सागर। जिले में किसान बड़े पैमाने पर टमाटर का उत्पादन (Tomato Production) करते हैं. अपने स्वाद के लिए पूरे बुंदेलखंड (Bundelkhand Tomato) और आसपास के इलाकों में सागर जिले के टमाटर की एक अलग पहचान है. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई 'एक जिला एक उत्पाद' (One District One Product Scheme) योजना के तहत जिले में अब टमाटर से जुड़ी फूड प्रोसेसिंग यूनिट (Food Processing Unit) लगाने के लिए बड़े पैमाने पर सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है. अपनी फसल का करीब 25% नुकसान सहने वाले और समय पर सही दाम v हासिल करने वाले किसान अब टोमेटो सॉस (Tomato Sauce), केचप (Tomato Ketchup), सूप (Tomato Soup) और चटनी (Tomato Chuteny) की भी प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं. सरकार द्वारा इसमें 35% या 10 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा.
बड़े पैमाने पर होती है टमाटर की खेती
जिले में किसान बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती (Tomato Farming) करते हैं. हालांकि यहां पर अभी भी टमाटर की देसी (Desi Tomato) किस्में ही लगाई जाती हैं. अपने स्वाद और रस के लिए जिले के देसी टमाटर का पूरे बुंदेलखंड और आसपास के इलाकों में काफी नाम है. देसी किस्म के टमाटर का खट्टापन काफी मशहूर है. जिले में 5000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर टमाटर का प्रतिवर्ष उत्पादन किया जाता है. जिले के चनौआ, काछी पिपरिया जैसे कई गांव में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की जाती है.
स्वाद के लिए मशहूर पर किसानों के लिए परेशानी
सागर का टमाटर वैसे तो काफी मशहूर है, लेकिन टमाटर की खेती करने वाले किसानों को कई बार काफी नुकसान सहना पड़ता है. मौसम के मिजाज (Weather Effect on Tomato Farming) के चलते हर साल करीब 25 फीसदी फसल या तो सड़ जाती है या नष्ट हो जाती है. इसके अलावा जब टमाटर का बंपर उत्पादन होता है, तो उचित दाम न मिलने (Today Tomato Price) के कारण किसान टमाटर को सड़क पर फेंकने के लिए मजबूर होता है. जब टमाटर का भाव तेज हो जाता है, तो टमाटर का उत्पादन काफी कम होता है. इन परिस्थितियों से लड़ते हुए किसान अपने टमाटर का स्वाद और खट्टापन महफूज किए हुए हैं.
एक जिला एक उत्पाद में टमाटर को किया शामिल
आत्मनिर्भर भारत के तहत आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा हर जिले के एक उत्पाद को फूड प्रोसेसिंग के लिए चयनित किया है. इसके तहत सागर जिले में टमाटर का चयन किया गया है. टमाटर उत्पादक किसानों को टमाटर से जुड़ी फूड प्रोसेसिंग यूनिट (Tomato Food Processing Unit) लगाने के लिए सरकार अनुदान दे रही है. इसके तहत किसान खुद प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर टोमेटो सॉस, केचप, सूप, चटनी और पल्प की प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं. इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ 35% या 10 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा.
टमाटर से जुड़े आंकड़े
- जिले में करीब 5419 हेक्टेयर में टमाटर का उत्पादन होता है.
- देसी किस्म का टमाटर अपने खट्टेपन और स्वाद के लिए मशहूर है.
- टमाटर से जुड़ी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए किसान को उन्नत और हाइब्रिड किस्म का टमाटर (Hybrid Seeds of Tomato) लगाना होगा.
- 2020-21 में एक जिला एक उत्पाद के तहत जिले में 5 प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का लक्ष्य दिया गया था, जिसके लिए 6 आवेदन आए थे
- 2021 और 2022 में 50 प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य दिया गया है, जिसके लिए अभी तक 16 आवेदन आए हैं.
- टमाटर से जुड़ी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार द्वारा 35% या फिर 10 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा.
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किसानों में भी उत्साह
सब्जी और खासतौर पर टमाटर का उत्पादन करने वाले किसानों (Farmer View on Tomato Farming) का मानना है कि इस तरह की प्रोसेसिंग यूनिट लगने से वह अपनी उन फसलों को बचा सकेंगे, जो उचित दाम न मिलने के कारण नष्ट हो जाती है. किसानों का कहना है कि सरकार से मिलने वाली मदद अगर पर्याप्त होगी, तो वह खुद इस तरह की यूनिट लगाएंगे. किसान मानते हैं कि टमाटर की खेती में ज्यादा पैदावार होने पर उचित दाम नहीं मिलता है और मंडी की दूरी के कारण परिवहन लागत भी ज्यादा हो जाती है.अगर सरकार हमें इस तरह के साधन उपलब्ध कराएगी, तो हम जरूर इस तरह के काम करेंगे.