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खाद की किल्लत: 2-3 दिन से कतारों में लगे पुरुष थके, अब महिलाओं ने संभाला मोर्चा

मध्य प्रदेश में खाद की किल्लत विकराल रूप धारण कर रही है, 2-3 दिनों से लगातार लाइन में लगे किसान अब थकने लगे हैं, तो अब घर की महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया है. महिलाएं अब खाद की लाइन में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रही है.

खाद की किल्लत
खाद की किल्लत
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Published : Oct 28, 2021, 5:38 PM IST

सागर। रबी की फसल की बुवाई का सीजन चल रहा है. लेकिन किसान सब कामकाज छोड़कर यूरिया और डीएपी खाद के लिए दर-दर ठोकरें खाने के लिए मजबूर है. हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि किसान पिछले कई दिनों से खाद के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगने के लिए मजबूर है, लेकिन खाद हासिल नहीं हो रही है. दूसरी तरफ प्रशासन ने टोकन व्यवस्था लागू करके किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है. कई दिनों से लाइन में लगे किसानों को राहत देने के लिए अब घरों की महिलाएं भी आगे आ रही है.

खाद की किल्लत

किसानों की महिलाएं खाद वितरण केंद्र पर सब काम का छोड़कर कतारों में लगी हुई है. प्रशासन लगातार पर्याप्त खाद होने का दावा कर रहा है, लेकिन खाद के लिए लग रही लंबी-लंबी कतारें इन दावों की हकीकत बयां कर रही है. बताया जा रहा है कि यूरिया का स्टॉक खत्म होने पर किसानों को जबरन ग्रोमोर खाद थमाई जा रही है. रोजाना जिले में कहीं ना कहीं चक्का जाम के हालात बन रहे हैं. कभी हाईवे पर चक्का जाम किया जा रहा है, तो कभी रेलवे ट्रैक को जाम किया जा रहा है. फिर भी हालात सुधर नहीं रहे हैं.

कतारों में लगे पुरुष थके, अब महिलाओं ने संभाला मोर्चा

खाद के लिए मारामारी, वितरण केंद्रों पर लंबी कतारें

बुंदेलखंड के किसानों के लिए रबी का सीजन काफी अहम होता है. यहां के किसान गेहूं, चना, मसूर और अलसी जैसी फसलों की बुवाई करते हैं. रबी सीजन में किसानों के लिए यूरिया और डीएपी खाद की जरूरत होती है. फसल की बुवाई के पहले किसानों को खाद का इंतजाम करना पड़ता है. फसल की बुवाई की तैयारी कर किसान खाद के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर है.

टोकन लेने के लिए जद्दोजहद करते किसान
टोकन लेने के लिए जद्दोजहद करते किसान

दिनभर कतार में लगने के बाद भी मायूसी

खाद वितरण केंद्रों पर उमड़ रही भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए लगाई गई कतारें लंबी होती जा रही है, लेकिन किसान का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हालात ये है कि सुबह 5 बजे से किसान कतारों में लग जाते हैं, लेकिन देर रात तक उनकी बारी नहीं आती है और फिर दूसरे दिन किसान को खाद के लिए इसी जद्दोजहद में लगना पड़ता है.

खाद के लिए परेशान हो रहा 'अन्नदाता', राजनीति करने में उलझी बीजेपी-कांग्रेस

पुरुष थके, तो महिलाओं ने निभाई जिम्मेदारी

खाद नहीं मिलने पर किसानों ने किया हंगामा
खाद नहीं मिलने पर किसानों ने किया हंगामा

बुंदेलखंड में आमतौर पर खेती किसानी की जिम्मेदारी पुरुषों की होती है. खेत की जुताई, बुवाई से लेकर खाद बीज के इंतजाम करना भी पुरुष का काम होता है. लेकिन खाद की किल्लत के कारण महिलाओं को खाद की कतारों में लगना पड़ रहा है. दो-दो, तीन-तीन दिन तक खाद की कतार में लगे-लगे जब पुरुषों को खाद हासिल नहीं हुई और खेती के दूसरे काम सर पर आ गए, तो महिलाओं के कंधों पर जवाबदारी आ गई. हालात ये हैं कि परिवार के लोग महिलाओं सहित बारी-बारी से कतारों में लग रहे हैं. महिलाएं भी घर के सभी कामकाज छोड़कर फसल की बुवाई के लिए खाद की कतारों में लगी हुई हैं और घंटों इंतजार कर रही हैं, लेकिन उन्हें खास हासिल नहीं हो रही है.

