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सीएम शिवराज का मानहानि केस,कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत, सेशन कोर्ट से भी खारिज हुआ मामला

केके मिश्रा ने 21 जून 2014 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि व्यापम द्वारा आयोजित ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल परीक्षा में शिवराज सिंह चौहान की ससुराल गोंदिया महाराष्ट्र के लोगों का चयन किया गया है. केके मिश्रा के आरोपों को लेकर राज्य सरकार ने केके मिश्रा पर मुख्यमंत्री की मानहानि का मुकदमा चलाया था. इसके अलावा 11 साल पुराने एक केस में बीजेपी विधायक को सजा सुनाई गई है. वहीं सागर यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों के मामले में कोर्ट ने कार्यपरिषद के प्रस्ताव पर रोक लगाते हुए 8 हफ्ते में जवाब मांगा है.

defamation case from shivraj singh
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत
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Published : Dec 24, 2022, 10:26 PM IST

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा के विरुद्ध मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को भोपाल कोर्ट ने खारिज कर दिया है. केके मिश्रा ने 21 जून 2014 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि व्यापम द्वारा आयोजित ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल परीक्षा में शिवराज सिंह चौहान की ससुराल गोंदिया महाराष्ट्र के लोगों का चयन किया गया है. केके मिश्रा के आरोपों को लेकर राज्य सरकार ने केके मिश्रा पर मुख्यमंत्री की मानहानि का मुकदमा चलाया था.

defamation case from shivraj singh
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत
कोर्ट से केके मिश्रा को मिली राहत: मानहानि के मुकदमा का यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में केके मिश्रा को बरी कर दिया, लेकिन इसके बाद अप्रैल 2018 में शिवराज सिंह चौहान ने अपनी व्यक्तिगत हैसियत से केके मिश्रा के विरुद्ध मानहानि का आपराधिक प्रकरण मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रस्तुत किया था. 2020 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी इस मामले को खारिज कर दिया था. केके मिश्रा के वकील रविकांत पाटीदार ने बताया कि मजिस्ट्रेट न्यायालय के आदेश को शिवराज सिंह चौहान ने सत्र न्यायालय के समक्ष आपराधिक पुनरीक्षण याचिका के द्वारा चुनौती दी थी, जिसे अपर सत्र न्यायालय ने भी खारिज कर दिया है.

खंडवा। कृषि कॉलेज के प्रोफेसर की मुंह पर कालिख पोतने के मामले में 10 साल बाद आए फैसले में 11 दोषियों को सजा सुनाई गई है. इंदौर के स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में बीजेपी के पंधाना विधायक, युवा माेर्चा जिलाध्यक्ष सहित अभाविप के 11 कार्यकर्ताओं को दोषी माना है. सभी को एक-एक साल की सजा दी गई है.

defamation case from shivraj singh
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत

यह है मामला: रामनगर रोड स्थित कृषि कॉलेज में 9 मार्च 2011 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता कुछ मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करने गए थे. इस दौरान यहां नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ता कॉलेज प्राचार्य के कक्ष में घुस गए थे. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए प्रोफेसर अशोक कुमार चौधरी के चेहरे पर कालिख पोत दी थी. इस मामले में प्रोफेसर चौधरी की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 11 सदस्यों पर धारा 353, 332, 294, 506, 427,147,149 और एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में पंधाना विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राम दांगोरे, अश्विनी पुत्र कैलाश साहू, रोहित पुत्र अनूप मिश्रा, भाजयूमो जिलाध्यक्ष अनूप पटेल, अंकित पुत्र दीपनारायण अवस्थी, राहुल डोडे, राम प्रसाद मोरे, ज्योति वालंजकर, सोनाली बाकुले, विनम्र गंगराड़े और आशीष तायड़े शामिल हैं.

