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नगर निगम ने उठाया जिम्मा: 20 कोरोना मृतकों का किया अस्थि विसर्जन

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Published : May 21, 2021, 10:53 PM IST

सागर नगर निगम ने 20 कोरोना मृतकों का अस्थि विसर्जन किया.

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नगर निगम ने कोरोना मृतकों का किया अस्थि विसर्जन

सागर। वैसे तो नगर निगम एक ऐसा सरकारी दफ्तर होता हैं, जहां हर व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु तक की औपचारिकताओं के लिए जाना होता हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में ऐसी स्थितियां उपजी हैं कि नगर निगम को व्यकित की मृत्यु के बाद की औपचारिकताएं भी पूरी करनी पड़ रही हैं. हम बात कर रहे हैं सागर नगर निगम की.

दरअसल, कोरोना के कहर के चलते रोजाना मौतों का सिलसिला जारी हैं. काकागंज वार्ड स्थित श्मशान घाट में कोरोना संक्रमित मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई थी. यह काम नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था, लेकिन श्मशान घाट में ऐसी स्थिति बनी कि करीब 20 लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थि विसर्जन के संस्कार की परंपरा पूरी करने ही नहीं आए. करीब एक महीने तक नगर निगम ने उनकी अस्थियां सहेज कर रखी, लेकिन जब मृतकों के परिजन अस्थियों को लेने नहीं आए, तो नगर निगम ने फैसला किया कि हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा. नगर निगम के अमले ने विधिवत पूजा-अर्चना के साथ अस्थियों का विसर्जन मां नर्मदा के बरमान घाट पर किया.

अंतिम संस्कार के बाद अंतिम संस्कार करने नहीं आए परिजन


काकागंज वार्ड स्थित श्मशान घाट में कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई हैं. कोविड गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार के लिए बाकायदा नगर निगम का अमला भी तैनात था. जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तो श्मशान घाट में रोजाना 10 से 15 तक कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार होते थे. अंतिम संस्कार के लिए परिजन पहुंचते थे. इसके बाद अस्थि विसर्जन जैसा महत्वपूर्ण संस्कार भी होता था. नगर निगम ने अंतिम संस्कार के बाद तीन दिन तक स्थान को सुरक्षित रखने का फैसला किया था.

नगर निगम ने कोरोना मृतकों का किया अस्थि विसर्जन

नगर निगम का मानना था कि अस्थि विसर्जन के लिए लोग आएंगे, तो उन्हें परेशानी नहीं होना चाहिए. ज्यादातर लोगों ने अंतिम संस्कार के बाद की अस्थि विसर्जन की परंपरा को भी पूरा किया, लेकिन कई लोग अंतिम संस्कार के बाद दोबारा श्मशान घाट नहीं पहुंचे.

स्थान सुरक्षित रखने के कारण पड़ने लगी थी जगह की कमी


हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार, अंतिम संस्कार के तीन दिन के भीतर अस्थि संचयन और अस्थि विसर्जन का संस्कार संपन्न होता हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निगम द्वारा काकागंज वार्ड में स्थित श्मशान घाट में व्यवस्था की गई थी कि जब तक मृतकों के परिजन अस्थि संचयन न करें, तब तक स्थान को सुरक्षित रखा जाए. वहां पर दूसरा कोई अंतिम संस्कार नहीं किया जाए, लेकिन करीब 20 मृतकों के परिजन अस्थि संचयन के लिए श्मशान घाट नहीं पहुंचे, तो नगर निगम कर्मचारियों ने तय किया कि जिन मृतकों के अस्थि संचयन के लिए उनके परिजन नहीं आए हैं, उनके अस्थि विसर्जन का कार्य नगर निगम हिंदू रीति-रिवाज से करेगा.


नर्मदा नदी के बरमान घाट पर किया गया अस्थि विसर्जन


नगर निगम कर्मचारियों ने हिंदू रीति-रिवाज से 20 मृतकों की अस्थियों का संचयन किया. इसके बाद निगम का अमला 20 मृतकों की अस्थियां लेकर नर्मदा नदी के बरमान घाट के लिए रवाना हुआ. वहां पर पूजा-अर्चना के उपरांत 20 कोरोना मृतकों का अस्थि विसर्जन किया गया.

लोगों ने नगर निगम की पहल की सराहना

कोरोना की भयावहता के बीच श्मशान घाट पर अपनी सेवाएं दे रहे नगर निगम कर्मचारियों की इस पहल की जमकर सराहना हो रही हैं. लोगों का कहना है कि एक तरफ जहां परिवार कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार नहीं कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर नगर निगम के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं.

