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International Womens Day 2023: जज्बे को सलाम, उम्र को दी मात, 40 पार सूबेदार रश्मि बनीं पावरलिफ्टिंग में स्टेट चैंपियन

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी के बारे में बताएंगे, जिसने अपने शौक को पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की और उम्र के पड़ाव को भी अपना शौक पूरा करने में रोड़ा नहीं बनने दिया.

Subedar powerlifter champion
न उम्र की सीमा हो
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Published : Mar 7, 2023, 7:50 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 10:42 PM IST

सूबेदार रश्मि बनीं स्टेट चैंपियन

सागर। जिंदगी एक बार मिलती है, इसलिए अधूरे रह गए शौक जरूर पूरे करना चाहिए और जब सेहत के लिए फायदेमंद हो, तो फिर क्यों पीछे हटना. ऐसा मानना है सागर की जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में सूबेदार पद पर पदस्थ रश्मि रावत का. जो बचपन से खेलों की शौकीन थी, लेकिन पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारी के कारण अपना शौक पूरा नहीं कर पाई. रश्मि जब 40 की उम्र पार करने के बाद अपनी फिटनेस को लेकर सतर्क हुई और जिम जाना शुरू किया, तो पावर लिफ्टिंग का शौक चढ़ गया. शौक भी ऐसा चढ़ा कि पहले जिला स्तर पर पहला स्थान हासिल किया और फिर इंदौर में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर प्रदेशभर में पहला स्थान हासिल किया. सूबेदार रश्मि रावत उन महिलाओं के लिए मिसाल है. जो परिवार की जिम्मेदारी और उम्र के के चलते अपने शौक पूरे नहीं कर पाती हैं. जब उम्र के पड़ाव पर बीमारियां घेर लेती हैं, तो अपने आप को लाचार पाती हैं.

state champion in power lifting
स्टेट चैंपियन रश्मि रावत

कैसे बनी सूबेदार रश्मि पॉवरलिफ्टिंग में स्टेट चैंपियन: सागर स्थित जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में पदस्थ सूबेदार रश्मि रावत की बात करें, तो बचपन से खेलों की शौकीन रही रश्मि रावत नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते दिनभर व्यस्त रहती थी. पुलिस अकादमी में सूबेदार की नौकरी और परिवार में दो बच्चों के पालन- पोषण की जिम्मेदारी के चलते रश्मि रावत अपनी तमाम इच्छाओं और शौक को भूल चुकी थी, लेकिन उम्र के 40 साल पार करने के बाद उन्हें लगा कि सेहत के लिए जरूरी है कि वह फिर खेलना कूदना शुरू करें, तो उन्होंने जिम जाना शुरू किया. पहले तो फिजिकल फिटनेस के लिए उन्होंने जिम जाना शुरू किया, लेकिन जिम में वर्कआउट के दौरान उन्हें पावर लिफ्टिंग का शौक चढ़ गया. उनको देखकर कई लोगों ने चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की सलाह दी. पहले तो रश्मि रावत ने सागर में आयोजित जिला स्तरीय पावरलफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और जब पहला स्थान हासिल किया, तो उनका मनोबल काफी बढ़ गया. फिर मध्यप्रदेश पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन द्वारा 3 से 5 मार्च तक इंदौर में आयोजित स्टेट पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 52 किलोग्राम वर्ग में 152.5 किलोग्राम वजन उठाकर पहला स्थान हासिल किया.

फिटनेस के लिए शुरू किया जिम जाना: सूबेदार रश्मि रावत बताती हैं कि मैं बचपन से ही गेम्स की शौकीन थी. आठवीं तक तो स्कूल गेम्स में हिस्सा लेती रही और स्टेट लेवल चैंपियनशिप तक पहुंची भी, लेकिन फिर पढ़ाई और परिवार की वजह से मैंने गेम्स में हिस्सा लेना बंद कर दिया. मुझे हमेशा अफसोस था कि मैं नेशनल गेम्स में हिस्सा लूं. शादी के बाद और नौकरी के कारण कई सालों तक तो मुझे वक्त नहीं मिला और जब 40 के पार उम्र हो गयी, तो मैंने फिटनेस के लिए जिम जाना शुरू किया. जिम में मैं सामान्य तौर पर वर्कआउट करती रहती थी. वहां पर मुझे पावर लिफ्टिंग के बारे में पता चला और मैंने पावरलिफ्टिंग में हिस्सा लेने के बारे में सोचा. तभी सागर में जिला स्तरीय प्रतियोगिता हुई और मुझे पहला स्थान हासिल हुआ, तो मेरा मनोबल बढ़ गया और इंदौर में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और पहला स्थान हासिल किया.

