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पेट्रोल पंप के लिए नए नियम जारी, रोके जायेंगे मिट्टी और प्रदूषण

पेट्रोलियम पदार्थ के स्टॉक के लिए एक अंडरग्राउंड टैंक का निर्माण किया जाता है. अंडरग्राउंड टैंक में बारिश का पानी, लीकेज का पानी या मिट्टी के कारण प्रदूषण का खतरा बना रहता है. इसके लिए पेट्रोलियम पर्यावरण और कई अन्य विभागों द्वारा रखरखाव के नियम तैयार किए गए हैं. पढ़िए पूरी खबर..

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पेट्रोल पंप के लिए नए नियम जारी
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Published : Mar 29, 2021, 1:56 PM IST

सागर। हर पेट्रोल पंप पर पेट्रोलियम पदार्थ के स्टॉक के लिए एक अंडरग्राउंड टैंक का निर्माण किया जाता है. अंडरग्राउंड टैंक में बारिश का पानी, लीकेज का पानी या मिट्टी के कारण प्रदूषण का खतरा बना रहता है. इसके लिए पर्यावरण और कई अन्य विभागों द्वारा रखरखाव के नियम तैयार किए गए हैं. मुख्य रूप से अंडरग्राउंड पेट्रोल पंप की पहली जिम्मेदारी पेट्रोल पंप संचालक की होती है. दूसरी जिम्मेदारी संबंधित तेल कंपनी की होती है. इस बारे में आम जनता द्वारा शिकायत करने पर जिला प्रशासन हस्तक्षेप करता है. तेल कंपनियां नियमित रूप से टैंक की साफ-सफाई और सुरक्षा को लेकर ध्यान रखती है. इसके लिए बाकायदा सरकार ने नियमावली तैयार की है.

नए नियमों के तहत पेट्रोल पंप में अंडरग्राउंड टैंक बनाना अनिवार्य होगा. साथ ही टैंक से जुड़े पाइप, पंप, कनेक्टर्स, फिटिंग को आईएएस स्टेंडर्ड का रखना होगा. सभी अंडरग्राउंड टैंक और पाइपलाइन की हर पांच साल में जांच की जाएगी. अंडरग्राउंड टैंक से कचरा निकालना और इसका निस्तारण खतरनाक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के अनुरूप करना होगा. कचरा निस्तारण का पूरा रिकॉर्ड होगा.

पेट्रोल पंप के लिए नए नियम जारी


सिस्टम खराब होने पर 24 से 72 घंटे के अंदर ठीक करना होगा
एक लाख आबादी वाले शहर में 300 किलोलीटर एमएस प्रतिमाह क्षमता वाले पेट्रोल पंप को वैपर रिकवरी सिस्टम (व्हीपीएस) दिया जाएगा. ठीक प्रकार से संचालित न करने पर संबंधित पेट्रोल पंप पर वीआरएस की कीमत के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा. वीआरएस के संचालन की जिम्मेदारी संबंधित तेल कंपनी की होगी. इसकी ऑनलाइन निगरानी की जाएगी कि सिस्टम संचालित हो रहा है कि नहीं. सिस्टम खराब होने पर 24 से 72 घंटे के अंदर इसे ठीक करना होगा.

10 लाख की आबादी में 300 किलोलीटर एमएस प्रतिमाह या उससे अधिक की बिक्री वाले पेट्रोल पंप की साल में एक बार जांच की जाएगी. जांच में देखा जाएगा कि पेट्रोल पंप नियमों का पालन कर रहा है कि नहीं.

अगर किसी फ्यूल स्टेशन पर 165 लीटर/एक बैरल से ज्यादा डीजल पेट्रोल या ल्यूब ऑयल लीकेज हो जाता है, तो तत्काल पेट्रोल पंप को बंद करना होगा. इसके बाद संबंधित तेल कंपनी द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन को इसकी सूचना देनी होगी. लीकेज की स्थिति में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरणीय जुर्माना लगाएगा, जिसका आकलन मिट्टी और भूजल के प्रदूषण के आधार पर होगा.