सिर्फ ग्रामीण नहीं शहरी महिलाएं भी कतारों में लगी

आम तौर पर ग्रामीण महिलाएं तो खेती किसानी में परिवार की मदद करती हैं और खेतों पर काम भी करती हैं. लेकिन सागर में चल रही खाद की जद्दोजहद के लिए शहरी महिलाएं भी संघर्ष करती नजर आ रही हैं. महिलाओं की जद्दोजहद भी पुरुषों से कम नहीं है, उनको भी खाद के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

नाराज किसानों ने जाम किया रेलवे ट्रैक
नाराज किसानों ने जाम किया रेलवे ट्रैक

यूरिया की किल्लत से दोगुनी हुई परेशानी

सरकार द्वारा जो टोकन व्यवस्था की गई है. उसके अंतर्गत एक एकड़ पर किसान को एक बोरी डीएपी और एक बोरी यूरिया खाद दिया जा रहा है. जबकि किसानों का कहना है कि एक एकड़ के लिए दो बोरी डीएपी और एक बोरी यूरिया खाद की जरूरत तो होती ही है. टोकन व्यवस्था में वैसे भी पर्याप्त खाद नहीं मिल रहा है और यूरिया के खत्म होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. किसानों को यूरिया की जगह ग्रोमोर खाद जबरन थमाया जा रहा है. जबकि किसान ग्रोमोर खाद लेने के लिए तैयार ही नहीं है.

नाराज किसानों ने किए नेशनल हाईवे और रेलवे ट्रैक जाम

खाद के संकट के चलते जिले भर में किसानों के विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है. मंगलवार को जहां सागर कानपुर हाईवे को जाम कर दिया गया था, तो बीना आगासोद मार्ग को जाम कर दिया था, जिसके कारण बीना रिफाइनरी के सभी टैंकर खड़े हो गए थे. वहीं दूसरी तरफ बीना के किसानों ने बीना कटनी रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया था, जिसके कारण पंजाब में और कई ट्रेनें बाधित हो गई थी. बुधवार को नाराज किसानों ने कश्मीर से कन्याकुमारी को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 44 को जाम कर दिया था.

लाचार किसान! बारिश से फसल हुई बर्बाद, अब नहीं मिल रहा खाद

प्रशासन के सभी दावे फेल, यूरिया का गहराया संकट

जिला कलेक्टर और एसपी पूरे जिले का दौरा कर रहे हैं और खाद वितरण केंद्रों का जायजा ले रहे हैं. लेकिन खाद को लेकर व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है. कलेक्टर दीपक आर्य किसानों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील कर रहे हैं और उनका कहना है कि सभी किसानों को खाद उपलब्ध कराई जाएगी. लेकिन खाद वितरण केंद्रों पर लगी भीड़ अव्यवस्थाओं की हकीकत अपने आप बयां कर रही है. जिला कलेक्टर का कहना है कि किसानों को समय पर और सुगमता से डीएपी और यूरिया खाद उपलब्ध कराने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. खाद वितरण की व्यवस्था की मॉनिटरिंग की जा रही है और खाद का रैक आते ही वितरण केंद्रों पर पहुंचाने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं.

