ETV Bharat / state

Sagar Janmashtami Special: पिछली पांच पीढ़ी से बिहारी जी को लग रहा एक ही मिठाई की दुकान का भोग, जाने क्या है इसके पीछे की कहानी

देश भर में जन्माष्टमी की धूम है. सागर में बिहारी जी का एक ऐसा मंदिर से जहां सालों से एक ही दुकान की मिठाईयों से भगवान को भोग लगाया जाता है. यहां भगवान श्रीकृष्ण ने दुकानदार को खुद चलकर दर्शन दिए थे. जन्माष्टमी पर पढ़िए यह खास रिपोर्ट...

Bihari ji bhog same sweet shop For years in sagar
बांके बिहारी का स्पेशल भोग
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 7, 2023, 7:50 AM IST

बांके बिहारी का स्पेशल भोग

सागर। शहर के वृंदावन कहलाने वाले सर्राफा बाजार में भगवान श्री कृष्ण के छोटे बड़े 32 मंदिर मौजूद हैं, इसलिए यहां कृष्ण भक्ति की अनूठी परम्परा है. बिहारी जी के मंदिर की खास परम्परा है कि पिछले करीब डेढ सौ सालों से बिहारी जी के मंदिर के सामने बनी रिछारिया की छोटी सी मिठाई की दुकान से भोग आता है. परिवार की पांचवी पीढ़ी इस परम्परा को आज भी निभा रही है.

Janmashtmi special bihari bhog
पांच पीढ़ियों से एक ही दुकान से जा रहा भोग

भगवान ने खुद आकर दिए दर्शन: कहा जाता है कि एक बार ठाकुर जी को भोग में देरी हो गयी, तो ठाकुर जी खुद रिछारिया की दुकान पर मिठाई लेने पहुंच गए और उसके एवज में उनको एक अंगूठी दी. सुबह जब श्रृद्धालु मंदिर पहुंचे, तो सबने देखा कि ठाकुर जी के सामने भोग रखा था और उनकी अंगूठी गायब थी. जब मिठाई वाले रिछारिया को ये बात पता चला तो वो अंगूठी लेकर मंहत के पास पहुंचे और पूरा वाक्या बताया, तो महंत ने उन्हे गले लगा लिया और कहा कि बिहारी जी ने खुद तुम्हें दर्शन दिए हैं, तब से रिछारिया परिवार बिहारी जी के मंदिर में भोग भेजता है.

Janmashtmi special bihari bhog
खुद ही हलवाई की दुकान पर पहुंच गए थे बांके बिहारी

क्या है बिहारी जी मंदिर की भोग की परम्परा: बिहारी जी मंदिर की भोग की परम्परा की बात करे, तो पिछले डेढ़ सौ साल से मंदिर के सामने बनी रिछारिया की मिठाई की दुकान से भोग जाता है. खास बात ये है कि इस परम्परा को निभाने के लिए रिछारिया परिवार आज भी विधि विधान से भोग तैयार करता है. भोग की इस परम्परा के पीछे अनूठी कहानी है. राजकुमार रिछारिया बताते हैं कि ''पहले पंडित गणेश प्रसाद रिछारिया की बिहारी जी मंदिर के सामने मिठाई की छोटी सी दुकान थी, जो आज भी मौजूद है. एक बार बिहारी जी को भोग नहीं पहुंचा, तो 12 बजे करीब बिहारी जी मारवाडी के वेष में रिछारिया की दुकान पर पहुंचे और बोले की हमें एक किलो मिठाई दो. हमारी दादी के दादा ने उन्हें एक किलो गुजिया दी.''

Janmashtmi special bihari bhog
रिछारिया जी की दुकान

मंदिर से गायब थी अंगूठी: राजकुमार रिछारिया ने बताया कि ''गुजिया लेने के बाद उन्होंने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है, सुबह हमारा कर्मचारी पैसे दे जाएगा, तब तक आप अंगूठी रख लो. हमारे पूर्वज ने मना किया, लेकिन वो नहीं माने और अंगूठी देकर चले गए. दूसरे दिन जब सुबह हमारे पूर्वज गणेश रिछारिया मंदिर पहुंचे, तो काफी भीड़ थी और सब हैरान थे कि मंदिर अभी खुला है और भगवान का भोग रखा है और उनकी अंगूठी गायब है. गणेश रिछारिया तत्काल दुकान पर पहुंचे और वो अंगूठी लेकर मंदिर के पुजारी दयालदास को दी और पूरी कहानी बतायी. तो दयालदास ने उन्हें सीने से लगा लिया और कहा कि गणेश मैं सालों से बिहारी जी की पूजा कर रहा हूं, फिर भी मुझे बिहारी जी के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम्हारे यहां बिहारी जी खुद पहुंचे दर्शन देने के लिए, तब से परम्परा बनी कि बिहारी जी का भोग हमारे यहां से ही जाता है.''

