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Kharge Visti Sagar: बुंदेलखंड में खड़गे के मंच पर संत रविदास और अंबेडकर की तस्वीर, दलित वोट बैंक को साधने की सधी हुई कोशिश - खड़गे का सागर दौरा

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मंगलवार को एमपी के सागर दौरे पर आए. जहां खरगे ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. खरगे की सभा में मंच पर सिर्फ दो ही तस्वीर नजर आई. कहा जा रहा है कि कांग्रेस दलितों को साधने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती.

Kharge Visti Sagar
खरगे का सागर दौरा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 22, 2023, 10:27 PM IST

Updated : Aug 22, 2023, 10:54 PM IST

बीजेपी के रविदास प्रेम पर खरगे का वार

सागर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दलित वोट बैंक साधने बुंदेलखंड को प्रयोगशाला के तौर पर देश के दोनों बडे़ दल भाजपा-कांग्रेस उपयोग कर रहे हैं. दलितों के संत और महापुरूषों के सहारे मतदाता को साधने की कोशिश की जा रही है. शुरूआत से ही दोनों दलों में होड़ लगी है. पहले मल्लिकार्जुन खड़गे 13 अगस्त को सागर आने वाले थे, लेकिन आनन-फानन में शिवराज सरकार ने एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दौरा करवाया और सागर में 100 करोड़ की लागत से रविदास मंदिर का शिलान्यास कराया. कार्यक्रम स्थगित होने से कांग्रेस ने मोदी और भाजपा को जवाब देने के लिए 22 अगस्त को कजलीवन में सभा को संबोधित किया और दलितों को साधने की सधी कोशिश की. खड़गे के मंच पर सिर्फ संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर थी. यहां राहुल, सोनिया या प्रियंका गाधी नजर नहीं आई. संत रविदास मंदिर और स्मारक के सामने मल्लिकार्जुन खडगे ने सागर में संत रविदास विश्वविद्यालय खोले जाने का एलान किया. इसके पहले उन्होंने बीजेपी के दलित प्रेम पर सवाल खडे़ किए और चुनाव के समय संत रविदास की याद आने की बात कही. मंदिर बनाम विश्वविद्यालय दलित वोट बैंक का मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है.

Kharge Visti Sagar
सभा को संबोधित करते खड़गे

मंच से दिया सबसे बड़ा संदेश: आमतौर पर कांग्रेस के मंच पर सबसे बड़ी तस्वीरें गांधी परिवार की नजर आती है. जिनमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की तस्वीरें होती है, लेकिन सागर के कजलीवन में मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा के मंच पर सिर्फ दो तस्वीरें नजर आ रही थी. जिनमें संत रविदास के अलावा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर थे. खड़गे और कांग्रेस नेताओं ने परंपरा अनुसार इन दोनों महापुरूषों को पुष्पांजली अर्पित की. ये सीधे तौर पर कोशिश थी कि हमारे लिए संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर सब कुछ हैं.

दलितों को रिझाने बुंदेलखंड ही क्यों: जहां तक दलितों को रिझाने के लिए दोनों दलों द्वारा बुंदेलखंड को प्रयोगशाला बनाने की बात करें तो बुंदेलखंड की 26 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पांच सीटें हैं. जिनमें सागर के बीना, नरयावली, दमोह की हटा, पन्ना की गुन्नौर, छतरपुर की चंदला और टीकमगढ़ की जतारा है. इसके अलावा कई सीटों पर दलित वोट बैंक निर्णायक स्थिति में है. इसके साथ बुंदेलखंड से लगा ग्वालियर चंबल का इलाका है, जहां दलित वोट बैंक की संख्या काफी है और यूपी का दलित वोट बाहुल्य वाला इलाका मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड से लगा हुआ है. खासकर संत रविदास के जरिए रविदास पंथ को साधने जिनके अनुयासी सबसे ज्यादा दलित समुदाय के जाटव और अहिरवार मतदाता हैं, जो सबसे ज्यादा इसी इलाके में हैं. पिछले चुनाव में बुंदेलखंड की 26 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 9 सीटें जीती थी और भाजपा को 15 हासिल हुई थी. भाजपा जहां अपना गढ़ बचाने में जुटी है, वहीं कांग्रेस खड़गे के जरिए सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.