Indore लाइब्रेरी में विवादास्पद पुस्तक रखने के मामले में लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल को अग्रिम जमानत

सागर। सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर में वर्ष 2013 में हुई शिक्षकों की नियुक्ति के बाद नियमितीकरण की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. दरअसल 2013 में डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति प्रो. एनएस गजभिए के कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों के नियमतीकरण के मामले में हाइकोर्ट जस्टिस मनिन्दर भट्टी ने याचिकाकर्ता दीपक गुप्ता की याचिका पर विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने विश्वविद्यालय कार्यपरिषद में इस संबंध में प्रस्ताव लाए जाने पर भी रोक लगा दी है. साथ ही 8 हफ्ते में पूरे मामले में जबाव पेश करने को कहा है.

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कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत
यह है मामला: 2013 में पूर्व कुलपति प्रो.एनएस गजभिए के कार्यकाल के दौरान सागर यूनिवर्सिटी में विभिन्न विभागों में शिक्षक के पदों पर नियुक्तियां निकाली गई थीं. विश्वविद्यालय ने 82 पदों पर नियुक्तियों का विज्ञापन जारी किया था, लेकिन 82 की जगह 176 पदों पर नियुक्तियां कर ली थीं. इस मामले में शहर के जागरूक नागरिकों द्वारा राष्ट्रपति भवन में शिकायत दर्ज कराई गई थी. साथ ही कुछ उम्मीदवारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. शिकायत के बाद पूर्व कुलपति गजभिए सहित तत्कालीन कार्यपरिषद के सदस्यों पर सीबीआई ने प्रकरण दर्ज किए और पूर्व कुलपति को जेल भी जाना पड़ा था.

हाल ही में 14 नवंबर 2022 को हुई विवि कार्यपरिषद की बैठक में वर्तमान में कार्यरत 102 में से 82 शिक्षकों के नियमतीकरण का प्रस्ताव लाया गया था. कार्य परिषद के तीन सदस्यों द्वारा इसका विरोध किया गया. इसके पहले भी पूर्व कुलपति आरपी तिवारी के कार्यकाल के दौरान 2019 में कार्यपरिषद बैठक में आए ऐसे ही प्रस्तावों पर कहा गया था कि 2013 की यह प्रक्रिया दागदार है. यही बात हाईकोर्ट में चल रहे मामले में विवि द्वारा कही गयी थी, तब भी हाईकोर्ट ने कमेटी बनाए जाने के निर्देश दिए थे. राष्ट्रपति के यहां से भी शिकायत के बाद कमेटी बनाने का पत्र आया था. हाइकोर्ट और राष्ट्रपति के निर्देश के बाद भी 14 नवम्बर 2022 को इसी कार्यपरिषद की बैठक में नियमितीकरण के प्रस्ताव आने के बाद डॉ दीपक गुप्ता ने फिर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई. याचिका पर उच्च न्यायालय ने इस संबंध में विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जबाव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं साथ ही प्रकरण के निराकरण तक नियमतीकरण की कार्रवाई नहीं किए जाने और यथा स्थिति बहाल रखे जाने के भी निर्देश दिए हैं.

पूर्व रेलवे कर्मचारी को पत्नी सहित जेल: राजधानी भोपाल के रोहित नगर सोसाइटी में 137 फर्जी रजिस्ट्री कराए जाने के मामले में पूर्व रेलवे कर्मचारी को जेल भेज दिया गया है. सीबीआई द्वारा पकड़े गए रेलवे की सस्पेंड कर्मचारी घनश्याम राजपूत के साथ उनकी पत्नी को भी जेल भेज दिया है. भू माफ़िया घनश्याम राजपूत को CBI की विशेष अदालत ने चार साल की जेल की सजा सुनाई है. घनश्याम राजपूत रेलवे में क्लर्क था 2007 में सीबीआई ने राजपूत के घर से रोहित सोसाइटी की 137 बेनामी संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए थे जिसके बाद मामला सामने आने पर उसे रेलवे से सस्पेंड कर दिया गया था.
सीबीआई, एसीबी भोपाल के सूत्रों के आधार पर 28/02/2007 को आरोपी घनश्याम सिंह राजपूत के विरूद्घ उसकी आय से अधिक संपत्ति रखने बनाने के संबंध में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था. आरोपी घनश्याम सिंह राजपूत ने रेलवे विभाग में वरिष्ठ लिपिक व मुख्य लिपिक के पद पर झांसी और भोपाल में पदस्थ रहते हुए उसके ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति बनाई थी. इस मामले में दोषी मानते हुए सीबीआई ने 2008 में आरोपपत्र दाखिल किया था. जिसपर गवाहों के बयान लिए गए. जिसके आधार पर सजा का ऐलान किया गया. घनश्याम राजपूत और उनकी पत्नी को 1 साल कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई है.

