सागर। डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि आज मानव सभ्यता जिस पड़ाव पर है, खासकर हम इसके पिछले दो-तीन सालों की प्रगति को देखें तो इसमें विश्वविद्यालयों का अहम योगदान दिखाई देता है. इन वर्षों में कला, साहित्य, ज्ञान और राजनीति से लेकर अर्थशास्त्र, दर्शन और शासन के क्षेत्र में मानवता को जितना भी ज्ञान प्राप्त हुआ है, जितने भी दर्शन और सिद्धांत मिले हैं, वह सभी लगभग विश्वविद्यालयों से ही संबंधित रहे हैं. इसलिए भारत सरकार शिक्षा के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की कार्ययोजना पर गंभीरता से काम कर रही है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लाभ बताए : केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को प्रत्येक वर्ग समाज के बच्चों के लिए समावेशी और सुलभ बताया. उन्होंने उपाधिधारक विद्यार्थियों से कहा कि आप डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में अध्ययनरत रहे हैं. ऐसे में आपको डॉ. गौर और अपने परिवार,अपने विश्वविद्यालय, अपने शिक्षकों और ईश्वर के प्रति हमेशा कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए और आने वाले समय में अपनी संपूर्ण क्षमता और सामर्थ्य के साथ समाज को वापस लौटने का प्रयास करना चाहिए.
मंत्री भार्गव बोले- विश्वविद्यालय से हम सबका आत्मीय लगाव : दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि और प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने ऑनलाइन दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हम सबका छात्र जीवन डॉ. गौर विश्वविद्यालय में बीता है, इसलिए मेरा इस विश्वविद्यालय से आत्मीय लगाव है. मेरी इस विश्वविद्यालय से जुड़ी कई स्मृतियां हैं. उन्होंने कहा कि पदक और डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने जीवन में आगे बढ़ें और अपने क्षेत्र और राष्ट्र की सेवा में संलग्न होने का संकल्प लेकर कार्य आरंभ करें. डॉ गौर के सपनों को साकार करने के लिए हम सब का कर्तव्य है कि हम सभी तन- मन- धन से सहयोग कर देश को नई दिशा दें और ऊंचाई पर पहुंचाएं.
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी संबोधित किया : फिल्म अभिनेता और भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने समारोह को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय जैसे सुंदर, प्राकृतिक एवं ज्ञान से समृद्ध परिवेश में अध्ययन करना किसी भी विद्यार्थी के लिए सौभाग्य की बात है. हमारी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में जितने भी श्रेष्ठ गुरुकुल हुआ करते थे, उनके लिए किसी प्रकार का प्राकृतिक परिवेश अनिवार्य था. उन्होंने कहा कि दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि शिक्षा के उपरांत जीवन जगत की जिम्मेदारी है. इसलिए मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों से कहना चाहता हूं कि वास्तविक शिक्षा का अर्थ जीवन जीने का विशिष्ट भाव का पालन है. (Convocation ceremony of Gour University) (Convocation ceremony with Bundeli culture)