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एक बंजारे ने अपने बेटे- बहू की बलि देकर झील में भरा पानी, अब स्थापित होगी विशाल प्रतिमा

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Published : May 22, 2023, 4:18 PM IST

Updated : May 22, 2023, 5:21 PM IST

बुंदेलखंड के सागर जिले में मौजूद तालाब की अपनी एक कहानी है. एक बंजारे की कुर्बानी पूरे शहर की प्यास बुझा रहा है. यह शहर इस लाखा बंजारा की कुर्बानी को कभी भूल नहीं सकता है. लाखा बंजारा की याद में झील के बीचो बीच एक विशाल प्रतिमा स्थापित की जा रही है.

Sagar lake lakha banjara smartcity
झील के बीच में स्थापित होगी प्रतिमा
झील के बीच में स्थापित होगी प्रतिमा

सागर। यह शहर उस महान बंजारे को कभी नहीं भूल सकता है, जिस बंजारे ने अपने जिगर के टुकडे़ की बलि देकर इस शहर की प्यास बुझाने का काम किया था. दरअसल करीब 400 साल पहले सागर के राजा ने एक किले का निर्माण कराया था और किले से लगी हुई एक विशाल झील बनवाई थी, लेकिन झील में पानी नहीं आता था. करीब 400 एकड़ की झील में पानी ना आने से लोग तो परेशान थे ही, वहीं सागर से एक बंजारों की टोली गुजरा करती थी, जिसके मुखिया लाखा बंजारा थे, वो भी परेशान होते थे, क्योंकि उनके साथ काफी पशु होते थे, लेकिन सागर पहुंचकर उनकी प्यास बुझाना कठिन हो जाता था. किवदंती है कि लाखा बंजारा ने जब झील में पानी ना भरने की जानकारी जुटाई तो उन्हें बताया कि अगर वो अपने बेटे और बहू की बलि देंगे, तो झील में पानी आ जाएगा. उन्होंने ऐसा ही किया और झील में पानी आ गया. तब से सागर शहर लाखा बंजारा के योगदान को नहीं भूला है और उनकी याद में अब उसी झील के बीचों बीच लाखा बंजारा की विशाल प्रतिमा स्थापित की जा रही है.

स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत मूर्ति की स्थापना: सागर वासियों को पानी की सौगात देने वाले लाखा बंजारा की याद को हमेशा जीवंत रखने के लिए झील का नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया है और इसे लाखा बंजारा झील के नाम से जानते हैं. सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने झील के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण का भी काम किया है. इसके अलावा पुराने शहर और नए शहर की यातायात की समस्या खत्म करने के लिए झील के बीचों बीच एलिवेटेड कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है. इसी ऐलीवेटेड कॉरिडोर के नजदीक झील के भीतर लाखा बंजारा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. यह प्रतिमा 21 फीट की होगी, प्रतिमा का निर्माण ग्वालियर के प्रख्यात मूर्तिकार प्रभात राय ने की है. झील में प्रतिमा स्थापित करने के लिए लिए आधार भी तैयार हो चुका है. प्रतिमा तो बहुत पहले तैयार हो चुकी थी, लेकिन झील में जहां प्रतिमा स्थापित होना है, वहां पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण प्रतिमा और शहरवासियों को लंबा इंतजार करना पड़ा. अब लाखा बंजारा की प्रतिमा सागर आ चुकी है और प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी भी अंतिम दौर में है.

Sagar lake lakha banjara smartcity
झील के बीच में स्थापित होगी प्रतिमा

लाखा बंजारा की प्रतिमा ही क्यों: सागर की ऐतिहासिक झील लाखा बंजारा की बात करें तो करीब चार सौ साल पहले सागर के तत्कालीन राजा उदल शाह ने किले के साथ झील का निर्माण कराया था, लेकिन झील में पानी नहीं आता था और झील एक विशाल गड्ढे की तरह खाली पड़ी रहती थी. एक किवदंती है कि सागर से एक बंजारों का मुखिया अपने लाव लश्कर के साथ गुजरा करता था. जिसे लोग लाखा बंजारा कहते थे. लाखा बंजारा सागर आकर इस बात से परेशान हो जाता था, कि उसके साथ चलने वाले पशुओं को पानी का संकट खड़ा हो जाता था. ऐसे में उसने झील के बारे में जानकारी इकट्ठा की, तो किसी विद्वान ने उन्हें बताया कि झील में पानी के लिए उन्हें बड़ा त्याग करना होगा और उनके इस त्याग से उनके पशुधन नहीं, बल्कि सागर के लोगों पर भी उपकार होगा. लाखा बंजारा को बताया गया कि झील में पानी लाने के लिए उनको अपने बडे़ बेटे और बहू को सोने के हिंडोलें में बैठाकर झील के बीचों बीच बलि देना होगी, तब जाकर पानी आएगा. लाखा बंजारा काफी परोपकारी व्यक्ति थे, उन्होंने महान त्याग करने का फैसला लिया और अपने बेटे बहू की बलि दे दी. बलि देते ही सागर की झील पानी से सराबोर हो गयी, तब से सागर के लोग लाखा बंजारा को बड़ी श्रद्धा के साथ याद करते हैं.