खड़गे का सवाल, चुनाव के समय क्यों याद आए संत रविदास: मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संत रविदास की याद आने की बात कही. "खडगे ने संत रविदास मंदिर और स्मारक की चर्चा करते हुए कहा कि एक हजार करोड़ का मंदिर बनाओ हमें खुशी है, लेकिन प्रधानमंत्री को पिछले 9 साल में और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को 18 साल में अब संत रविदास की याद क्यों आ रही है. मध्यप्रदेश की भाजपा की 18 साल की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एमपी में पिछले 18 सालों से दलित और कमजोर वर्ग के साथ जो अन्याय और अत्याचार हुआ, क्या उसका प्रायश्चित इन बातों से हो पाएगा, क्या सारे पाप धुल जाएंगे. सीधी में आदिवासी युवक को भाजपा पदाधिकारी के पेशाब पिलाए जाने की घटना के बाद सीएम शिवराज के पांव धोने पर सवाल खडे़ करते हुए कहा कि क्या पैर धोने से उसका स्वाभिमान वापस आ जाएगा."

Kharge Visti Sagar
मंच पर लगी रविदास और अंबेडकर की तस्वीर

दिल्ली में क्यों गिरने दिया ऐतिहासिक रविदास मंदिर: मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के संत रविदास प्रेम पर सवाल करते हुए कहा कि "अगर भाजपा को संत रविदास से इतना प्रेम है, तो दिल्ली में उनकी यादों से जुडे़ ऐतिहासिक मंदिर क्यों गिरने दिया. उन्होंने कहा कि 1509 में दिल्ली में जहां संत रविदास ने विश्राम किया था. वहां सिकंदर लोदी ने जमीन दान दी थी. मंदिर और बावड़ी बनी. ऐतिहासिक मंदिर का बाबू जगजीवनराम ने 1959 में जीर्णोद्धार कराया था. इस मंदिर को गिरा दिया गया, मोदी चाहते तो उसे बचा सकते थे.

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संत रविदास के दुनिया भर में मंदिर, हम बनाएंगे विश्वविद्यालय: भाजपा द्वारा 100 करोड़ की लागत के संत रविदास मंदिर को लेकर दलित वर्ग ही सवाल उठा रहा था कि मंदिर के साथ यूनिवर्सटी, अस्पताल या कोई उद्योग लगाते तो दलितों को फायदा होता. इस बात को ध्यान रखते हुए कमलनाथ ने मल्लिकार्जुन खड़गे से सागर में संत रविदास विश्वविद्यालय की घोषणा करवाई. खड़गे ने कहा कि संत रविदास मंदिर भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में है. हम लोग संत रविदास के विचारों को सम्मान देते हैं, उसे मानते हैं. मध्य प्रदेश में हमारी सरकार बनेगी, तो बुंदेलखंड में संत रविदास की याद में विश्वविद्यालय बनेगा,जो देश भर में उनके विचारों की रोशनी बिखेरेगा.

सागर की हस्तियों को किया याद

हरी सिंह गौर को याद कर सागर वासियों का दिल जीता: पीएम मोदी के सागर दौरे में उन्होंने सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक हरीसिंह गौर का नाम नहीं लिया, जबकि प्रधानमंत्री के दौरे पर उनको भारत रत्न देने की मांग चल रही थी. जिसकी स्थानीय स्तर पर काफी आलोचना हुई, लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने संबोधन में बुंदेलखंड की तमाम हस्तियों को याद किया और हरीसिंह गौर का विशेष तौर पर नाम लिया. उन्होंने बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई के साथ 17 साल की उम्र में 1942 के आंदोलन में तिरंगा फहराते शहीद हुए साबूलाल जैन को याद किया. मध्य प्रदेश के महू में पैदा हुए संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के साथ डॉ हरी सिंह गौर को याद किया और कहा कि संविधान निर्माताओं में डॉ. हरिसिंह गौर भी थे. जिन्होंने बुंदेलखंड की धरती पर जिंदगी भर की कमाई लगाकर मध्य प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय स्थापित किया. डॉ गौर को मैं विशेष तौर पर नमन करता हूं.

क्या कहना है कांग्रेस का: कांग्रेस शहर अध्यक्ष राजकुमार पचौरी से जब पूछा गया कि कांग्रेस के मंच पर राहुल,सोनिया और प्रियंका गांधी की जगह सिर्फ संत रविदास और अंबेडकर नजर आए, तो उन्होंने कहा कि "संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर तो हमें हमेशा पूज्यनीय रहे और जहां तक राहुल, सोनिया और प्रियंका गाधी की बात है, तो उनकी तस्वीरें सभास्थल पर अन्य जगह पर लगी थी. भाजपा और कांग्रेस के दलित प्रेम के सवाल पर उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोग हमारे पारिवारिक और परंपरागत वोट बैंक हैं. उन्हें बरगलाने की कोशिश की जा रही है. इसलिए हम अपने परिवार के लोगों जोड़ने का काम कर रहे हैं.