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा के विरुद्ध मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को भोपाल कोर्ट ने खारिज कर दिया है. केके मिश्रा ने 21 जून 2014 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि व्यापम द्वारा आयोजित ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल परीक्षा में शिवराज सिंह चौहान की ससुराल गोंदिया महाराष्ट्र के लोगों का चयन किया गया है. केके मिश्रा के आरोपों को लेकर राज्य सरकार ने केके मिश्रा पर मुख्यमंत्री की मानहानि का मुकदमा चलाया था.

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कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत
कोर्ट से केके मिश्रा को मिली राहत: मानहानि के मुकदमा का यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में केके मिश्रा को बरी कर दिया, लेकिन इसके बाद अप्रैल 2018 में शिवराज सिंह चौहान ने अपनी व्यक्तिगत हैसियत से केके मिश्रा के विरुद्ध मानहानि का आपराधिक प्रकरण मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रस्तुत किया था. 2020 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी इस मामले को खारिज कर दिया था. केके मिश्रा के वकील रविकांत पाटीदार ने बताया कि मजिस्ट्रेट न्यायालय के आदेश को शिवराज सिंह चौहान ने सत्र न्यायालय के समक्ष आपराधिक पुनरीक्षण याचिका के द्वारा चुनौती दी थी, जिसे अपर सत्र न्यायालय ने भी खारिज कर दिया है.

खंडवा। कृषि कॉलेज के प्रोफेसर की मुंह पर कालिख पोतने के मामले में 10 साल बाद आए फैसले में 11 दोषियों को सजा सुनाई गई है. इंदौर के स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में बीजेपी के पंधाना विधायक, युवा माेर्चा जिलाध्यक्ष सहित अभाविप के 11 कार्यकर्ताओं को दोषी माना है. सभी को एक-एक साल की सजा दी गई है.

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कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत

यह है मामला: रामनगर रोड स्थित कृषि कॉलेज में 9 मार्च 2011 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता कुछ मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करने गए थे. इस दौरान यहां नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ता कॉलेज प्राचार्य के कक्ष में घुस गए थे. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए प्रोफेसर अशोक कुमार चौधरी के चेहरे पर कालिख पोत दी थी. इस मामले में प्रोफेसर चौधरी की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 11 सदस्यों पर धारा 353, 332, 294, 506, 427,147,149 और एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में पंधाना विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राम दांगोरे, अश्विनी पुत्र कैलाश साहू, रोहित पुत्र अनूप मिश्रा, भाजयूमो जिलाध्यक्ष अनूप पटेल, अंकित पुत्र दीपनारायण अवस्थी, राहुल डोडे, राम प्रसाद मोरे, ज्योति वालंजकर, सोनाली बाकुले, विनम्र गंगराड़े और आशीष तायड़े शामिल हैं.

Indore लाइब्रेरी में विवादास्पद पुस्तक रखने के मामले में लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल को अग्रिम जमानत

सागर। सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर में वर्ष 2013 में हुई शिक्षकों की नियुक्ति के बाद नियमितीकरण की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. दरअसल 2013 में डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति प्रो. एनएस गजभिए के कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों के नियमतीकरण के मामले में हाइकोर्ट जस्टिस मनिन्दर भट्टी ने याचिकाकर्ता दीपक गुप्ता की याचिका पर विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने विश्वविद्यालय कार्यपरिषद में इस संबंध में प्रस्ताव लाए जाने पर भी रोक लगा दी है. साथ ही 8 हफ्ते में पूरे मामले में जबाव पेश करने को कहा है.