  1. MP: एक शहर 2 नाम, अंग्रेजों ने खड़ी की समस्या लोग अब भी परेशान, Sagar या Saugor
  2. Bharat Ratna Atal Bihari Bajpai पार्क को उनकी मूर्ति का इंतजार, जाने क्यों नहीं स्थापित हुई प्रतिमा

क्या कहते हैं जानकार: इतिहासकार डॉ भरत शुक्ला कहते हैं कि ये झील लगभग 400 साल पुरानी है. राजा उदलशाह जो थे, उन्होंने 1660 में सागर के किले का निर्माण कराया था और उसी किले से लगी हुई झील है. लाखा बंजारा अपने बंजारों की टोलियों के साथ सागर से गुजरते थे, उनके साथ बहुत सारे पशु होते थे. पशुओं को सागर में पानी की समस्या का सामना करना पडता था. सागर में झील बनी जरूर थी, लेकिन उसमें पानी नहीं रहता था. पानी या तो सूख जाता था या पानी आता ही नहीं था. इस वजह से किसी ने लाखा बंजारा को सलाह बेटे-बहू की बलि देने की सलाह दी.

Lakha Banjara Statue
लाखा बंजारा प्रतिमा

क्या कहना है विधायक का: सागर विधायक शैलेन्द्र जैन का कहना है कि जहां तक हमारे पूर्वज लाखा बंजारा की मूर्ति की बात हैं, तो हम लोगों की इच्छा थी और समय- समय पर हमने इसका प्रकटीकरण भी किया था. उनकी प्रतिमा बनकर तैयार होकर आ गयी है. अब दिक्कत ये आ रही थी कि प्रतिमा को स्थापित करने के लिए जो आधार बनाया गया है. वहां तक मूर्ति को ले जाने कठिन काम था क्योंकि मूर्ति का वजन काफी ज्यादा है. इसलिए डर था कि मूर्ति को झील में ले जाते समय असंतुलित होकर मूर्ति गिर ना जाए. अब मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक अस्थायी रास्ता बनाया गया है, अब जल्द ही मूर्ति स्थापित की जाएगी. ये एक बहुत बड़ा विषय है और सागर वासियों की संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है. इसलिए मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे कि जब लोकार्पण हो, तो वो अवश्य पधारें. सागर वासियों के लिए ये प्रसन्नता का विषय है और सागर वासियों का इस उपलब्धि के लिए बड़ा योगदान है.

झील के बीच में स्थापित होगी प्रतिमा

सागर। यह शहर उस महान बंजारे को कभी नहीं भूल सकता है, जिस बंजारे ने अपने जिगर के टुकडे़ की बलि देकर इस शहर की प्यास बुझाने का काम किया था. दरअसल करीब 400 साल पहले सागर के राजा ने एक किले का निर्माण कराया था और किले से लगी हुई एक विशाल झील बनवाई थी, लेकिन झील में पानी नहीं आता था. करीब 400 एकड़ की झील में पानी ना आने से लोग तो परेशान थे ही, वहीं सागर से एक बंजारों की टोली गुजरा करती थी, जिसके मुखिया लाखा बंजारा थे, वो भी परेशान होते थे, क्योंकि उनके साथ काफी पशु होते थे, लेकिन सागर पहुंचकर उनकी प्यास बुझाना कठिन हो जाता था. किवदंती है कि लाखा बंजारा ने जब झील में पानी ना भरने की जानकारी जुटाई तो उन्हें बताया कि अगर वो अपने बेटे और बहू की बलि देंगे, तो झील में पानी आ जाएगा. उन्होंने ऐसा ही किया और झील में पानी आ गया. तब से सागर शहर लाखा बंजारा के योगदान को नहीं भूला है और उनकी याद में अब उसी झील के बीचों बीच लाखा बंजारा की विशाल प्रतिमा स्थापित की जा रही है.

स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत मूर्ति की स्थापना: सागर वासियों को पानी की सौगात देने वाले लाखा बंजारा की याद को हमेशा जीवंत रखने के लिए झील का नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया है और इसे लाखा बंजारा झील के नाम से जानते हैं. सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने झील के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण का भी काम किया है. इसके अलावा पुराने शहर और नए शहर की यातायात की समस्या खत्म करने के लिए झील के बीचों बीच एलिवेटेड कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है. इसी ऐलीवेटेड कॉरिडोर के नजदीक झील के भीतर लाखा बंजारा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. यह प्रतिमा 21 फीट की होगी, प्रतिमा का निर्माण ग्वालियर के प्रख्यात मूर्तिकार प्रभात राय ने की है. झील में प्रतिमा स्थापित करने के लिए लिए आधार भी तैयार हो चुका है. प्रतिमा तो बहुत पहले तैयार हो चुकी थी, लेकिन झील में जहां प्रतिमा स्थापित होना है, वहां पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण प्रतिमा और शहरवासियों को लंबा इंतजार करना पड़ा. अब लाखा बंजारा की प्रतिमा सागर आ चुकी है और प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी भी अंतिम दौर में है.

