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पापी पेट के लिए मिली मासूम को सजा, पुलिस ने भेजा जेल - टिकीटोरिया

सागर जिले की रहली तहसील के टिकीटोरिया गांव में एक मासूम को पुलिस ने सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया. क्योंकि उसने अपने भाई-बहन की भूख मिटाने के लिए मंदिर की दानपेटी से 250 रुपए निकाल लिए थे. लेकिन इसी मंदिर से लाखों रुपए की चोरी करने वाले बदमाश अब भी हैं फरार

मासूम को भेजा बाल सुधारगृह
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Published : Oct 1, 2019, 12:33 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 1:47 PM IST

सागर। भूख इंसान को कितना बेबस कर जाती है. जो अपनों को अपनों से जुदा कर देती हैं. तस्वीरों में दिख रहे इन मासूमों के मुंह से शायद यहीं शब्द निकल रहे होंगे. क्योंकि इन दोनों बच्चों की बड़ी बहन, जिसकी उम्र महज 12 साल थी. केवल इसलिए इनसे दूर हो गई क्योंकि उससे अपने भाई-बहन की भूख नहीं देखी गई.

भूख के बदले मासूम को मिली सजा

मामला नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की गृह विधानसभा क्षेत्र रहली के टिकीटोरिया गांव का है. जहां एक 12 साल की बच्ची से अपने भाई-बहन की भूख की तड़पन सहन नहीं हुई और उसने गांव के मंदिर से 250 रुपए चुरा लिए. इन पैसों से उसने अपने भाई-बहन की भूख तो मिटा दी. लेकिन 250 रुपए की चोरी इतनी मंहगी पड़ गई वह अपने भाई-बहन से जुदा हो गई. क्योंकि मंदिर की दानपेटी से चुराए पैसों की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई और इंसानियत के ठेकेदारों ने इस बच्ची को पुलिस के हवाले कर दिया और पुलिस ने जरा भी संवेदना न दिखाते हुए उसे बाल सुधार गृह शहडोल भेज दिया.

इंसानियत को शर्मशार करने की इससे बड़ी वजह शायद और कोई नहीं होगी. क्योंकि एक तरफ नवरात्रि में देशभर के लोग मिट्टी की मूर्तियों को देवी मानकर पूज रहे हैं. लेकिन उसी देवी के मंदिर से 250 रुपए चुराने के लिए एक कन्या को जेल भेज दिया जाता है. ईटीवी भारत चोरी करने का बिल्कुल समर्थन नहीं करता, ईटीवी भारत का सवाल सिस्टम से भी है. इंसानियत से भी है. और समाज से भी. क्योंकि जब इसी मंदिर से लाखों रुपए की चोरी हुई तो उन बदमाशों तक कानून के हाथ नहीं पहुंचे. लेकिन एक मासूम ने केवल भूख के लिए 250 रुपए चुरा लिए तो उसे जेल भेज दिया और उसे अपने भाई-बहन से जुदा कर दिया.

अब जरा इन तस्वीरों को देखिए घर के नाम पर टाट-पट्टी का टूटा-फूठा मकान. जिसमें बैठे दो मासूम बच्चे अपनी बड़ी बहन का इंतजार कर रहे हैं. शायद उन्हें यह पता नहीं है कि उनकी बहन ने उनकी भूख की कीमत कितनी बड़ी चुकाई है. ऐसा भी नहीं था कि बच्ची ने चोरी की बता छुपाई हो. जब उसके पिता ने उससे पूछा की चोरी के पैसे कहा है. तो उसने बताया कि 180 रुपए का आटा लिया था. बाकि के पैसे उसके पास हैं. उसने यह गुनाह केवल इसलिए कर दिया क्योंकि उससे अपने भाई बहन की भूख सहन नहीं हुई.

ईटीवी भारत की अपील है कि उस बच्ची को जल्द से जल्द छोड़ा जाए और शासन से यह मांग है कि गरीबों के नाम पर वे जिन योजनाओं से अपनी पीठ थपथापते हैं, तो अगर उनमें वाकई सवेदनाएं बची हैं तो उस परिवार के लिए वो सुविधाए उपलब्ध कराएं. जिससे उनकी दो वक्त की भूख तो मिट सके.

