सागर। एक युवा किसान की कोशिश के चलते बुंदेलखंड में सेब की खेती की उम्मीद जगी है. दरअसल जिले के केसली के युवा किसान अनिरुद्ध सिंह ने फार्महाउस पर सेब के 10 पौधे प्रयोग के तौर पर दगाए थे. दो साल तक पौधों की देखभाल के बाद उनका यह प्रयोग अब सफल होते हुए नजर आ रहा है. सेब के पौधों में फूल आना शुरू हो गए हैं और धीरे धीरे फल का आकार ले लेंगे. उद्यानिकी विभाग युवा किसान के प्रयोग पर नजर बनाए हुए हैं और विभाग को भरोसा है कि सेब की खेती का यह प्रयास सफल होगा. सिर्फ देखना यह है कि इधर उगने वाले सेब के फलों का स्वाद और गुणवत्ता कैसी होती है.
खेती में नवाचार के लिए जाने जाते हैं अनिरुद्ध सिंह: पेशे से वकील और जिले के केसली विकासखंड के युवा किसान अनिरुद्ध सिंह बुंदेलखंड में खेती में नवाचारों के लिए जाने जाते हैं.अनिरुद्ध सिंह 2 साल पहले हिमाचल प्रदेश से सेब के 10 पौधे लाए थे. वे प्रयोग के तौर पर देखना चाह रहे थे कि इस इलाके में सेब की खेती की कितनी संभावना है. अब अनिरुद्ध सिंह की मेहनत रंग ला रही है. 2 साल पहले लगाए गए सेब के पौधों में फूल आना शुरू हो गए हैं, जो धीरे-धीरे फल का आकार भी लेने लगे हैं. अनिरुद्ध सिंह के प्रयास पर उद्यानिकी विभाग भी नजर बनाए हुए हैं और पौधों में फूल आने से विभाग का मानना है कि यह प्रयोग एक तरह से सफल हो गया है, सिर्फ फल का इंतजार है. इसके पहले अनिरुद्ध सिंह ने इलाके में सबसे पहले स्ट्रॉबेरी की खेती कर स्थानीय किसानों को स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के लिए उत्साहित किया था, आज कई किसान स्ट्रॉबेरी की फसल उगा रहे हैं.
पहाड़ी इलाकों जैसी जलवायु की होती है जरूरत: बुंदेलखंड की जलवायु और मौसम के लिहाज से यहां सेब की खेती करना चुनौतीपूर्ण काम था. पहाड़ी और ठंडी जलवायु वाले इलाके में होने वाली सेब की खेती के लिहाज से यह इलाका गर्म है. इस बात को ध्यान रखते हुए अनिरुद्ध सिंह ने सेब के पौधे लगाते समय यह ध्यान रखा कि पहाड़ी इलाकों और ठंडी जलवायु जैसी परिस्थितियां सेब के पौधों को मिल सके. उन्होंने अपने फार्म हाउस पर ऐसी जगह का चयन किया जहां सीधी धूप नहीं पड़ती थी और तापमान वहां लगे बड़े पेड़ों के कारण कम रहता है. दो साल पौधों की लगातार देखभाल के बाद अब फूल आने लगे हैं. उद्यानिकी के जानकारों का मानना है कि फूल आने से संभावना हो गई है कि सेब की खेती बुंदेलखंड में संभव है. अब इंतजार इस बात का है कि सेब का स्वाद कैसा होगा.
क्या कहना है उद्यानिकी विभाग का: उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक पीडी चौबे कहते हैं कि वैसे तो सेब की खेती ठंडी जलवायु वाले इलाकों में की जाती है. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सेब की खेती होती है. इसके अलावा दूसरे प्रदेशों और अन्य जिलों में भी इसकी संभावनाओं पर काम किया जा रहा है. सेब की खेती के लिए दोमट मिट्टी की जरूरत होती है, जिसमें जल निकास अच्छे से हो सके और मिट्टी का पीएच मान 5-7 होना चाहिए. तापमान 20 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए. फिलहाल यह प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है. फूल आ गए हैं, तो फल भी आएंगे, लेकिन हमें ये देखना है कि इनकी गुणवत्ता और स्वाद कैसा रहता है. व्यवसाय के स्तर पर सेब की खेती की संभावनाओं को लेकर उद्यानिकी अधिकारी कहते हैं कि ''सेब की खेती इस इलाके में भी की जा सकती है, लेकिन जलवायु के परिवर्तन के बाद सेब का स्वाद बेहतर और फल गुणवत्तापूर्ण होगा, तो इस इलाके में भी सेब की खेती की जा सकती है और हम किसानों को प्रोत्साहित करने के बाद साथ-साथ सरकारी मदद भी दिलाएंगे''.