Sagar lake lakha banjara smartcity
झील के बीच में स्थापित होगी प्रतिमा

लाखा बंजारा की प्रतिमा ही क्यों: सागर की ऐतिहासिक झील लाखा बंजारा की बात करें तो करीब चार सौ साल पहले सागर के तत्कालीन राजा उदल शाह ने किले के साथ झील का निर्माण कराया था, लेकिन झील में पानी नहीं आता था और झील एक विशाल गड्ढे की तरह खाली पड़ी रहती थी. एक किवदंती है कि सागर से एक बंजारों का मुखिया अपने लाव लश्कर के साथ गुजरा करता था. जिसे लोग लाखा बंजारा कहते थे. लाखा बंजारा सागर आकर इस बात से परेशान हो जाता था, कि उसके साथ चलने वाले पशुओं को पानी का संकट खड़ा हो जाता था. ऐसे में उसने झील के बारे में जानकारी इकट्ठा की, तो किसी विद्वान ने उन्हें बताया कि झील में पानी के लिए उन्हें बड़ा त्याग करना होगा और उनके इस त्याग से उनके पशुधन नहीं, बल्कि सागर के लोगों पर भी उपकार होगा. लाखा बंजारा को बताया गया कि झील में पानी लाने के लिए उनको अपने बडे़ बेटे और बहू को सोने के हिंडोलें में बैठाकर झील के बीचों बीच बलि देना होगी, तब जाकर पानी आएगा. लाखा बंजारा काफी परोपकारी व्यक्ति थे, उन्होंने महान त्याग करने का फैसला लिया और अपने बेटे बहू की बलि दे दी. बलि देते ही सागर की झील पानी से सराबोर हो गयी, तब से सागर के लोग लाखा बंजारा को बड़ी श्रद्धा के साथ याद करते हैं.

  1. MP: एक शहर 2 नाम, अंग्रेजों ने खड़ी की समस्या लोग अब भी परेशान, Sagar या Saugor
  2. Bharat Ratna Atal Bihari Bajpai पार्क को उनकी मूर्ति का इंतजार, जाने क्यों नहीं स्थापित हुई प्रतिमा

क्या कहते हैं जानकार: इतिहासकार डॉ भरत शुक्ला कहते हैं कि ये झील लगभग 400 साल पुरानी है. राजा उदलशाह जो थे, उन्होंने 1660 में सागर के किले का निर्माण कराया था और उसी किले से लगी हुई झील है. लाखा बंजारा अपने बंजारों की टोलियों के साथ सागर से गुजरते थे, उनके साथ बहुत सारे पशु होते थे. पशुओं को सागर में पानी की समस्या का सामना करना पडता था. सागर में झील बनी जरूर थी, लेकिन उसमें पानी नहीं रहता था. पानी या तो सूख जाता था या पानी आता ही नहीं था. इस वजह से किसी ने लाखा बंजारा को सलाह बेटे-बहू की बलि देने की सलाह दी.

Lakha Banjara Statue
लाखा बंजारा प्रतिमा

क्या कहना है विधायक का: सागर विधायक शैलेन्द्र जैन का कहना है कि जहां तक हमारे पूर्वज लाखा बंजारा की मूर्ति की बात हैं, तो हम लोगों की इच्छा थी और समय- समय पर हमने इसका प्रकटीकरण भी किया था. उनकी प्रतिमा बनकर तैयार होकर आ गयी है. अब दिक्कत ये आ रही थी कि प्रतिमा को स्थापित करने के लिए जो आधार बनाया गया है. वहां तक मूर्ति को ले जाने कठिन काम था क्योंकि मूर्ति का वजन काफी ज्यादा है. इसलिए डर था कि मूर्ति को झील में ले जाते समय असंतुलित होकर मूर्ति गिर ना जाए. अब मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक अस्थायी रास्ता बनाया गया है, अब जल्द ही मूर्ति स्थापित की जाएगी. ये एक बहुत बड़ा विषय है और सागर वासियों की संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है. इसलिए मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे कि जब लोकार्पण हो, तो वो अवश्य पधारें. सागर वासियों के लिए ये प्रसन्नता का विषय है और सागर वासियों का इस उपलब्धि के लिए बड़ा योगदान है.

Last Updated : May 22, 2023, 5:21 PM IST
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