सागर। भूख इंसान को कितना बेबस कर जाती है. जो अपनों को अपनों से जुदा कर देती हैं. तस्वीरों में दिख रहे इन मासूमों के मुंह से शायद यहीं शब्द निकल रहे होंगे. क्योंकि इन दोनों बच्चों की बड़ी बहन, जिसकी उम्र महज 12 साल थी. केवल इसलिए इनसे दूर हो गई क्योंकि उससे अपने भाई-बहन की भूख नहीं देखी गई.

भूख के बदले मासूम को मिली सजा

मामला नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की गृह विधानसभा क्षेत्र रहली के टिकीटोरिया गांव का है. जहां एक 12 साल की बच्ची से अपने भाई-बहन की भूख की तड़पन सहन नहीं हुई और उसने गांव के मंदिर से 250 रुपए चुरा लिए. इन पैसों से उसने अपने भाई-बहन की भूख तो मिटा दी. लेकिन 250 रुपए की चोरी इतनी मंहगी पड़ गई वह अपने भाई-बहन से जुदा हो गई. क्योंकि मंदिर की दानपेटी से चुराए पैसों की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई और इंसानियत के ठेकेदारों ने इस बच्ची को पुलिस के हवाले कर दिया और पुलिस ने जरा भी संवेदना न दिखाते हुए उसे बाल सुधार गृह शहडोल भेज दिया.

इंसानियत को शर्मशार करने की इससे बड़ी वजह शायद और कोई नहीं होगी. क्योंकि एक तरफ नवरात्रि में देशभर के लोग मिट्टी की मूर्तियों को देवी मानकर पूज रहे हैं. लेकिन उसी देवी के मंदिर से 250 रुपए चुराने के लिए एक कन्या को जेल भेज दिया जाता है. ईटीवी भारत चोरी करने का बिल्कुल समर्थन नहीं करता, ईटीवी भारत का सवाल सिस्टम से भी है. इंसानियत से भी है. और समाज से भी. क्योंकि जब इसी मंदिर से लाखों रुपए की चोरी हुई तो उन बदमाशों तक कानून के हाथ नहीं पहुंचे. लेकिन एक मासूम ने केवल भूख के लिए 250 रुपए चुरा लिए तो उसे जेल भेज दिया और उसे अपने भाई-बहन से जुदा कर दिया.

अब जरा इन तस्वीरों को देखिए घर के नाम पर टाट-पट्टी का टूटा-फूठा मकान. जिसमें बैठे दो मासूम बच्चे अपनी बड़ी बहन का इंतजार कर रहे हैं. शायद उन्हें यह पता नहीं है कि उनकी बहन ने उनकी भूख की कीमत कितनी बड़ी चुकाई है. ऐसा भी नहीं था कि बच्ची ने चोरी की बता छुपाई हो. जब उसके पिता ने उससे पूछा की चोरी के पैसे कहा है. तो उसने बताया कि 180 रुपए का आटा लिया था. बाकि के पैसे उसके पास हैं. उसने यह गुनाह केवल इसलिए कर दिया क्योंकि उससे अपने भाई बहन की भूख सहन नहीं हुई.

ईटीवी भारत की अपील है कि उस बच्ची को जल्द से जल्द छोड़ा जाए और शासन से यह मांग है कि गरीबों के नाम पर वे जिन योजनाओं से अपनी पीठ थपथापते हैं, तो अगर उनमें वाकई सवेदनाएं बची हैं तो उस परिवार के लिए वो सुविधाए उपलब्ध कराएं. जिससे उनकी दो वक्त की भूख तो मिट सके.

