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राहतगढ़ में खसरे का प्रकोप, सागर से भोपाल तक हड़कंप, टीकाकरण के प्रति समुदाय विशेष में उदासीनता

सागर जिले की राहतगढ़ कस्बे में पिछले 3 महीने में खसरे ने पैर पसार रखा है. समुदाय विशेष के वार्डों में खसरे के प्रकोप के चलते सागर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा गया है. बात यह है कि इन इलाकों में अभिभावक बच्चों को खासरा का टीका लगाने के लिए तैयार नहीं है.

measles outbreak in rahatgarh
राहतगढ़ में बच्चे में खसरा का असर
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Published : May 7, 2023, 10:00 PM IST

राहतगढ़ में खसरे का प्रकोप

सागर। जिले की राहतगढ़ कस्बे में पिछले 3 महीने में खसरे का प्रकोप फैला हुआ है. समुदाय विशेष के वार्डों में खसरे के प्रकोप के चलते सागर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा हुआ है. इन वार्डों में करीब 200 बच्चों में खसरे के लक्षण पाए गए थे. जिनकी रिपोर्ट जांच के लिए भेजी गई थी. जिनमें 15 केस पॉजिटिव सामने आए थे और 20 एक्टिव केस अभी भी मौजूद हैं. इस मामले में प्रशासन द्वारा लगातार टीकाकरण के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन समुदाय विशेष के लोग टीकाकरण में आनाकानी कर रहे हैं. हालत ये है कि सागर से लेकर भोपाल तक के अधिकारी पीड़ित इलाकों का दौरा कर लोगों को समझाइश दे रहे हैं, लेकिन लोग समझने तैयार नहीं हैं. अभी भी कई लोग बच्चों के टीकाकरण के लिए तैयार नहीं है.

फरवरी में पहला केस आए सामने: राहतगढ़ कस्बे के वार्ड 14 में 22 फरवरी को खसरे का पहला केस सामने आया था. कुछ ही दिनों में हालात ये बने कि मुस्लिम बाहुल्य वाले इलाकों में खसरे की बीमारी ने तेजी से पैर पसार लिए. अप्रैल और मई के महीने में राहतगढ़ के वार्डों में 200 बच्चों में खसरे के लक्षण देखे गए. जिनकी रिपोर्ट जांच के लिए भोपाल भेजी गई. रिपोर्ट आने के बाद 15 बच्चे पॉजिटिव पाए गए और इलाके में 20 एक्टिव केस अभी भी मौजूद हैं. कई बार स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों और यहां तक कि जिला कलेक्टर सागर ने इलाके का दौरा कर लोगों को समझाइश दी. लेकिन टीकाकरण की तरफ उदासीनता देखने को मिल रही है. इसी समस्या को देखते हुए पिछले दिनों राहतगढ़ में राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला पहुंचे और उन्होंने पीड़ित इलाके में लोगों को समझाइश दी. उन्होंने कस्बे और प्रमुख रूप से पीड़ित वार्डों के जनप्रतिनिधियों से बैठक करके बीमारी की भयावहता और संक्रमण के बारे में समझाया और टीकाकरण के महत्व को बताया. राज्य टीकाकरण अधिकारी खुद खसरा पीड़ित वार्ड नंबर 11 में पहुंचे और प्रभावित परिवारों के लोगों से मुलाकात कर खसरे की बीमारी के बारे में जानकारी दी. उन्होंने लोगों को टीकाकरण का महत्व समझाते हुए कहा कि "यह एक बहुत खतरनाक बीमारी है और इसको रोकने के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है."

कुछ खबर यहां पढ़ें

32 बच्चों को खसरा का टीका लगाया जाना बाकी: गौरतलब है कि राहतगढ़ में खसरे का प्रकोप मुस्लिम बाहुल्य वाले इलाकों में ज्यादा देखा गया है. जहां पर शिक्षा का अभाव और जागरूकता की कमी के चलते लोग बच्चों के टीकाकरण के लिए तैयार नहीं है. टीकाकरण के बारे में जानकारी देते हुए राहतगढ़ बीएमओ डॉ. विवेक फुसकेले ने बताया कि "अभी तक 950 बच्चों को टीके लगाए जा चुके है. सिर्फ 32 बच्चे ऐसे है, जिन्हें अभी टीका लगाया जाना बाकी है."

