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सोयाबीन से परेशान किसानों ने उड़द को अपनाया, लेकिन येलो मोजेक ने बरपाया कहर, ऐसे करें रोकथाम - Yellow Mosaic news

सोयाबीन (Soybean) के उत्पादन में लगातार हो रही गिरावट के चलते किसानों (Farmers) पर आर्थिक तंगी का बोझ बढ़ने लगा, जिसके बाद ज्यादातर किसानों ने सोयाबीन की जगह पर उड़द (Urad) की फसल को अपनाया था. लोगों को उम्मीद थी कि उड़द की फसल लगातार 5 साल से नुकसान झेल रहे किसानों के लिए राहत देगी, लेकिन उड़द की फसल में येलो मोजैक वायरस के कारण किसानों को काफी नुकसान की संभावना है.

Yellow Mosaic Disease
येलो मोजेक
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Published : Oct 3, 2021, 10:46 AM IST

Updated : Oct 3, 2021, 1:02 PM IST

सागर। पिछले चार-पांच सालों से सोयाबीन (Soybean) का उत्पादन गिर जाने के कारण बुंदेलखंड (Bundelkhand) के किसानों (Farmers) ने सोयाबीन से हाय तौबा कर ली थी, और ज्यादातर किसानों ने सोयाबीन की जगह पर उड़द (Urad) की फसल को अपनाया था. सोयाबीन का रकबा जिले में करीब 1 लाख हेक्टेयर कम हुआ था और उड़द का रकबा दोगुना हो गया था. लोगों को उम्मीद थी कि उड़द की फसल लगातार 5 साल से नुकसान झेल रहे किसानों के लिए राहत देगी, लेकिन उड़द की फसल में येलो मोजैक वायरस (Yellow Mosaic Virus) के कारण किसानों को काफी नुकसान की संभावना है. कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural scientists) का कहना है कि कीटनाशक (insecticide) के जरिए येलो मोजिक (Yellow Mosaic) से हो रहे उड़द के नुकसान को बचाया जा सकता है.

उड़द की फसल पर येलो मोजेक ने बरपाया कहर,
सोयाबीन से हुआ किसानों का मोहभंग
बुंदेलखंडी (Bundelkhand) इलाके में बड़े पैमाने पर सोयाबीन की फसल को बोया जाता था. प्रतिवर्ष करीब चार लाख हेक्टेयर में किसान सोयाबीन की फसल उगाते थे, लेकिन पिछले चार-पांच सालों से सोयाबीन का उत्पादन लगातार गिरता जा रहा था.किसानों को काफी नुकसान हो रहा था और सोयाबीन लगाने की लागत भी बढ़ती जा रही थी. इन परिस्थितियों के चलते मौजूदा खरीफ सीजन में किसानों ने बड़े पैमाने पर सोयाबीन को छोड़कर उड़द फसल उगाने का फैसला किया था. मौजूदा सीजन में सोयाबीन का रकबा 4 लाख हेक्टेयर से गिरकर 3 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. वहीं उड़द का रकबा 70 हजार हेक्टेयर से बढ़कर डेढ़ लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.

येलो मोजिक वायरस का शिकार हुई उड़द की फसल
सोयाबीन को भूलकर उड़द को अपनाने वाले किसानों को उम्मीद थी कि पिछले 5 सालों से हो रहे नुकसान की कुछ भरपाई इस साल उड़द की फसल से हो जाएगी, लेकिन येलो मोजैक वायरस के चलते उड़द की फसल को काफी नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक सागर जिले में 30 से 40% उड़द की फसल येलो मोजैक वायरस के कारण खराब हुई है. मक्खी से फैलने वाला यह वायरस तेजी से उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है.


खेत में मिलाएं हरी खाद, तीन साल तक बंपर उत्पादन पाएं, जानिए कैसे?


कैसे फैलता है येलो मोजैक वायरस
कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि येलो मोजिक एक वायरस है, जोकि सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. येलो मोजिक वायरस का संक्रमण एक पौधे से दूसरे पौधे में सफेद मक्खी के द्वारा होता है. ज्यादातर देखने में आ रहा है कि जिन किसानों की उड़द की फसल येलो मोजैक वायरस का शिकार हुई है, उन्होंने पुराने और देशी बीजों का उपयोग किया था. इसलिए किसानों को सलाह है कि आगे वह नई किस्मों के बीज का उपयोग करें.