जिले में खाद की उपलब्धता

जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 6647 मीट्रिक टन डीएपी की उपलब्धता है, जो सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित किए जा रहे हैं. 5346 मीट्रिक टन डीएपी, एनपीके 12-32-16 की 689 मीट्रिक टन उपलब्धता, एनपीके 200 की 612 मीट्रिक टन उपलब्धता है. आज 2700 मीट्रिक टन डीएपी सागर पहुंचने वाली है. यूरिया की कमी को लेकर जिला प्रशासन का कहना है कि यूरिया की उपलब्धता के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

सागर। रबी की फसल की बुवाई का सीजन चल रहा है. लेकिन किसान सब कामकाज छोड़कर यूरिया और डीएपी खाद के लिए दर-दर ठोकरें खाने के लिए मजबूर है. हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि किसान पिछले कई दिनों से खाद के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगने के लिए मजबूर है, लेकिन खाद हासिल नहीं हो रही है. दूसरी तरफ प्रशासन ने टोकन व्यवस्था लागू करके किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है. कई दिनों से लाइन में लगे किसानों को राहत देने के लिए अब घरों की महिलाएं भी आगे आ रही है.

खाद की किल्लत

किसानों की महिलाएं खाद वितरण केंद्र पर सब काम का छोड़कर कतारों में लगी हुई है. प्रशासन लगातार पर्याप्त खाद होने का दावा कर रहा है, लेकिन खाद के लिए लग रही लंबी-लंबी कतारें इन दावों की हकीकत बयां कर रही है. बताया जा रहा है कि यूरिया का स्टॉक खत्म होने पर किसानों को जबरन ग्रोमोर खाद थमाई जा रही है. रोजाना जिले में कहीं ना कहीं चक्का जाम के हालात बन रहे हैं. कभी हाईवे पर चक्का जाम किया जा रहा है, तो कभी रेलवे ट्रैक को जाम किया जा रहा है. फिर भी हालात सुधर नहीं रहे हैं.

कतारों में लगे पुरुष थके, अब महिलाओं ने संभाला मोर्चा

खाद के लिए मारामारी, वितरण केंद्रों पर लंबी कतारें

बुंदेलखंड के किसानों के लिए रबी का सीजन काफी अहम होता है. यहां के किसान गेहूं, चना, मसूर और अलसी जैसी फसलों की बुवाई करते हैं. रबी सीजन में किसानों के लिए यूरिया और डीएपी खाद की जरूरत होती है. फसल की बुवाई के पहले किसानों को खाद का इंतजाम करना पड़ता है. फसल की बुवाई की तैयारी कर किसान खाद के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर है.

टोकन लेने के लिए जद्दोजहद करते किसान
टोकन लेने के लिए जद्दोजहद करते किसान

दिनभर कतार में लगने के बाद भी मायूसी

खाद वितरण केंद्रों पर उमड़ रही भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए लगाई गई कतारें लंबी होती जा रही है, लेकिन किसान का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हालात ये है कि सुबह 5 बजे से किसान कतारों में लग जाते हैं, लेकिन देर रात तक उनकी बारी नहीं आती है और फिर दूसरे दिन किसान को खाद के लिए इसी जद्दोजहद में लगना पड़ता है.

खाद के लिए परेशान हो रहा 'अन्नदाता', राजनीति करने में उलझी बीजेपी-कांग्रेस

पुरुष थके, तो महिलाओं ने निभाई जिम्मेदारी

खाद नहीं मिलने पर किसानों ने किया हंगामा
खाद नहीं मिलने पर किसानों ने किया हंगामा

बुंदेलखंड में आमतौर पर खेती किसानी की जिम्मेदारी पुरुषों की होती है. खेत की जुताई, बुवाई से लेकर खाद बीज के इंतजाम करना भी पुरुष का काम होता है. लेकिन खाद की किल्लत के कारण महिलाओं को खाद की कतारों में लगना पड़ रहा है. दो-दो, तीन-तीन दिन तक खाद की कतार में लगे-लगे जब पुरुषों को खाद हासिल नहीं हुई और खेती के दूसरे काम सर पर आ गए, तो महिलाओं के कंधों पर जवाबदारी आ गई. हालात ये हैं कि परिवार के लोग महिलाओं सहित बारी-बारी से कतारों में लग रहे हैं. महिलाएं भी घर के सभी कामकाज छोड़कर फसल की बुवाई के लिए खाद की कतारों में लगी हुई हैं और घंटों इंतजार कर रही हैं, लेकिन उन्हें खास हासिल नहीं हो रही है.