Subedar rashmi Rawat
सूबेदार रश्मि रावत

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जिम्मेदारी के साथ भी निकाला जा सकता है वक्त: रश्मि रावत बताती हैं कि नौकरी के साथ फैमिली को भी समय देना पड़ता है, लेकिन कुछ समय ऐसा रहता है कि आप अपने शौक के लिए भी एक या 2 घंटे निकाल सकते हैं. मैं दिन भर काफी व्यस्त रहती हूं. कई बार मुझे जल्दी ऑफिस पहुंचना पड़ता है और कई बार ज्यादा काम के कारण आफिस से आने में देरी हो जाती है. इसलिए मैं सुबह 5:30 बजे उठती हूं और 6:00 से 8:30 तक जिम में वर्कआउट करती हूं. फिर आकर घर पर बच्चों की देखभाल करना खाना बनाना और ऑफिस जाना दिन भर यही रूटीन रहता है.

Sagar Subedar rashmi Rawat
परिवार के साथ रश्मि रावत

जिंदगी एक बार मिलती है शौक जरूर करें पूरे: रश्मि रावत का कहना है कि परिवार और दूसरी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी महिलाओं से मैं इतना कहना चाहूंगी कि शौक जरूर पूर करना चाहिए, क्योंकि जिंदगी एक बार ही मिलती है और फिर जब फिटनेस का सवाल हो, तो जरूर गंभीर रहना चाहिए, क्योंकि 35 और 40 की उम्र के बाद कुछ ना कुछ बीमारियां हमें घेर लेती हैं. कहीं शुगर कहीं ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. मैं बचपन से ही फिटनेस को लेकर सतर्क रहती थी. फिर मुझे अभी लगा कि अगर अभी शुरू नहीं किया और उम्र के चलते कोई शारीरिक समस्या आ गई, तो फिर दिक्कत होगी.

सूबेदार रश्मि बनीं स्टेट चैंपियन

सागर। जिंदगी एक बार मिलती है, इसलिए अधूरे रह गए शौक जरूर पूरे करना चाहिए और जब सेहत के लिए फायदेमंद हो, तो फिर क्यों पीछे हटना. ऐसा मानना है सागर की जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में सूबेदार पद पर पदस्थ रश्मि रावत का. जो बचपन से खेलों की शौकीन थी, लेकिन पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारी के कारण अपना शौक पूरा नहीं कर पाई. रश्मि जब 40 की उम्र पार करने के बाद अपनी फिटनेस को लेकर सतर्क हुई और जिम जाना शुरू किया, तो पावर लिफ्टिंग का शौक चढ़ गया. शौक भी ऐसा चढ़ा कि पहले जिला स्तर पर पहला स्थान हासिल किया और फिर इंदौर में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर प्रदेशभर में पहला स्थान हासिल किया. सूबेदार रश्मि रावत उन महिलाओं के लिए मिसाल है. जो परिवार की जिम्मेदारी और उम्र के के चलते अपने शौक पूरे नहीं कर पाती हैं. जब उम्र के पड़ाव पर बीमारियां घेर लेती हैं, तो अपने आप को लाचार पाती हैं.

