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सोयाबीन-उड़द को नकार मक्के में रुचि दिखा रहे बुंदेलखंड के किसान - Deori Tehsil

सागर जिले की देवरी देवरी तहसील का किसान अब मक्का की खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है. इस बार किसानों ने सोयाबीन और उड़द की फसल को नकार ही दिया है. पूरे विकास खंड में ज्यादातर किसानों ने मक्का की खेती ही की है.

Corn field
मक्के का खेत
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Published : Sep 1, 2020, 12:56 PM IST

सागर। बुंदेलखंड अंचल के सागर जिले की देवरी तहसील के किसानों ने सोयाबीन और उड़द की फसल को अब नकार दिया है. यहां के किसानों का रुझान मक्का की ओर बढ़ रहा है. जहां के लगभग हर गांव में जहां तक नजर जाएगी, सिर्फ और सिर्फ मक्के की फसल ही नजर आएगी. खेतों में चारों ओर सिर्फ मक्का ही मक्का दिखाई दे रहा है.

मक्के की खेती कर रहे किसान

सोयाबीन में पानी और उड़द में रोग से परेशान किसान

बुंदेलखंड अंचल में मानसून की बेरुखी और खरीफ के सीजन की प्रमुख फसलें सोयाबीन और उड़द में लगातार होते नुकसान से किसानों का इन फसलों से मोहभंग हो चुका है. खरीफ के सीजन की प्रमुख फसलों में से एक सोयाबीन को निरंतर पानी की आवश्यकता होती है, उड़द में एलोमोजैक बीमारी के चलते किसान नुकसान में ही रहते थे. जिसकी वजह से उनका रुझान मक्का उत्पादन की तरफ बढ़ रहा है.

प्रति एकड़ 30 से 50 हजार का मुनाफा

किसानों की मानें तो सोयाबीन और उड़द घाटे की फसल हो चली है, जबकि मक्के से उन्हें प्रति एकड़ 30 से 50 हजार रूपए का लाभ हो जाता है. इसके अलावा मक्के की खेती से जमीन की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है.

देवरी विकास खंड में मक्के की खेती का चलन

सिर्फ देवरी विकास खंड में 1550 हेक्टेयर से ज्यादा मक्के की फसल लगी है, किसान सोयाबीन और उड़द के स्थान पर मक्के की फसल में रुचि ले रहे हैं, विशेषज्ञों का भी मानना है कि सोयाबीन और उड़द में पिछले कई सालों से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है. इससे जमीन भी बंजर हुई है, जबकि सोयाबीन और उड़द में कभी मानसून की बेरुखी तो कभी कीट व्याधि के चलते लगातार फसल का उत्पादन भी घटा है, मक्का की फसल लगाने से उत्पादन ज्यादा और मुनाफा भी ज्या हो रहा है, जिससे किसानों के लिए मक्का की खेती लाभ का धंधा साबित हो रही है.

सागर। बुंदेलखंड अंचल के सागर जिले की देवरी तहसील के किसानों ने सोयाबीन और उड़द की फसल को अब नकार दिया है. यहां के किसानों का रुझान मक्का की ओर बढ़ रहा है. जहां के लगभग हर गांव में जहां तक नजर जाएगी, सिर्फ और सिर्फ मक्के की फसल ही नजर आएगी. खेतों में चारों ओर सिर्फ मक्का ही मक्का दिखाई दे रहा है.

मक्के की खेती कर रहे किसान

सोयाबीन में पानी और उड़द में रोग से परेशान किसान

बुंदेलखंड अंचल में मानसून की बेरुखी और खरीफ के सीजन की प्रमुख फसलें सोयाबीन और उड़द में लगातार होते नुकसान से किसानों का इन फसलों से मोहभंग हो चुका है. खरीफ के सीजन की प्रमुख फसलों में से एक सोयाबीन को निरंतर पानी की आवश्यकता होती है, उड़द में एलोमोजैक बीमारी के चलते किसान नुकसान में ही रहते थे. जिसकी वजह से उनका रुझान मक्का उत्पादन की तरफ बढ़ रहा है.

प्रति एकड़ 30 से 50 हजार का मुनाफा

किसानों की मानें तो सोयाबीन और उड़द घाटे की फसल हो चली है, जबकि मक्के से उन्हें प्रति एकड़ 30 से 50 हजार रूपए का लाभ हो जाता है. इसके अलावा मक्के की खेती से जमीन की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है.

देवरी विकास खंड में मक्के की खेती का चलन

सिर्फ देवरी विकास खंड में 1550 हेक्टेयर से ज्यादा मक्के की फसल लगी है, किसान सोयाबीन और उड़द के स्थान पर मक्के की फसल में रुचि ले रहे हैं, विशेषज्ञों का भी मानना है कि सोयाबीन और उड़द में पिछले कई सालों से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है. इससे जमीन भी बंजर हुई है, जबकि सोयाबीन और उड़द में कभी मानसून की बेरुखी तो कभी कीट व्याधि के चलते लगातार फसल का उत्पादन भी घटा है, मक्का की फसल लगाने से उत्पादन ज्यादा और मुनाफा भी ज्या हो रहा है, जिससे किसानों के लिए मक्का की खेती लाभ का धंधा साबित हो रही है.

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