बीजेपी के रविदास प्रेम पर खरगे का वार

सागर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दलित वोट बैंक साधने बुंदेलखंड को प्रयोगशाला के तौर पर देश के दोनों बडे़ दल भाजपा-कांग्रेस उपयोग कर रहे हैं. दलितों के संत और महापुरूषों के सहारे मतदाता को साधने की कोशिश की जा रही है. शुरूआत से ही दोनों दलों में होड़ लगी है. पहले मल्लिकार्जुन खड़गे 13 अगस्त को सागर आने वाले थे, लेकिन आनन-फानन में शिवराज सरकार ने एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दौरा करवाया और सागर में 100 करोड़ की लागत से रविदास मंदिर का शिलान्यास कराया. कार्यक्रम स्थगित होने से कांग्रेस ने मोदी और भाजपा को जवाब देने के लिए 22 अगस्त को कजलीवन में सभा को संबोधित किया और दलितों को साधने की सधी कोशिश की. खड़गे के मंच पर सिर्फ संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर थी. यहां राहुल, सोनिया या प्रियंका गाधी नजर नहीं आई. संत रविदास मंदिर और स्मारक के सामने मल्लिकार्जुन खडगे ने सागर में संत रविदास विश्वविद्यालय खोले जाने का एलान किया. इसके पहले उन्होंने बीजेपी के दलित प्रेम पर सवाल खडे़ किए और चुनाव के समय संत रविदास की याद आने की बात कही. मंदिर बनाम विश्वविद्यालय दलित वोट बैंक का मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है.

Kharge Visti Sagar
सभा को संबोधित करते खड़गे

मंच से दिया सबसे बड़ा संदेश: आमतौर पर कांग्रेस के मंच पर सबसे बड़ी तस्वीरें गांधी परिवार की नजर आती है. जिनमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की तस्वीरें होती है, लेकिन सागर के कजलीवन में मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा के मंच पर सिर्फ दो तस्वीरें नजर आ रही थी. जिनमें संत रविदास के अलावा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर थे. खड़गे और कांग्रेस नेताओं ने परंपरा अनुसार इन दोनों महापुरूषों को पुष्पांजली अर्पित की. ये सीधे तौर पर कोशिश थी कि हमारे लिए संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर सब कुछ हैं.

दलितों को रिझाने बुंदेलखंड ही क्यों: जहां तक दलितों को रिझाने के लिए दोनों दलों द्वारा बुंदेलखंड को प्रयोगशाला बनाने की बात करें तो बुंदेलखंड की 26 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पांच सीटें हैं. जिनमें सागर के बीना, नरयावली, दमोह की हटा, पन्ना की गुन्नौर, छतरपुर की चंदला और टीकमगढ़ की जतारा है. इसके अलावा कई सीटों पर दलित वोट बैंक निर्णायक स्थिति में है. इसके साथ बुंदेलखंड से लगा ग्वालियर चंबल का इलाका है, जहां दलित वोट बैंक की संख्या काफी है और यूपी का दलित वोट बाहुल्य वाला इलाका मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड से लगा हुआ है. खासकर संत रविदास के जरिए रविदास पंथ को साधने जिनके अनुयासी सबसे ज्यादा दलित समुदाय के जाटव और अहिरवार मतदाता हैं, जो सबसे ज्यादा इसी इलाके में हैं. पिछले चुनाव में बुंदेलखंड की 26 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 9 सीटें जीती थी और भाजपा को 15 हासिल हुई थी. भाजपा जहां अपना गढ़ बचाने में जुटी है, वहीं कांग्रेस खड़गे के जरिए सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.

खड़गे का सवाल, चुनाव के समय क्यों याद आए संत रविदास: मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संत रविदास की याद आने की बात कही. "खडगे ने संत रविदास मंदिर और स्मारक की चर्चा करते हुए कहा कि एक हजार करोड़ का मंदिर बनाओ हमें खुशी है, लेकिन प्रधानमंत्री को पिछले 9 साल में और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को 18 साल में अब संत रविदास की याद क्यों आ रही है. मध्यप्रदेश की भाजपा की 18 साल की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एमपी में पिछले 18 सालों से दलित और कमजोर वर्ग के साथ जो अन्याय और अत्याचार हुआ, क्या उसका प्रायश्चित इन बातों से हो पाएगा, क्या सारे पाप धुल जाएंगे. सीधी में आदिवासी युवक को भाजपा पदाधिकारी के पेशाब पिलाए जाने की घटना के बाद सीएम शिवराज के पांव धोने पर सवाल खडे़ करते हुए कहा कि क्या पैर धोने से उसका स्वाभिमान वापस आ जाएगा."