defamation case from shivraj singh
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को राहत
यह है मामला: 2013 में पूर्व कुलपति प्रो.एनएस गजभिए के कार्यकाल के दौरान सागर यूनिवर्सिटी में विभिन्न विभागों में शिक्षक के पदों पर नियुक्तियां निकाली गई थीं. विश्वविद्यालय ने 82 पदों पर नियुक्तियों का विज्ञापन जारी किया था, लेकिन 82 की जगह 176 पदों पर नियुक्तियां कर ली थीं. इस मामले में शहर के जागरूक नागरिकों द्वारा राष्ट्रपति भवन में शिकायत दर्ज कराई गई थी. साथ ही कुछ उम्मीदवारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. शिकायत के बाद पूर्व कुलपति गजभिए सहित तत्कालीन कार्यपरिषद के सदस्यों पर सीबीआई ने प्रकरण दर्ज किए और पूर्व कुलपति को जेल भी जाना पड़ा था.

हाल ही में 14 नवंबर 2022 को हुई विवि कार्यपरिषद की बैठक में वर्तमान में कार्यरत 102 में से 82 शिक्षकों के नियमतीकरण का प्रस्ताव लाया गया था. कार्य परिषद के तीन सदस्यों द्वारा इसका विरोध किया गया. इसके पहले भी पूर्व कुलपति आरपी तिवारी के कार्यकाल के दौरान 2019 में कार्यपरिषद बैठक में आए ऐसे ही प्रस्तावों पर कहा गया था कि 2013 की यह प्रक्रिया दागदार है. यही बात हाईकोर्ट में चल रहे मामले में विवि द्वारा कही गयी थी, तब भी हाईकोर्ट ने कमेटी बनाए जाने के निर्देश दिए थे. राष्ट्रपति के यहां से भी शिकायत के बाद कमेटी बनाने का पत्र आया था. हाइकोर्ट और राष्ट्रपति के निर्देश के बाद भी 14 नवम्बर 2022 को इसी कार्यपरिषद की बैठक में नियमितीकरण के प्रस्ताव आने के बाद डॉ दीपक गुप्ता ने फिर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई. याचिका पर उच्च न्यायालय ने इस संबंध में विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जबाव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं साथ ही प्रकरण के निराकरण तक नियमतीकरण की कार्रवाई नहीं किए जाने और यथा स्थिति बहाल रखे जाने के भी निर्देश दिए हैं.

पूर्व रेलवे कर्मचारी को पत्नी सहित जेल: राजधानी भोपाल के रोहित नगर सोसाइटी में 137 फर्जी रजिस्ट्री कराए जाने के मामले में पूर्व रेलवे कर्मचारी को जेल भेज दिया गया है. सीबीआई द्वारा पकड़े गए रेलवे की सस्पेंड कर्मचारी घनश्याम राजपूत के साथ उनकी पत्नी को भी जेल भेज दिया है. भू माफ़िया घनश्याम राजपूत को CBI की विशेष अदालत ने चार साल की जेल की सजा सुनाई है. घनश्याम राजपूत रेलवे में क्लर्क था 2007 में सीबीआई ने राजपूत के घर से रोहित सोसाइटी की 137 बेनामी संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए थे जिसके बाद मामला सामने आने पर उसे रेलवे से सस्पेंड कर दिया गया था.
सीबीआई, एसीबी भोपाल के सूत्रों के आधार पर 28/02/2007 को आरोपी घनश्याम सिंह राजपूत के विरूद्घ उसकी आय से अधिक संपत्ति रखने बनाने के संबंध में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था. आरोपी घनश्याम सिंह राजपूत ने रेलवे विभाग में वरिष्ठ लिपिक व मुख्य लिपिक के पद पर झांसी और भोपाल में पदस्थ रहते हुए उसके ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति बनाई थी. इस मामले में दोषी मानते हुए सीबीआई ने 2008 में आरोपपत्र दाखिल किया था. जिसपर गवाहों के बयान लिए गए. जिसके आधार पर सजा का ऐलान किया गया. घनश्याम राजपूत और उनकी पत्नी को 1 साल कठोर कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई है.

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