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सागर के पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी मंदिर में लगा शिष्यों और भक्तों का तांता, मनाई गई Guru Purnima 2023

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Published : Jul 3, 2023, 1:10 PM IST

Guru Purnima in Sagar: पूरे देश में आज गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. भक्त अपने गुरु को याद कर उनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं, इसी क्रम में सागर के पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी के मंदिर में शिष्यों ने गुरु पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया.

guru purnima in sagar dadda ji temple
सागर दद्दा जी मंदिर में मनाई गई गुरु पूर्णिमा

सागर। मध्य प्रदेश ही नहीं देश के कई नेताओं अभिनेताओं के गुरु पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी की आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की गई. दद्दा जी शिष्य मंडल द्वारा सागर में स्थापित दद्दा जी और गुरु माता के मंदिर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया, जिसमें दद्दा जी शिष्य मंडल के सभी सदस्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और दद्दा जी की आरती पूजन कर आशीर्वाद लिया. दद्दा जी के देहावसान के बाद सागर में दद्दा जी और गुरु माता का मंदिर स्थापित किया गया है,जिसमें प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है.

सुबह से लगा भक्तों और शिष्यों का तांता: सागर के दीनदयाल नगर में श्री राम बाग मंदिर में स्थापित पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी और उनकी धर्मपत्नी के मंदिर में आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग गया. गुरु पूर्णिमा उत्सव के अवसर पर सुबह 9:30 बजे से विशेष पूजा अर्चना का कार्यक्रम रखा गया, विधि विधान से दद्दा जी की पूजा अर्चना की गई और पूजा अर्चना के पश्चात आरती, महा आरती और प्रसादी का कार्यक्रम आयोजित किया गया. गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर दद्दा जी के शिष्यों ने उन्हें स्मरण कर दद्दा जी का आशीर्वाद लिया.

जरूर पढ़िए ये खबरें:

दद्दा जी शिष्य मंडल का संकल्प: दद्दा जी शिष्य मंडल के प्रमुख सदस्य सुरेंद्र साहनी ने बताया कि "हम लोग दद्दा जी के जीवन काल में 1981- 82 में उनसे जुड़ गए थे, पूरे देश के अलावा सागर और सागर जिले में दद्दा जी के हजारों शिष्य हैं. सागर में दद्दा जी द्वारा 11 बार शिवलिंग निर्माण महारुद्र महायज्ञ का आयोजन किया गया था. दद्दा जी हर वर्ष गुरु पूर्णिमा मनाते थे, तो वह जहां रहते थे, उनके सभी शिष्य और भक्त वहां पहुंच जाते थे. उसी श्रृंखला में जब दद्दा जी ने देह त्यागी, तो आज याद करना उचित होगा कि हमारे गुरु भाई वीरेंद्र गौर ने तब ही संकल्प ले लिया था, जब दद्दा जी की पार्थिव देह अग्नि को समर्पित नहीं हुई थी, कि सागर में दद्दा जी और माता जी का मंदिर बनाया जाएगा.

हिंदुस्तान में यह दद्दा जी का पहला मंदिर है, जो सागर में स्थित है, जिस प्रकार उनके जीवन काल में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती थी, उसी तरह आज हम उनके मंदिर में उनकी प्रतिमा के समक्ष सभी गुरु भाई मिलकर गुरु पूर्णिमा मना रहे हैं. आज उनके समाधि स्थल कूड़ा में एक मंदिर स्थित है, जिसे हम घनश्याम बाग के नाम से जानते हैं. देश के अलग-अलग कोनों में, जो जहां पर दद्दा जी का शिष्य है, वह जब आज दद्दा जी नहीं हैं, तो वह अपने तरीके से गुरु पूर्णिमा का आयोजन करते हैं. आज हमारा संकल्प है कि यह निरंतरता बनी रहेगी और गुरु पूर्णिमा के उत्सव में गुरु भाई और दद्दा जी से जुड़े परिवार शामिल होते रहेंगे, ना सिर्फ दद्दा जी के गुरु भाई, उनके श्रद्धालुओं और दद्दा जी में जो लोग आस्था रखते हैं, वह यहां पर आते हैं और दद्दा जी का आशीर्वाद लेते हैं."

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सुबह से लगा भक्तों और शिष्यों का तांता: सागर के दीनदयाल नगर में श्री राम बाग मंदिर में स्थापित पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी और उनकी धर्मपत्नी के मंदिर में आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग गया. गुरु पूर्णिमा उत्सव के अवसर पर सुबह 9:30 बजे से विशेष पूजा अर्चना का कार्यक्रम रखा गया, विधि विधान से दद्दा जी की पूजा अर्चना की गई और पूजा अर्चना के पश्चात आरती, महा आरती और प्रसादी का कार्यक्रम आयोजित किया गया. गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर दद्दा जी के शिष्यों ने उन्हें स्मरण कर दद्दा जी का आशीर्वाद लिया.

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हिंदुस्तान में यह दद्दा जी का पहला मंदिर है, जो सागर में स्थित है, जिस प्रकार उनके जीवन काल में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती थी, उसी तरह आज हम उनके मंदिर में उनकी प्रतिमा के समक्ष सभी गुरु भाई मिलकर गुरु पूर्णिमा मना रहे हैं. आज उनके समाधि स्थल कूड़ा में एक मंदिर स्थित है, जिसे हम घनश्याम बाग के नाम से जानते हैं. देश के अलग-अलग कोनों में, जो जहां पर दद्दा जी का शिष्य है, वह जब आज दद्दा जी नहीं हैं, तो वह अपने तरीके से गुरु पूर्णिमा का आयोजन करते हैं. आज हमारा संकल्प है कि यह निरंतरता बनी रहेगी और गुरु पूर्णिमा के उत्सव में गुरु भाई और दद्दा जी से जुड़े परिवार शामिल होते रहेंगे, ना सिर्फ दद्दा जी के गुरु भाई, उनके श्रद्धालुओं और दद्दा जी में जो लोग आस्था रखते हैं, वह यहां पर आते हैं और दद्दा जी का आशीर्वाद लेते हैं."

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