state champion in power lifting
स्टेट चैंपियन रश्मि रावत

कैसे बनी सूबेदार रश्मि पॉवरलिफ्टिंग में स्टेट चैंपियन: सागर स्थित जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में पदस्थ सूबेदार रश्मि रावत की बात करें, तो बचपन से खेलों की शौकीन रही रश्मि रावत नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते दिनभर व्यस्त रहती थी. पुलिस अकादमी में सूबेदार की नौकरी और परिवार में दो बच्चों के पालन- पोषण की जिम्मेदारी के चलते रश्मि रावत अपनी तमाम इच्छाओं और शौक को भूल चुकी थी, लेकिन उम्र के 40 साल पार करने के बाद उन्हें लगा कि सेहत के लिए जरूरी है कि वह फिर खेलना कूदना शुरू करें, तो उन्होंने जिम जाना शुरू किया. पहले तो फिजिकल फिटनेस के लिए उन्होंने जिम जाना शुरू किया, लेकिन जिम में वर्कआउट के दौरान उन्हें पावर लिफ्टिंग का शौक चढ़ गया. उनको देखकर कई लोगों ने चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की सलाह दी. पहले तो रश्मि रावत ने सागर में आयोजित जिला स्तरीय पावरलफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और जब पहला स्थान हासिल किया, तो उनका मनोबल काफी बढ़ गया. फिर मध्यप्रदेश पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन द्वारा 3 से 5 मार्च तक इंदौर में आयोजित स्टेट पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 52 किलोग्राम वर्ग में 152.5 किलोग्राम वजन उठाकर पहला स्थान हासिल किया.

फिटनेस के लिए शुरू किया जिम जाना: सूबेदार रश्मि रावत बताती हैं कि मैं बचपन से ही गेम्स की शौकीन थी. आठवीं तक तो स्कूल गेम्स में हिस्सा लेती रही और स्टेट लेवल चैंपियनशिप तक पहुंची भी, लेकिन फिर पढ़ाई और परिवार की वजह से मैंने गेम्स में हिस्सा लेना बंद कर दिया. मुझे हमेशा अफसोस था कि मैं नेशनल गेम्स में हिस्सा लूं. शादी के बाद और नौकरी के कारण कई सालों तक तो मुझे वक्त नहीं मिला और जब 40 के पार उम्र हो गयी, तो मैंने फिटनेस के लिए जिम जाना शुरू किया. जिम में मैं सामान्य तौर पर वर्कआउट करती रहती थी. वहां पर मुझे पावर लिफ्टिंग के बारे में पता चला और मैंने पावरलिफ्टिंग में हिस्सा लेने के बारे में सोचा. तभी सागर में जिला स्तरीय प्रतियोगिता हुई और मुझे पहला स्थान हासिल हुआ, तो मेरा मनोबल बढ़ गया और इंदौर में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और पहला स्थान हासिल किया.

Subedar rashmi Rawat
सूबेदार रश्मि रावत

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जिम्मेदारी के साथ भी निकाला जा सकता है वक्त: रश्मि रावत बताती हैं कि नौकरी के साथ फैमिली को भी समय देना पड़ता है, लेकिन कुछ समय ऐसा रहता है कि आप अपने शौक के लिए भी एक या 2 घंटे निकाल सकते हैं. मैं दिन भर काफी व्यस्त रहती हूं. कई बार मुझे जल्दी ऑफिस पहुंचना पड़ता है और कई बार ज्यादा काम के कारण आफिस से आने में देरी हो जाती है. इसलिए मैं सुबह 5:30 बजे उठती हूं और 6:00 से 8:30 तक जिम में वर्कआउट करती हूं. फिर आकर घर पर बच्चों की देखभाल करना खाना बनाना और ऑफिस जाना दिन भर यही रूटीन रहता है.

Sagar Subedar rashmi Rawat
परिवार के साथ रश्मि रावत

जिंदगी एक बार मिलती है शौक जरूर करें पूरे: रश्मि रावत का कहना है कि परिवार और दूसरी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी महिलाओं से मैं इतना कहना चाहूंगी कि शौक जरूर पूर करना चाहिए, क्योंकि जिंदगी एक बार ही मिलती है और फिर जब फिटनेस का सवाल हो, तो जरूर गंभीर रहना चाहिए, क्योंकि 35 और 40 की उम्र के बाद कुछ ना कुछ बीमारियां हमें घेर लेती हैं. कहीं शुगर कहीं ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. मैं बचपन से ही फिटनेस को लेकर सतर्क रहती थी. फिर मुझे अभी लगा कि अगर अभी शुरू नहीं किया और उम्र के चलते कोई शारीरिक समस्या आ गई, तो फिर दिक्कत होगी.

Last Updated : Mar 7, 2023, 10:42 PM IST
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