सागर। बड़े पैमाने पर पंच के पद खाली जाने के मामले में जनप्रतिनिधियों का कहना है कि पंच पद के लिए ना तो कोई अधिकार है और ना ही कोई शक्तियां हैं. वहीं गांव के विकास में उनकी कोई अहम भूमिका भी नहीं है. इसलिए लोग पंच पद पर नामांकन दाखिल करने में रुचि नहीं दिखाते हैं.सरकार को अधिनियम में संशोधन करके पंचों को अधिकार संपन्न बनाना चाहिए ताकि व्यवस्था में पंचों का महत्व बढ़े. ये संविधान की मंशा के विपरीत है. संविधान की मंशा थी कि लोकतंत्र को निचले स्तर तक लागू किया जाए. मध्यप्रदेश की सरकार संविधान की मंशा को लागू करने में विफल रही है.
सागर जिले में ही 1602 पंच पद रिक्त : मध्यप्रदेश स्तर पर देखें तो प्रदेश में 3 लाख 63 हजार 726 पंच के पद हैं. जिनमें से 2 लाख 63 हजार के करीब पद खाली रह गए. पिछले पंचायत चुनाव में यह आंकड़ा 2 लाठ 51 हजार था. अगर सागर जिले की ही बात करें जिले में 765 ग्राम पंचायतों में पंच के 9995 पद के लिए 8390 नामांकन दाखिल हुए हैं. इस हिसाब से 1602 पद खाली हैं.
क्यों नहीं दिखा रहे पंच बनने में ग्रामीण रुचि : पंचायत चुनाव में पंचों के लाखों पद खाली रहने के मामले में जब ग्रामीणों से बातचीत की गई तो उनका कहना है कि पंचायती राज में पंच पद का कोई महत्व नहीं है. एक तरफ पंच का चुनाव लड़ने के लिए ग्रामीण को तरह-तरह के नो ड्यूज हासिल करने में पैसा खर्च करना होता है और फिर नामांकन दाखिल करने में भी खर्च होता है, लेकिन जब पंच की भूमिका की बात आती है तो ये नगण्य है. ना तो उसे विकास कार्यों के लिए कोई राशि हासिल होती है और ना ही कोई उसे ऐसा अधिकार और शक्तियां हैं, जिनका उपयोग कर अपने पद का महत्व जता सके.
![Question on Panchayati Raj system](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sgr-02-panch-parmeshwar-par-sawal-cut-bite-7208095_11062022135454_1106f_1654935894_188.jpg)
क्या कहते हैं पंच पद के प्रत्याशी : ऐसी स्थिति में लोग पंच बनने के लिए होने वाली मशक्कत से बचने के लिए नामांकन दाखिल नहीं करते हैं. सागर जनपद से पंच प्रत्याशी का नामांकन दाखिल करने वाले धनीराम कुशवाहा कहते हैं कि पंचायती राज में पंच के लिए ना तो महत्व दिया गया है और ना ही किसी तरह के अधिकार दिए गए हैं. ना ही पंच के लिए कोई प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसको लेकर पंच बनने में लोगों रुचि लें. मेरी सरकार से अपील है कि पंच को इतनी शक्ति और अधिकार दिए जाएं है कि वह अपने वार्ड की समस्या का निराकरण करने में सक्षम हो. रामराज अहिरवार कहते हैं कि पंच पद के लिए लोग इसलिए जागरूक नहीं हैं. क्योंकि ग्राम पंचायतों में उस को सम्मान नहीं मिलता है. पंच के लिए गांव के सरपंच और जनपद सदस्य भूल जाते हैं कि कोई पंच है या नहीं है. सरपंच, सचिव और जनपद सदस्य मिलकर ही पंचायत चलाते हैं. हम चाहते हैं कि पंच को सम्मान मिले शक्तियां मिलें और अधिकार संपन्न बनाया जाए.
![Question on Panchayati Raj system](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sgr-02-panch-parmeshwar-par-sawal-cut-bite-7208095_11062022135454_1106f_1654935894_161.jpg)
करीब 6 महीने लग जाएंगे रिक्त पद भरने में : सागर की उप जिला निर्वाचन अधिकारी शशि मिश्रा का कहना है कि पंचायत राज चुनाव प्रक्रिया में जो पद खाली रह गए हैं, उनकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी. मौजूदा चुनाव संपन्न होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग इन रिक्त पदों के चुनाव के बारे में कार्यक्रम जारी करेगा. ज्यादातर रिक्त पदों के चुनाव उपचुनाव के साथ संपन्न किए जाते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग की सूत्रों की मानें, तो फिलहाल की स्थिति में अक्टूबर तक पंचायत के रिक्त पदों के चुनाव होने की संभावना नहीं है.
![Question on Panchayati Raj system](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-sgr-02-panch-parmeshwar-par-sawal-cut-bite-7208095_11062022135454_1106f_1654935894_350.jpg)
क्या कहते हैं जानकार : वरिष्ठ एडवोकेट जगदेव सिंह ठाकुर कहते हैं कि 1992 में संविधान में 73वें संशोधन के जरिए भारत में त्रिस्तरीय पंचायती राज लागू किया गया था. इस संशोधन के बाद मध्यप्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 लागू किया गया. इसमें जिला, जनपद और ग्राम पंचायत की त्रिस्तरीय व्यवस्था की गई थी. ग्राम और ग्राम के समूह द्वारा ग्राम पंचायत का गठन किया जाता है. इस व्यवस्था में सरपंच और उपसरपंच की भूमिका होती है. पंच और सरपंच के चुनाव के लिए स्थानीय निवासी मताधिकार का उपयोग करते हैं.
सारे अधिकार सरपंच व सचिव को : वर्तमान में मध्य प्रदेश में पंचायत प्रक्रिया में पंच के करीब ढाई लाख पद खाली रह गए हैं. इसमें पंच पद पर आवेदन ही नहीं भरे गए हैं. पंच बनने में लोगों की रुचि ना होने का मुख्य कारण है कि अधिनियम में पंचों के लिए कोई विशेष अधिकार नहीं दिए गए. समस्त अधिकार सरपंच और ग्राम पंचायत के कर्मचारियों को दिए गए हैं. पंच नाम मात्र का पद रह गया है. इस व्यवस्था में लोगों की रुचि ना होना सरकार की विफलता है.