सागर। शहर की पहचान कही जाने वाली ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील को सजाने-संवारने और बचाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत योजना तैयार की गई है. जो करीब 110 करोड़ के प्रोजेक्ट का काम शुरू भी हो चुका है और शुरुआती दौर में लाखा बंजारा झील की डिसिल्टिंग(गाद निकालना) का काम किया जा रहा है, लेकिन काम की गति इतनी धीमी हैं कि इसे लेकर विपक्ष तो नाराज है ही, साथ में सत्ता पक्ष में भी जमकर नाराजगी है. विपक्ष का कहना है कि सागर शहर के लोगों को लाखा बंजारा झील के प्रोजेक्ट स्वीकृत होने से काफी खुशी हुई थी, लेकिन काम की गति को देखकर निराशा का माहौल बन गया है. वहीं स्थानीय भाजपा विधायक भी काम की गति को लेकर नाराज हैं और उन्होंने इसकी गति तेज करने की मांग की है.
लाखा बंजारा झील का इतिहास
कहा जाता है कि सागर शहर का नाम सागर, लाखा बंजारा झील के कारण ही पड़ा है. शहर के बीचोबीच स्थित झील के बारे में तरह-तरह के मत हैं. इसमें सबसे मशहूर कहानी लाखा बंजारा की कही जाती है, जिसमें उन्होंने झील के निर्माण के लिए अपने बहू और बेटे का बलिदान दिया था. वहीं जानकारों का कहना है कि यह प्राकृतिक तौर पर बना सरोवर होगा, जिसे बाद में राजा महाराजाओं और अन्य लोगों ने विकसित किया होगा. एक मत यह भी है कि जब वह 16वीं सदी में राजा ऊदनशाह ने तालाब किनारे बसा गांव परकोटा बसाया था, तब यहां झील पहले से मौजूद थी.
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत संजाने-संवारने और बचाने का काम
करीब 400 एकड़ में फैली हुई लाखा बंजारा झील की साफ सफाई और सौंदर्यीकरण सागर की सियासत का हमेशा मुद्दा रहा है. इस मुद्दे ने जब जोर पकड़ा तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत झील को सजाने-संवारने और बचाने के लिए 110 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया गया. इस प्रोजेक्ट में झील की सफाई के साथ सौंदर्य करण और आसपास पर्यटन की सुविधाएं विकसित करने का काम किया जा रहा है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यह काम शुरू भी हो गया है और सबसे पहले तालाब की सफाई का काम चल रहा है.
प्रोजेक्ट की कछुआ चाल से पक्ष, विपक्ष सभी नाराज
लाखा बंजारा झील की सफाई का जो काम शुरू हुआ है, इसमें सबसे पहले डिसिल्टिंग का काम किया जा रहा है. फिलहाल सिर्फ एक मशीन ही तालाब की डिसिल्टिंग का काम कर रही है और एक दिन में करीब 300 डंपर सिल्ट(गाद) निकाली जा रही है. इसको लेकर विपक्ष तो नाराज है. वहीं स्थानीय भाजपा विधायक भी काम की गति से बिल्कुल खुश नहीं हैं.
काम की धीमी गति से लोगों में निराशा
मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि जिस तरह से तालाब की सफाई का काम चल रहा है और जिन हाथों में काम है, उससे निश्चित तौर पर शहर के लोग सुखी नहीं हैं, इसको निराशाजनक तौर पर लिया जा रहा है. अभी मुख्यमंत्री का सागर आगमन हुआ था, तो उम्मीद जगी थी कि इस मामले में गतिशीलता आएगी. दुर्भाग्य की बात यह है कि इस गतिशीलता ना आने के कारण अनेकानेक हैं. जिस के संबंध में प्रशासन और यहां के जनप्रतिनिधि और विशेष तौर पर विभागीय मंत्री भूपेंद्र सिंह के गृह जिले में इस तरह की कछुआ चाल चली जा रही है, तो समझ लेना चाहिए कि प्रदेश के बाकी इलाकों के क्या हाल होंगे.
काम की गति से बिल्कुल खुश नहीं
वहीं स्थानीय भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन कहते हैं कि 'निश्चित तौर पर अभी जिस तरह का काम चल रहा है, उससे वे बिल्कुल खुश नहीं है, जिस तरह की काम की गति होना चाहिए, वैसी गति नहीं है. अभी 2 दिन पहले मैं गया था, सफाई के काम में कम मशीन लगाई गई हैं, इन मशीनों की संख्या चार गुनी होना चाहिए. 300 डंपर मिट्टी जो रोजाना निकाली जा रही है, वह कम से कम 600 डंपर निकाला जाना चाहिए. तब जाकर हम बरसात के पहले डी सिल्टिंग का काम पूरा कर पाएंगे.'
बहरहाल इस प्रोजेक्ट के तहत बड़े पैमाने पर झील के जीर्णोद्धार का काम करने की योजना बनाई गई है, हालांकि इस काम में काफी अवरोध भी आ रहे हैं और इसकी काम की गति से लोग नाखुश भी है, लेकिन सागरवासियों को उम्मीद है कि अंतत: योजना पर काम हो सकेगा और यह ऐतिहासिक झील पुन: जीवित हो सकेगी.