Intro:सागर। सागर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल टिकीटोरिया मंदिर में हुई चोरी के मामले में पुलिस ने बारह वर्षीय बालिका को गिरफतार कर किशोर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे बाल सुधार गृह शहडोल भेजा गया है। बालिका ने महज दस किलो गेंहू खरीदने के लिए मंदिर की दानपेटी से ढाई सौ रूपए निकाले थे। बालिका के बाल सुधारगृह जाने के उसके आठ वर्षीय भाई और छह वर्षीय बहिन मायूस हैं, क्योंकि बालिका सहित इन भाई बहिनों के सर से मां का साया भी उठ चुका है। ऐसे में बहिन की आंखों में ही उन्हें ममता दिखती थी। हालांकि मंदिर के इस चोरी का खुलासा नादान बालिका की नादानी से ही हो सका है वरना कुछ दिन पहले ही श्रीदेव पंढरीनाथ मंदिर में सेंध लगाने वाले अब भी पुलिस की गिरफत से बाहर हैं। तथा टिकीटोरिया मंदिर में इसके पहले भी चोरी के मामले सामने आए लेकिन इन चोरों तक पुलिस नहीं पहुंच सकी। Body:रहली नगर की बाहरी सीमा स्थित साढ़े चार सौ फीट उंची पहाड़ी पर विगत शनिवार को दानपेटी से रूप्ए निकाले जाने का मामला सामने आने पर मंदिर प्रबंधन की रिपोर्ट पर पुलिस थाने में चोरी का मामला दर्ज कराया गया था। मंदिर में लगे सीसीटीव्ही कैमरे के आधार पर पुलिस ने बारह वर्षीय किशोरी से पूंछताछ की। किशोरी ने दानपेटी से रूप्ए निकाले जाना कबूल किया। जब बालिका के पिता ने किशोरी का स्कूल बेग देखा तो उसमें सत्तर रूप्ए निकले तथा किशोरी द्वारा एक सौ अस्सी रूप्ए के दस किलो गेहूं घर में लाए गए थे। किशोरी ने अपने पिता केा बताया था कि मंदिर की पेटी का कुंदा जरा सा घुमाने पर पेटी खुल गई जिसमें से मैंने सौ रूप्ए का एक नोट तथा एक सौ पचास रूप्ए के सिक्के निकाले थे। वो भी इसलिए कि किशोरी गेहूं पिसाने गई थी। आटा चक्की पर उसके दस किलो गेहूं गुम हो गए। घर मे पिता गुस्सा के घर से एक दिन तो उसने गेहूं या आटा चक्की पर ही रखे होने की बात कहकर टाल दी लेकिन दूसरे दिन गेहूं खरीदने के लिए पैसे जुटाने की सोची और बिना चप्पल के पैदल ही मंदिर पहुंच गई। जहां पर उसने मौका देखकर मंदिर की दानपेटी से कुल ढाई सौ रूपए निकाल लिए। जिसमें से 180 रूप्ए के गेहूं खरीदकर बाकी 70 रूपए स्कूल बैग में रख लिए।
यह है परिवार की हालत-
कक्षा सातवीं में पढ़ने वाली बारह वर्षीय किशोरी पर भले ही परिवार के भरण पोषण का जिम्मा न हो लेकिन चार सदस्यीय परिवार के भोजन बनाने का जिम्मा तीन साल से है। दरअसल तीन साल पहले प्रसव के दौरान किशोरी की मां का निधन हो गया था। जिसके बाद से पिता के उपर खाना बनाने का जिम्मा आ गया। आठ वर्षीय भाई और छह वर्षीय बहिन किशोरी से ही खाने को मांगते हैं। किशोरी के पिता बताते हैं कि सब्जी मै बनाता हूं उससे अभी ठीक से रोटी बनाते तो नहीं बनती लेकिन खाने लायक रोटी बना देती है।
न दरबाजा न दीवारेें-
गरीब परिवार की किशोरी जिस प्रकार के मकान में रहती है उससे अच्छी जगह तो मवेशियों के रहने की होती है। किसी दूसरी व्यक्ति दस वाय दस की जगह में घासपूस का मकान बना हुआ है। जिसमें किशोरी अपने भाई बहिन और पिता के साथ हंसती खेलती रहती थी लेकिन अचानक आई परिस्थिति के कारण छोटे भाई बहिनों की मां समान बड़ी बहिन दूर होने से दोनो मायूस हैं। हालांकि किशोरी की इस प्रकार की परिस्थिति सामने से आने से कई लोगों ने मदद की बात कही है लेकिन शायद शासन की योजनाएं ही इतनी अधिक हैं कि यदि जिम्मेवार लोग अपने कत्र्तव्य का निर्वहन करते हुए किशोरी के परिवार की मदद कर दे ंतो न केवल उन्हें आशियाना मिल जाएगा बल्कि दो वक्त की रोटी भी आसानी से मिलती रहेगी।
Conclusion:
Last Updated : Oct 1, 2019, 1:47 PM IST
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