सागर। वैसे तो नगर निगम एक ऐसा सरकारी दफ्तर होता हैं, जहां हर व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु तक की औपचारिकताओं के लिए जाना होता हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में ऐसी स्थितियां उपजी हैं कि नगर निगम को व्यकित की मृत्यु के बाद की औपचारिकताएं भी पूरी करनी पड़ रही हैं. हम बात कर रहे हैं सागर नगर निगम की.

दरअसल, कोरोना के कहर के चलते रोजाना मौतों का सिलसिला जारी हैं. काकागंज वार्ड स्थित श्मशान घाट में कोरोना संक्रमित मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई थी. यह काम नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था, लेकिन श्मशान घाट में ऐसी स्थिति बनी कि करीब 20 लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थि विसर्जन के संस्कार की परंपरा पूरी करने ही नहीं आए. करीब एक महीने तक नगर निगम ने उनकी अस्थियां सहेज कर रखी, लेकिन जब मृतकों के परिजन अस्थियों को लेने नहीं आए, तो नगर निगम ने फैसला किया कि हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा. नगर निगम के अमले ने विधिवत पूजा-अर्चना के साथ अस्थियों का विसर्जन मां नर्मदा के बरमान घाट पर किया.

अंतिम संस्कार के बाद अंतिम संस्कार करने नहीं आए परिजन


काकागंज वार्ड स्थित श्मशान घाट में कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई हैं. कोविड गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार के लिए बाकायदा नगर निगम का अमला भी तैनात था. जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तो श्मशान घाट में रोजाना 10 से 15 तक कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मृतकों के अंतिम संस्कार होते थे. अंतिम संस्कार के लिए परिजन पहुंचते थे. इसके बाद अस्थि विसर्जन जैसा महत्वपूर्ण संस्कार भी होता था. नगर निगम ने अंतिम संस्कार के बाद तीन दिन तक स्थान को सुरक्षित रखने का फैसला किया था.

नगर निगम ने कोरोना मृतकों का किया अस्थि विसर्जन

नगर निगम का मानना था कि अस्थि विसर्जन के लिए लोग आएंगे, तो उन्हें परेशानी नहीं होना चाहिए. ज्यादातर लोगों ने अंतिम संस्कार के बाद की अस्थि विसर्जन की परंपरा को भी पूरा किया, लेकिन कई लोग अंतिम संस्कार के बाद दोबारा श्मशान घाट नहीं पहुंचे.

स्थान सुरक्षित रखने के कारण पड़ने लगी थी जगह की कमी


हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार, अंतिम संस्कार के तीन दिन के भीतर अस्थि संचयन और अस्थि विसर्जन का संस्कार संपन्न होता हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निगम द्वारा काकागंज वार्ड में स्थित श्मशान घाट में व्यवस्था की गई थी कि जब तक मृतकों के परिजन अस्थि संचयन न करें, तब तक स्थान को सुरक्षित रखा जाए. वहां पर दूसरा कोई अंतिम संस्कार नहीं किया जाए, लेकिन करीब 20 मृतकों के परिजन अस्थि संचयन के लिए श्मशान घाट नहीं पहुंचे, तो नगर निगम कर्मचारियों ने तय किया कि जिन मृतकों के अस्थि संचयन के लिए उनके परिजन नहीं आए हैं, उनके अस्थि विसर्जन का कार्य नगर निगम हिंदू रीति-रिवाज से करेगा.


नर्मदा नदी के बरमान घाट पर किया गया अस्थि विसर्जन


नगर निगम कर्मचारियों ने हिंदू रीति-रिवाज से 20 मृतकों की अस्थियों का संचयन किया. इसके बाद निगम का अमला 20 मृतकों की अस्थियां लेकर नर्मदा नदी के बरमान घाट के लिए रवाना हुआ. वहां पर पूजा-अर्चना के उपरांत 20 कोरोना मृतकों का अस्थि विसर्जन किया गया.

लोगों ने नगर निगम की पहल की सराहना

कोरोना की भयावहता के बीच श्मशान घाट पर अपनी सेवाएं दे रहे नगर निगम कर्मचारियों की इस पहल की जमकर सराहना हो रही हैं. लोगों का कहना है कि एक तरफ जहां परिवार कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार नहीं कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर नगर निगम के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं.

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