सागर। मध्यप्रदेश के सातवें टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित होने जा रहे सबसे बड़े वन्य जीव अभ्यारण नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ किशन की मौत के बाद शनिवार शाम को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. एनटीसीए के प्रोटोकॉल के तहत हुए बाघ किशन के अंतिम संस्कार के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. एक तरफ चर्चा है कि किशन की मौत समय पर इलाज ना मिलने के कारण हुई है तो दूसरी तरफ अभयारण्य प्रबंधन का कहना है कि बाघों के आपसी संघर्ष में बाघ कशन के सर पर गंभीर चोट आई थी. लगातार तीन दिन तक उसका इलाज किया गया था, लेकिन उसक बचाया नहीं जा सका है. प्रबंधन का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद बाघ की मौत की असली वजह सामने आएगी.
क्या है मामला: दरअसल पिछले हफ्ते मंगलवार को जब नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य की पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी तो बमनेर नदी के खेरवा घाट पर बाघ किशन एन-2 घायल अवस्था में मिला था. इसकी तत्काल सूचना अभ्यारण्य ने प्रबंधन को दी गई थी और अभयारण्य प्रबंधन द्वारा पन्ना नेशनल पार्क में संपर्क कर बाघ किशन के इलाज के लिए डॉक्टर संजीव गुप्ता को बुलाया था जिन्होंने बुधवार से किशन का इलाज शुरू किया था और लगातार तीन दिनों तक ट्रेंकुलाइजर गन के जरिए बाघ किशन का इलाज किया जा रहा था.
शुक्रवार तक इलाज करने के बाद डॉक्टर संजीव गुप्ता अपनी टीम के साथ पन्ना वापस चले गए थे और शनिवार को बाघ किशन की मौत की सूचना मिली. अभ्यारण्य में प्रबंधन का कहना है कि करीब 10 दिन पहले 7 या 8 जून को टेरिटरी को लेकर दोनों बाघों के बीच संघर्ष हुआ था जिसमें बाघ किशन गंभीर रूप से घायल हो गया था और पेट्रोलिंग टीम को मंगलवार को बमनेर नदी के खेरवा घाट के पास घायल अवस्था में मिला था. वही संभावना व्यक्त की जा रही है कि N2 का N3 से संघर्ष हुआ था, जो अभी तक नजर नहीं आया है दरअसल N3 के गले में कालर आईडी नहीं है, इसलिए उसे ढूंढने में भी परेशानी हो रही है.
किस स्थिति में मिला बाघ किशन: शुक्रवार तक बाघ किशन के इलाज के बाद वन्य जीव अभयारण्य प्रबंधन को उसकी हालत में सुधार का भरोसा था और पन्ना नेशनल पार्क से आई डॉक्टर्स की टीम वापस चली गई थी लेकिन शनिवार सुबह जब अभयारण्य की पेट्रोलिंग टीम बमनेर नदी के सतधारा घाट के पास से गुजरी, तो खेरवा घाट के यहां बाघ किशन मृत अवस्था में मिला. किशन के पीछे के पैर नदी में पानी में पड़े हुए थे जबकि उसका चेहरा नदी के पानी की विपरीत दिशा में था. बताया जा रहा है कि किशन की उम्र लगभग 8 साल हो चुकी थी और वजन 180 किलोग्राम था. उसकी लंबाई 190 सेंटीमीटर और ऊंचाई 125 सेंटीमीटर थी.
मेहमान बाघ N-3 करना चाह रहा था किशन की टेरिटरी पर कब्जा: नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय बाघ परियोजना के तहत 2018 में बांधवगढ़ से बाघ किशन को नौरादेही लाया गया था. बाघ किशन ने नौरादेही रेंज में बमनेर नदी के आसपास अपनी टेरिटरी (क्षेत्र) बनाई थी. कुछ दिनों पहले नौरादेही अभयारण्य में एक बाहर से बाघ आकर रहने लगा था, जिसे N-3 नाम दिया गया था. इसकी टेरिटरी सिंगारपुर रेंज के आसपास थी लेकिन वह लगातार नौरादेही रेंज में बाघ किशन की टेरिटरी पर कब्जा करना चाहता था और इस कब्जे को लेकर दोनों के बीच पहले भी कई बार छोटा-मोटा संघर्ष हुआ है लेकिन 7 और 8 जून के बीच हुए संघर्ष में किशन की मौत हो गई.
क्या कहना है वन विभाग का: सागर वन वृत्त के सीसीएफ अनिल सिंह का कहना है कि बाघ किशन मतलब N-2 बाघ की मौत हो गई है. इसकी मौत की वजह बाघों के बीच टेरिटरी फाइट है. बाघ किशन के सर पर घाव है और आपसी संघर्ष में चोट लगने के कारण बाघ की मौत हुई है. बाघ N-2 का N-3 के साथ संघर्ष हुआ था. हम N-3 का भी पता लगा रहे हैं. संभावना है कि ज्यादा घायल नहीं है. वह युवावस्था में हैं और उसे ज्यादा दिक्कत नहीं है, हमें उसके पगमार्क मिले हैं.
पन्ना टाइगर रिजर्व के डॉक्टर और जबलपुर के वेटेरिनरी यूनिवर्सिटी की टीम के समक्ष एनटीसीए की गाइडलाइन के तहत बाघ किशन का अंतिम संस्कार किया गया. इलाज में लापरवाही या देरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस वजह से मौत नहीं हुई है. लगातार तीन दिन से डॉक्टर यहीं रहकर उसका इलाज कर रहे थे और फिर पन्ना गए हैं. मौत का का असली कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पता चलेगा. फिलहाल यह आपसी संघर्ष के कारण हुई मौत है.