नहीं लगा और सब कुछ छोड़ कर अपने गांव वापस आ गए और महाकाल की सेवा में जुट गए. उज्जैन में भगवान महाकाल के दरबार में सालों समय बिताने के बाद उनके मन में विचार आया कि क्यों ना अपने गांव में महाकाल मंदिर की तर्ज पर ही मंदिर का निर्माण कराया जाए और फिर उन्होंने 2015 में मंदिर निर्माण का काम शुरू किया. मंदिर करीब 2 एकड़ जमीन पर बना हुआ है. मंदिर के निर्माण में भक्त गणों ने भी काफी सहयोग किया है.

Sagar Mahakal Temple
महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर हुआ बुंदेलखंड में मंदिर का निर्माण

Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि कब, शिव-पार्वती विवाह के दिन क्यों मनाया जाता ये पर्व?

पुष्य नक्षत्र में होता है निर्माण कार्य: खेजरा धाम गांव में बन रहे महाकाल मंदिर खास बात यह है कि इसका निर्माण कार्य सिर्फ पुष्य नक्षत्र में ही किया जाता है, बाकी 27 दिन तक पुष्य नक्षत्र में किए जाने वाले निर्माण कार्य की तैयारियां चलती हैं. जय महाकाल सेवा समिति संयोजक पं. महेश तिवारी ने बताया वर्ष 2015 के पुष्य नक्षत्र से लेकर अब तक 108 पुष्य नक्षत्र में मंदिर का निर्माण कार्य किया गया है. पुष्य नक्षत्र के दिन बड़ी संख्या में लोग श्रमदान करने पहुंच जाते हैं. कई भक्त मंदिर निर्माण में योगदान देने के लिए निर्माण सामग्री अपने साथ लाते हैं. हर पुष्प नक्षत्र पर करीब 200 से अधिक लोग और 10 मजदूर मिलकर 24 घंटे काम करते रहे. पं. महेश तिवारी बताते हैं कि देश में शायद ही ऐसे मंदिरों की जिनका निर्माण कार्य पुष्य नक्षत्र में किया गया हो. कुल 108 पुष्य नक्षत्र में मंदिर निर्माण होने के बाद 2022 में अक्षय तृतीया के दिन महाकाल की वैदिक मंत्रों से प्रतिष्ठा की गई है. तब से भक्त अक्षय तृतीया से यहां दर्शन भी कर रहे हैं.

महाकाल मंदिर की तर्ज पर निर्माण: खेजरा के महाकाल धाम में शिवलिंग, प्रवेश-निकास, दिशा और आकृति महाकाल मंदिर की तर्ज पर किया गया है. जिस तरह उज्जैन मंदिर में प्रवेश के लिए गुफानुमा रास्ते और दक्षिण दिशा से जाना पड़ता है, वैसे भी यहां प्रवेश के लिए तैयार होगा और नंदी गृह से वापसी होगी. महाकाल मंदिर की तरह खेजरा धाम में भी रूद्र सागर तालाब का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर की संरचना और आकृति भी महाकाल मंदिर की तरह है. मंदिर का प्रवेश द्वार भी महाकाल मंदिर की तरह बनाया गया है और गर्भ गृह भी वैसा ही बनाया गया है. मंदिर के बाहर की नक्काशी भी महाकाल मंदिर की तरह होना है. अभी तक 52 फीट ऊंचा मंदिर बन चुका है, कुल 96 फुट ऊंचाई रहेगी. मंदिर के ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर भी बनेगा, जिसके साल में एक बार नाग पंचमी पर दर्शन होंगे. बाबा महाकाल की प्रेरणा से कार्य चल रहा है.

रामराजा सरकार और कृष्ण दरबार के भी दर्शन: महाकाल धाम खेजरा के मंदिर परिसर में सिर्फ बाबा महाकाल के दर्शन नहीं होंगे बल्कि रामराजा सरकार और भगवान राधा-कृष्ण का दरबार भी यहां बनाया जा रहा है. मंदिर के बाई तरफ श्री राधाकृष्ण दरबार और दाईं तरफ रामराजा सरकार की स्थापना की गई है. इसके अलावा मंदिर परिसर में ही यज्ञशाला का निर्माण किया गया है. महाकाल मंदिर की तर्ज पर महाकाल उपवन भी लगाया गया है.

पहली बार महाशिवरात्रि का आयोजन: यह पहला मौका होगा जब महाकाल धाम खेजरा में महाशिवरात्रि पर्व का आयोजन होगा. जिसे नव शिवरात्रि नाम दिया गया है. पं. महेश तिवारी बताते है कि 13 फरवरी से महाशिवरात्रि का पर्व शुरू होगा. भगवान की शादी के सभी संस्कार वैदिक रीति रिवाज के साथ कराए जाएंगे. महाशिवरात्रि पर 17 फरवरी सुबह 4 बजे से भक्तों को दर्शन के लिए 19 फरवरी की रात 12 बजे से खुला रखा जाएगा. हिमांशु तिवारी ने बताया कि भगवान की शादी की वैवाहिक पत्रिका भी प्रकाशित की गई है. बांदरी से भगवान शिव की बारात खेजरा धाम के लिए प्रस्थान करेगी.

Last Updated : Feb 8, 2023, 7:24 AM IST
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