सिर्फ ग्रामीण नहीं शहरी महिलाएं भी कतारों में लगी

आम तौर पर ग्रामीण महिलाएं तो खेती किसानी में परिवार की मदद करती हैं और खेतों पर काम भी करती हैं. लेकिन सागर में चल रही खाद की जद्दोजहद के लिए शहरी महिलाएं भी संघर्ष करती नजर आ रही हैं. महिलाओं की जद्दोजहद भी पुरुषों से कम नहीं है, उनको भी खाद के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

नाराज किसानों ने जाम किया रेलवे ट्रैक
नाराज किसानों ने जाम किया रेलवे ट्रैक

यूरिया की किल्लत से दोगुनी हुई परेशानी

सरकार द्वारा जो टोकन व्यवस्था की गई है. उसके अंतर्गत एक एकड़ पर किसान को एक बोरी डीएपी और एक बोरी यूरिया खाद दिया जा रहा है. जबकि किसानों का कहना है कि एक एकड़ के लिए दो बोरी डीएपी और एक बोरी यूरिया खाद की जरूरत तो होती ही है. टोकन व्यवस्था में वैसे भी पर्याप्त खाद नहीं मिल रहा है और यूरिया के खत्म होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. किसानों को यूरिया की जगह ग्रोमोर खाद जबरन थमाया जा रहा है. जबकि किसान ग्रोमोर खाद लेने के लिए तैयार ही नहीं है.

नाराज किसानों ने किए नेशनल हाईवे और रेलवे ट्रैक जाम

खाद के संकट के चलते जिले भर में किसानों के विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है. मंगलवार को जहां सागर कानपुर हाईवे को जाम कर दिया गया था, तो बीना आगासोद मार्ग को जाम कर दिया था, जिसके कारण बीना रिफाइनरी के सभी टैंकर खड़े हो गए थे. वहीं दूसरी तरफ बीना के किसानों ने बीना कटनी रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया था, जिसके कारण पंजाब में और कई ट्रेनें बाधित हो गई थी. बुधवार को नाराज किसानों ने कश्मीर से कन्याकुमारी को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 44 को जाम कर दिया था.

लाचार किसान! बारिश से फसल हुई बर्बाद, अब नहीं मिल रहा खाद

प्रशासन के सभी दावे फेल, यूरिया का गहराया संकट

जिला कलेक्टर और एसपी पूरे जिले का दौरा कर रहे हैं और खाद वितरण केंद्रों का जायजा ले रहे हैं. लेकिन खाद को लेकर व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है. कलेक्टर दीपक आर्य किसानों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील कर रहे हैं और उनका कहना है कि सभी किसानों को खाद उपलब्ध कराई जाएगी. लेकिन खाद वितरण केंद्रों पर लगी भीड़ अव्यवस्थाओं की हकीकत अपने आप बयां कर रही है. जिला कलेक्टर का कहना है कि किसानों को समय पर और सुगमता से डीएपी और यूरिया खाद उपलब्ध कराने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. खाद वितरण की व्यवस्था की मॉनिटरिंग की जा रही है और खाद का रैक आते ही वितरण केंद्रों पर पहुंचाने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं.

जिले में खाद की उपलब्धता

जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 6647 मीट्रिक टन डीएपी की उपलब्धता है, जो सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित किए जा रहे हैं. 5346 मीट्रिक टन डीएपी, एनपीके 12-32-16 की 689 मीट्रिक टन उपलब्धता, एनपीके 200 की 612 मीट्रिक टन उपलब्धता है. आज 2700 मीट्रिक टन डीएपी सागर पहुंचने वाली है. यूरिया की कमी को लेकर जिला प्रशासन का कहना है कि यूरिया की उपलब्धता के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

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