Kharge Visti Sagar
मंच पर लगी रविदास और अंबेडकर की तस्वीर

दिल्ली में क्यों गिरने दिया ऐतिहासिक रविदास मंदिर: मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के संत रविदास प्रेम पर सवाल करते हुए कहा कि "अगर भाजपा को संत रविदास से इतना प्रेम है, तो दिल्ली में उनकी यादों से जुडे़ ऐतिहासिक मंदिर क्यों गिरने दिया. उन्होंने कहा कि 1509 में दिल्ली में जहां संत रविदास ने विश्राम किया था. वहां सिकंदर लोदी ने जमीन दान दी थी. मंदिर और बावड़ी बनी. ऐतिहासिक मंदिर का बाबू जगजीवनराम ने 1959 में जीर्णोद्धार कराया था. इस मंदिर को गिरा दिया गया, मोदी चाहते तो उसे बचा सकते थे.

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संत रविदास के दुनिया भर में मंदिर, हम बनाएंगे विश्वविद्यालय: भाजपा द्वारा 100 करोड़ की लागत के संत रविदास मंदिर को लेकर दलित वर्ग ही सवाल उठा रहा था कि मंदिर के साथ यूनिवर्सटी, अस्पताल या कोई उद्योग लगाते तो दलितों को फायदा होता. इस बात को ध्यान रखते हुए कमलनाथ ने मल्लिकार्जुन खड़गे से सागर में संत रविदास विश्वविद्यालय की घोषणा करवाई. खड़गे ने कहा कि संत रविदास मंदिर भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में है. हम लोग संत रविदास के विचारों को सम्मान देते हैं, उसे मानते हैं. मध्य प्रदेश में हमारी सरकार बनेगी, तो बुंदेलखंड में संत रविदास की याद में विश्वविद्यालय बनेगा,जो देश भर में उनके विचारों की रोशनी बिखेरेगा.

सागर की हस्तियों को किया याद

हरी सिंह गौर को याद कर सागर वासियों का दिल जीता: पीएम मोदी के सागर दौरे में उन्होंने सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक हरीसिंह गौर का नाम नहीं लिया, जबकि प्रधानमंत्री के दौरे पर उनको भारत रत्न देने की मांग चल रही थी. जिसकी स्थानीय स्तर पर काफी आलोचना हुई, लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने संबोधन में बुंदेलखंड की तमाम हस्तियों को याद किया और हरीसिंह गौर का विशेष तौर पर नाम लिया. उन्होंने बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई के साथ 17 साल की उम्र में 1942 के आंदोलन में तिरंगा फहराते शहीद हुए साबूलाल जैन को याद किया. मध्य प्रदेश के महू में पैदा हुए संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के साथ डॉ हरी सिंह गौर को याद किया और कहा कि संविधान निर्माताओं में डॉ. हरिसिंह गौर भी थे. जिन्होंने बुंदेलखंड की धरती पर जिंदगी भर की कमाई लगाकर मध्य प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय स्थापित किया. डॉ गौर को मैं विशेष तौर पर नमन करता हूं.

क्या कहना है कांग्रेस का: कांग्रेस शहर अध्यक्ष राजकुमार पचौरी से जब पूछा गया कि कांग्रेस के मंच पर राहुल,सोनिया और प्रियंका गांधी की जगह सिर्फ संत रविदास और अंबेडकर नजर आए, तो उन्होंने कहा कि "संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर तो हमें हमेशा पूज्यनीय रहे और जहां तक राहुल, सोनिया और प्रियंका गाधी की बात है, तो उनकी तस्वीरें सभास्थल पर अन्य जगह पर लगी थी. भाजपा और कांग्रेस के दलित प्रेम के सवाल पर उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोग हमारे पारिवारिक और परंपरागत वोट बैंक हैं. उन्हें बरगलाने की कोशिश की जा रही है. इसलिए हम अपने परिवार के लोगों जोड़ने का काम कर रहे हैं.

Last Updated : Aug 22, 2023, 10:54 PM IST
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