अंडरग्राउंड फ्यूल टैंक में मिलावट, लीकेज के पानी का मिश्रण और मिट्टी के मिलने को लेकर जिम्मेदारी मुख्य रूप से तेल कंपनी को निर्धारित की जाती है. उसे समय-समय पर सभी पेट्रोल पंप के अंडरग्राउंड टैंक की सुरक्षा की जांच करनी होती है. अगर इस मामले में किसी तरह की शिकायत जनता स्तर पर जिला प्रशासन पर पहुंची है, तब प्रशासन सरकारी नियमों के तहत कार्रवाई करता है.

सागर। हर पेट्रोल पंप पर पेट्रोलियम पदार्थ के स्टॉक के लिए एक अंडरग्राउंड टैंक का निर्माण किया जाता है. अंडरग्राउंड टैंक में बारिश का पानी, लीकेज का पानी या मिट्टी के कारण प्रदूषण का खतरा बना रहता है. इसके लिए पर्यावरण और कई अन्य विभागों द्वारा रखरखाव के नियम तैयार किए गए हैं. मुख्य रूप से अंडरग्राउंड पेट्रोल पंप की पहली जिम्मेदारी पेट्रोल पंप संचालक की होती है. दूसरी जिम्मेदारी संबंधित तेल कंपनी की होती है. इस बारे में आम जनता द्वारा शिकायत करने पर जिला प्रशासन हस्तक्षेप करता है. तेल कंपनियां नियमित रूप से टैंक की साफ-सफाई और सुरक्षा को लेकर ध्यान रखती है. इसके लिए बाकायदा सरकार ने नियमावली तैयार की है.

नए नियमों के तहत पेट्रोल पंप में अंडरग्राउंड टैंक बनाना अनिवार्य होगा. साथ ही टैंक से जुड़े पाइप, पंप, कनेक्टर्स, फिटिंग को आईएएस स्टेंडर्ड का रखना होगा. सभी अंडरग्राउंड टैंक और पाइपलाइन की हर पांच साल में जांच की जाएगी. अंडरग्राउंड टैंक से कचरा निकालना और इसका निस्तारण खतरनाक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के अनुरूप करना होगा. कचरा निस्तारण का पूरा रिकॉर्ड होगा.

पेट्रोल पंप के लिए नए नियम जारी


सिस्टम खराब होने पर 24 से 72 घंटे के अंदर ठीक करना होगा
एक लाख आबादी वाले शहर में 300 किलोलीटर एमएस प्रतिमाह क्षमता वाले पेट्रोल पंप को वैपर रिकवरी सिस्टम (व्हीपीएस) दिया जाएगा. ठीक प्रकार से संचालित न करने पर संबंधित पेट्रोल पंप पर वीआरएस की कीमत के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा. वीआरएस के संचालन की जिम्मेदारी संबंधित तेल कंपनी की होगी. इसकी ऑनलाइन निगरानी की जाएगी कि सिस्टम संचालित हो रहा है कि नहीं. सिस्टम खराब होने पर 24 से 72 घंटे के अंदर इसे ठीक करना होगा.

10 लाख की आबादी में 300 किलोलीटर एमएस प्रतिमाह या उससे अधिक की बिक्री वाले पेट्रोल पंप की साल में एक बार जांच की जाएगी. जांच में देखा जाएगा कि पेट्रोल पंप नियमों का पालन कर रहा है कि नहीं.

अगर किसी फ्यूल स्टेशन पर 165 लीटर/एक बैरल से ज्यादा डीजल पेट्रोल या ल्यूब ऑयल लीकेज हो जाता है, तो तत्काल पेट्रोल पंप को बंद करना होगा. इसके बाद संबंधित तेल कंपनी द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन को इसकी सूचना देनी होगी. लीकेज की स्थिति में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरणीय जुर्माना लगाएगा, जिसका आकलन मिट्टी और भूजल के प्रदूषण के आधार पर होगा.

अंडरग्राउंड फ्यूल टैंक में मिलावट, लीकेज के पानी का मिश्रण और मिट्टी के मिलने को लेकर जिम्मेदारी मुख्य रूप से तेल कंपनी को निर्धारित की जाती है. उसे समय-समय पर सभी पेट्रोल पंप के अंडरग्राउंड टैंक की सुरक्षा की जांच करनी होती है. अगर इस मामले में किसी तरह की शिकायत जनता स्तर पर जिला प्रशासन पर पहुंची है, तब प्रशासन सरकारी नियमों के तहत कार्रवाई करता है.

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