सागर। प्रदेश का सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यारण्य नौरादेही तीन जिलों में स्थित है. प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवों के लिए मशहूर नौरादेही अभयारण्य में 165 प्रकार के दुर्लभ पक्षियों और बाघों की मौजूदगी पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है. नौरादेही वन्य जीव अभयारण्य सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले तक 1097 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है. 1097 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य और 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले दमोह के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव जनवरी 2022 में राज्य सरकार को भेजा गया है. वहीं राज्य सरकार द्वारा यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के लिए भेज दिया गया है. चर्चा है कि जल्द ही नौरादेही को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल जाएगा.
बाघों का नया बसेरा बनेगा: नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघों की कुल संख्या 10 पहुंच चुकी है. जिनमें से 9 बाघ नौरादेही के और एक बाघ मेहमान है. नौरादेही के विशाल क्षेत्रफल और घास के मैदानों को देखते हुए 2018 में यहां राष्ट्रीय बाघ संरक्षण परियोजना के अंतर्गत बाघों को बचाने की शुरुआत की गई थी. नौरादेही में बाघों को बसाने के उद्देश्य से 2018 में कान्हा किसली उद्यान से बाघिन राधा और बांधवगढ़ से बाघ किशन को लाया गया था. कुछ ही दिनों में दोनों बाघ-बाघिन को नौरादेही की माहौल में रच-बस गए. बाघिन ने राधा ने मई 2019 में तीन शावकों को जन्म दिया था और फिर 5 नवंबर 2021 को राधा के साथ दो नवजात शावक देखे गए. इसके बाद अप्रैल 2022 में बाघिन राधा N-112 ने दो शावकों को देखा गया. इसके अलावा नौरादेही में एक और बार देखा जा रहा है, जिसे मेहमान बताया जा रहा है.
टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारियां अंतिम दौर में: नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य को दमोह के रानी दुर्गावती अभयारण्य से मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारियां वन विभाग ने शुरू कर दी हैं. सबसे पहले नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में बसे गांव को विस्थापित किया जा रहा है. नौरादेही से विस्थापित होने वाले गांवों के लिए रहली-सागर मार्ग पर समनापुर के नजदीक शंकरगढ़ में बसाया जा रहा है. जिसे मध्यप्रदेश का विस्थापन का अब तक का सबसे बड़ा और व्यवस्थित विस्थापन कहा जा रहा है. नौरादेही से विस्थापित लोगों के लिए मुआवजे के अलावा शंकरगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत एक कॉलोनी बसाई जा रही है. इसके अलावा यहां पर आजीविका के लिए आजीविका भवन बनाया गया है. इलाके में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार सरकार द्वारा किया जा रहा है.
इको सेंसेटिव जोन भी घोषित : सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नौरादेही से विस्थापित होने वाले लोगों को दिया जा रहा है. नौरादेही अभ्यारण्य को भविष्य में टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इको सेंसेटिव जोन भी घोषित कर दिया गया है. नौरादेही की सीमा से 1 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन में रखा गया है, जहां कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. इसके अलावा नौरादेही अभयारण्य के घास मैदानों को व्यवस्थित किया जा रहा है और बाघों की बसाहट के लिए जरूरी तमाम औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं.
क्या कहते हैं जानकार : वन और वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था प्रयत्न के संयोजक अजय दुबे कहते हैं "मध्यप्रदेश का नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व के तौर पर गठित होने के लिए प्रस्तावित है. यह एक ऐसा अवसर है, जब भारत में टाइगर प्रोजेक्ट के 50 साल होने जा रहे हैं. इस वक्त बाघों की सुरक्षा के लिए जितनी अधिक से अधिक जमीन दे सकते हैं, देना चाहिए. यह आने वाली पीढ़ी के लिए मूल्यवान विरासत होगी. हम प्रकृति के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं. हम बाघों की बात करते हैं. क्योंकि बाघों का स्वस्थ रहना और बाघों का अस्तित्व बनाए रखना, इस तरह से टाइगर रिजर्व तैयार करना, स्वस्थ वन और जंगल का संकेत होते हैं." वह कहते हैं कि जहां बाघ रहता है, वहां शाकाहारी जीव होते हैं. वहां प्रकृति की विविधता सुरक्षित रहती है. हम नौरादेही में बाघों के संरक्षण को उचित कदम के रूप में देखते हैं. लेकिन बेहतर टाइगर रिजर्व बनाने के लिए वन्य जीव अधिनियम के नियम कानून का कायदे से पालन होना चाहिए.