येलो मोजिक वायरस से कैसे बचाएं फसल
कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत बताते हैं कि येलो मोजैक वायरस का शिकार हुई फसल के पौधों को किसानों को हटा देना चाहिए. साथ ही सफेद मक्खी पर नियंत्रण के लिए करीब 1 महीने बाद इमिडाकिलोप्रिड या एसिटेमीप्रिड की 125 से 3 मिलीलीटर हेक्टेयर या मिथाइल डिमेटान या ऐसीफिट की 300 प्रति मिली हेक्टेयर दवा का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा छिड़काव के समय सल्फैक्स 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिलाना चाहिए.

सागर। पिछले चार-पांच सालों से सोयाबीन (Soybean) का उत्पादन गिर जाने के कारण बुंदेलखंड (Bundelkhand) के किसानों (Farmers) ने सोयाबीन से हाय तौबा कर ली थी, और ज्यादातर किसानों ने सोयाबीन की जगह पर उड़द (Urad) की फसल को अपनाया था. सोयाबीन का रकबा जिले में करीब 1 लाख हेक्टेयर कम हुआ था और उड़द का रकबा दोगुना हो गया था. लोगों को उम्मीद थी कि उड़द की फसल लगातार 5 साल से नुकसान झेल रहे किसानों के लिए राहत देगी, लेकिन उड़द की फसल में येलो मोजैक वायरस (Yellow Mosaic Virus) के कारण किसानों को काफी नुकसान की संभावना है. कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural scientists) का कहना है कि कीटनाशक (insecticide) के जरिए येलो मोजिक (Yellow Mosaic) से हो रहे उड़द के नुकसान को बचाया जा सकता है.

उड़द की फसल पर येलो मोजेक ने बरपाया कहर,
सोयाबीन से हुआ किसानों का मोहभंग
बुंदेलखंडी (Bundelkhand) इलाके में बड़े पैमाने पर सोयाबीन की फसल को बोया जाता था. प्रतिवर्ष करीब चार लाख हेक्टेयर में किसान सोयाबीन की फसल उगाते थे, लेकिन पिछले चार-पांच सालों से सोयाबीन का उत्पादन लगातार गिरता जा रहा था.किसानों को काफी नुकसान हो रहा था और सोयाबीन लगाने की लागत भी बढ़ती जा रही थी. इन परिस्थितियों के चलते मौजूदा खरीफ सीजन में किसानों ने बड़े पैमाने पर सोयाबीन को छोड़कर उड़द फसल उगाने का फैसला किया था. मौजूदा सीजन में सोयाबीन का रकबा 4 लाख हेक्टेयर से गिरकर 3 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. वहीं उड़द का रकबा 70 हजार हेक्टेयर से बढ़कर डेढ़ लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.

येलो मोजिक वायरस का शिकार हुई उड़द की फसल
सोयाबीन को भूलकर उड़द को अपनाने वाले किसानों को उम्मीद थी कि पिछले 5 सालों से हो रहे नुकसान की कुछ भरपाई इस साल उड़द की फसल से हो जाएगी, लेकिन येलो मोजैक वायरस के चलते उड़द की फसल को काफी नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक सागर जिले में 30 से 40% उड़द की फसल येलो मोजैक वायरस के कारण खराब हुई है. मक्खी से फैलने वाला यह वायरस तेजी से उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है.


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कैसे फैलता है येलो मोजैक वायरस
कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि येलो मोजिक एक वायरस है, जोकि सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. येलो मोजिक वायरस का संक्रमण एक पौधे से दूसरे पौधे में सफेद मक्खी के द्वारा होता है. ज्यादातर देखने में आ रहा है कि जिन किसानों की उड़द की फसल येलो मोजैक वायरस का शिकार हुई है, उन्होंने पुराने और देशी बीजों का उपयोग किया था. इसलिए किसानों को सलाह है कि आगे वह नई किस्मों के बीज का उपयोग करें.

येलो मोजिक वायरस से कैसे बचाएं फसल
कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत बताते हैं कि येलो मोजैक वायरस का शिकार हुई फसल के पौधों को किसानों को हटा देना चाहिए. साथ ही सफेद मक्खी पर नियंत्रण के लिए करीब 1 महीने बाद इमिडाकिलोप्रिड या एसिटेमीप्रिड की 125 से 3 मिलीलीटर हेक्टेयर या मिथाइल डिमेटान या ऐसीफिट की 300 प्रति मिली हेक्टेयर दवा का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा छिड़काव के समय सल्फैक्स 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिलाना चाहिए.

Last Updated : Oct 3, 2021, 1:02 PM IST
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