राहतगढ़ में खसरे का प्रकोप

सागर। जिले की राहतगढ़ कस्बे में पिछले 3 महीने में खसरे का प्रकोप फैला हुआ है. समुदाय विशेष के वार्डों में खसरे के प्रकोप के चलते सागर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा हुआ है. इन वार्डों में करीब 200 बच्चों में खसरे के लक्षण पाए गए थे. जिनकी रिपोर्ट जांच के लिए भेजी गई थी. जिनमें 15 केस पॉजिटिव सामने आए थे और 20 एक्टिव केस अभी भी मौजूद हैं. इस मामले में प्रशासन द्वारा लगातार टीकाकरण के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन समुदाय विशेष के लोग टीकाकरण में आनाकानी कर रहे हैं. हालत ये है कि सागर से लेकर भोपाल तक के अधिकारी पीड़ित इलाकों का दौरा कर लोगों को समझाइश दे रहे हैं, लेकिन लोग समझने तैयार नहीं हैं. अभी भी कई लोग बच्चों के टीकाकरण के लिए तैयार नहीं है.

फरवरी में पहला केस आए सामने: राहतगढ़ कस्बे के वार्ड 14 में 22 फरवरी को खसरे का पहला केस सामने आया था. कुछ ही दिनों में हालात ये बने कि मुस्लिम बाहुल्य वाले इलाकों में खसरे की बीमारी ने तेजी से पैर पसार लिए. अप्रैल और मई के महीने में राहतगढ़ के वार्डों में 200 बच्चों में खसरे के लक्षण देखे गए. जिनकी रिपोर्ट जांच के लिए भोपाल भेजी गई. रिपोर्ट आने के बाद 15 बच्चे पॉजिटिव पाए गए और इलाके में 20 एक्टिव केस अभी भी मौजूद हैं. कई बार स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों और यहां तक कि जिला कलेक्टर सागर ने इलाके का दौरा कर लोगों को समझाइश दी. लेकिन टीकाकरण की तरफ उदासीनता देखने को मिल रही है. इसी समस्या को देखते हुए पिछले दिनों राहतगढ़ में राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला पहुंचे और उन्होंने पीड़ित इलाके में लोगों को समझाइश दी. उन्होंने कस्बे और प्रमुख रूप से पीड़ित वार्डों के जनप्रतिनिधियों से बैठक करके बीमारी की भयावहता और संक्रमण के बारे में समझाया और टीकाकरण के महत्व को बताया. राज्य टीकाकरण अधिकारी खुद खसरा पीड़ित वार्ड नंबर 11 में पहुंचे और प्रभावित परिवारों के लोगों से मुलाकात कर खसरे की बीमारी के बारे में जानकारी दी. उन्होंने लोगों को टीकाकरण का महत्व समझाते हुए कहा कि "यह एक बहुत खतरनाक बीमारी है और इसको रोकने के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है."

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32 बच्चों को खसरा का टीका लगाया जाना बाकी: गौरतलब है कि राहतगढ़ में खसरे का प्रकोप मुस्लिम बाहुल्य वाले इलाकों में ज्यादा देखा गया है. जहां पर शिक्षा का अभाव और जागरूकता की कमी के चलते लोग बच्चों के टीकाकरण के लिए तैयार नहीं है. टीकाकरण के बारे में जानकारी देते हुए राहतगढ़ बीएमओ डॉ. विवेक फुसकेले ने बताया कि "अभी तक 950 बच्चों को टीके लगाए जा चुके है. सिर्फ 32 बच्चे ऐसे है, जिन्हें अभी टीका लगाया जाना बाकी है."

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