Also Read:

परिवार आज भी बना रहा है बिहारी जी का भोग: राजकुमार रिछारिया बताते हैं कि ''हमारी पांचवी पीढ़ी आज भी इस परम्परा को निभा रही है. बिहारी जी का भोग रोज तैयार किया जाता है. हमारे घर के लोग नहाने के बाद शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए खुद भोग तैयार करते हैं. इसके लिए हम किसी की मदद नहीं लेते हैं और ना ही दुकान के नौकर और कारीगर बनाते हैं. भोग हमारे परिवार के लोग ही तैयार करते हैं.

बांके बिहारी का स्पेशल भोग

सागर। शहर के वृंदावन कहलाने वाले सर्राफा बाजार में भगवान श्री कृष्ण के छोटे बड़े 32 मंदिर मौजूद हैं, इसलिए यहां कृष्ण भक्ति की अनूठी परम्परा है. बिहारी जी के मंदिर की खास परम्परा है कि पिछले करीब डेढ सौ सालों से बिहारी जी के मंदिर के सामने बनी रिछारिया की छोटी सी मिठाई की दुकान से भोग आता है. परिवार की पांचवी पीढ़ी इस परम्परा को आज भी निभा रही है.

Janmashtmi special bihari bhog
पांच पीढ़ियों से एक ही दुकान से जा रहा भोग

भगवान ने खुद आकर दिए दर्शन: कहा जाता है कि एक बार ठाकुर जी को भोग में देरी हो गयी, तो ठाकुर जी खुद रिछारिया की दुकान पर मिठाई लेने पहुंच गए और उसके एवज में उनको एक अंगूठी दी. सुबह जब श्रृद्धालु मंदिर पहुंचे, तो सबने देखा कि ठाकुर जी के सामने भोग रखा था और उनकी अंगूठी गायब थी. जब मिठाई वाले रिछारिया को ये बात पता चला तो वो अंगूठी लेकर मंहत के पास पहुंचे और पूरा वाक्या बताया, तो महंत ने उन्हे गले लगा लिया और कहा कि बिहारी जी ने खुद तुम्हें दर्शन दिए हैं, तब से रिछारिया परिवार बिहारी जी के मंदिर में भोग भेजता है.

Janmashtmi special bihari bhog
खुद ही हलवाई की दुकान पर पहुंच गए थे बांके बिहारी

क्या है बिहारी जी मंदिर की भोग की परम्परा: बिहारी जी मंदिर की भोग की परम्परा की बात करे, तो पिछले डेढ़ सौ साल से मंदिर के सामने बनी रिछारिया की मिठाई की दुकान से भोग जाता है. खास बात ये है कि इस परम्परा को निभाने के लिए रिछारिया परिवार आज भी विधि विधान से भोग तैयार करता है. भोग की इस परम्परा के पीछे अनूठी कहानी है. राजकुमार रिछारिया बताते हैं कि ''पहले पंडित गणेश प्रसाद रिछारिया की बिहारी जी मंदिर के सामने मिठाई की छोटी सी दुकान थी, जो आज भी मौजूद है. एक बार बिहारी जी को भोग नहीं पहुंचा, तो 12 बजे करीब बिहारी जी मारवाडी के वेष में रिछारिया की दुकान पर पहुंचे और बोले की हमें एक किलो मिठाई दो. हमारी दादी के दादा ने उन्हें एक किलो गुजिया दी.''

Janmashtmi special bihari bhog
रिछारिया जी की दुकान

मंदिर से गायब थी अंगूठी: राजकुमार रिछारिया ने बताया कि ''गुजिया लेने के बाद उन्होंने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है, सुबह हमारा कर्मचारी पैसे दे जाएगा, तब तक आप अंगूठी रख लो. हमारे पूर्वज ने मना किया, लेकिन वो नहीं माने और अंगूठी देकर चले गए. दूसरे दिन जब सुबह हमारे पूर्वज गणेश रिछारिया मंदिर पहुंचे, तो काफी भीड़ थी और सब हैरान थे कि मंदिर अभी खुला है और भगवान का भोग रखा है और उनकी अंगूठी गायब है. गणेश रिछारिया तत्काल दुकान पर पहुंचे और वो अंगूठी लेकर मंदिर के पुजारी दयालदास को दी और पूरी कहानी बतायी. तो दयालदास ने उन्हें सीने से लगा लिया और कहा कि गणेश मैं सालों से बिहारी जी की पूजा कर रहा हूं, फिर भी मुझे बिहारी जी के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम्हारे यहां बिहारी जी खुद पहुंचे दर्शन देने के लिए, तब से परम्परा बनी कि बिहारी जी का भोग हमारे यहां से ही जाता है.''

Also Read:

परिवार आज भी बना रहा है बिहारी जी का भोग: राजकुमार रिछारिया बताते हैं कि ''हमारी पांचवी पीढ़ी आज भी इस परम्परा को निभा रही है. बिहारी जी का भोग रोज तैयार किया जाता है. हमारे घर के लोग नहाने के बाद शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए खुद भोग तैयार करते हैं. इसके लिए हम किसी की मदद नहीं लेते हैं और ना ही दुकान के नौकर और कारीगर बनाते हैं. भोग हमारे परिवार के लोग ही तैयार करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.