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BJP कार्यकारिणी में बुंदेलखंड के नेताओं और समर्थकों को तवज्जो नहीं, जताई नाराजगी

प्रदेश बीजेपी की जंबो कार्यकारिणी में एक तरफ जहां सिंधिया और उनके समर्थकों को तवज्जो दी गई है, तो दूसरी तरफ कई कद्दावर नेताओं और उनके समर्थकों को अनदेखा किया गया है. खासकर बुंदेलखंड इलाके के कद्दावर नेता और उनके समर्थक इस बात से निराश हैं कि किसी बड़े नाम और उनके समर्थकों को कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया है. ऐसे में पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं.

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Published : Jun 11, 2021, 12:07 PM IST

bjp executive list
बीजेपी कार्यकारिणी

सागर। हाल ही में लंबे समय के बाद गठित हुई प्रदेश बीजेपी की जंबो कार्यकारिणी को लेकर कहीं खुशी, तो कहीं गम का माहौल है. एक तरफ जहां सिंधिया और उनके समर्थकों को तवज्जो दी गई है, तो दूसरी तरफ कई कद्दावर नेताओं और उनके समर्थकों को अनदेखा किया गया है. खासकर बुंदेलखंड इलाके के कद्दावर नेता और उनके समर्थक इस बात से निराश हैं कि किसी बड़े नाम और उनके समर्थकों को कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया है.

बीजेपी कार्यकारिणी को लेकर नेताओं में नाराजगी
बता दें कि बुंदेलखंड इलाके में जिले में ही तीन मंत्री हैं, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती भी बुंदेलखंड इलाके से आती हैं. इसके अलावा कई ऐसे नेता है, जो लंबे समय से समर्पण भावना से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें संगठन में स्थान नहीं दिया गया है. इन परिस्थितियों को लेकर जहां विपक्ष को कद्दावर नेताओं की उपेक्षा पर सवाल खड़ा करने का मौका मिल गया है, तो दबी जुबान में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं.

कद्दावर मंत्रियों के समर्थकों को नहीं मिली तवज्जो
मौजूदा शिवराज सरकार में बुंदेलखंड के सागर जिले के तीन मंत्री हैं, जिनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सबसे नजदीकी भूपेंद्र सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी गोविंद सिंह राजपूत. इन मंत्रियों के कई समर्थक नेता भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में जगह बनाने के लिए पिछले कई महीनों से सक्रिय थे, लेकिन कार्यकारिणी में इन मंत्रियों के समर्थकों को कोई खास जगह नहीं मिल पाई है. चर्चा है कि मंत्रियों ने भी पार्टी की स्थिति और मजबूरी को समझते हुए पार्टी स्तर पर ज्यादा प्रयास भी नहीं किए हैं.

समर्पित परिवारों को भी पार्टी ने भुलाया
जनसंघ के जमाने से भारतीय जनता पार्टी तक पार्टी को मजबूत करने के लिए तन-मन-धन का समर्पण करने वाले कई नेता परिवारों के परिजनों और समर्थकों को भी स्थान नहीं मिला है. खासकर पूर्व मंत्री स्वर्गीय हरनाम सिंह राठौर के बेटे पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर को जगह ना मिलने पर सागर में चर्चाओं का बाजार गर्म है. हरनाम सिंह राठौर, उमा भारती के काफी करीबी थे और पार्टी के नेताओं को मुकाम तक पहुंचाने में उन्होंने तन मन धन से सेवा की थी, लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी में हरनाम सिंह राठौर के परिवार को महत्व नहीं दिया गया है.
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के समर्थकों में भी निराशा
कार्यकारिणी घोषित होने के पहले केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जिस तरह से सक्रिय थे, लग रहा था कि प्रदेश की संगठन और सरकार की आगे की राजनीति में उनका महत्व ज्यादा देखने को मिलेगा, लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा में उनके नजदीकी लोगों को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है, जबकि प्रहलाद पटेल महाकौशल और बुंदेलखंड अंचल में खास प्रभाव रखते हैं. लोधी जाति बाहुल्य इलाके में उनका जबरदस्त प्रभाव है.


शिवपुरी : सिंधिया समर्थकों को BJP प्रदेश कार्यसमिति में मिली जगह, 14 महीनों से था इंतजार

उमा भारती और उनके समर्थकों की उपेक्षा
परंपरा के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री प्रदेश कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं. उमा भारती को तो कार्यकारिणी में स्थान भी नहीं दिया गया. इसके अलावा उनके समर्थक जिनकी बुंदेलखंड में काफी ज्यादा तादाद है, उमा भारती के जरिए संगठन में स्थान चाहते थे, लेकिन कुछ खास हासिल नहीं कर पाए.

सागर। हाल ही में लंबे समय के बाद गठित हुई प्रदेश बीजेपी की जंबो कार्यकारिणी को लेकर कहीं खुशी, तो कहीं गम का माहौल है. एक तरफ जहां सिंधिया और उनके समर्थकों को तवज्जो दी गई है, तो दूसरी तरफ कई कद्दावर नेताओं और उनके समर्थकों को अनदेखा किया गया है. खासकर बुंदेलखंड इलाके के कद्दावर नेता और उनके समर्थक इस बात से निराश हैं कि किसी बड़े नाम और उनके समर्थकों को कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया है.

बीजेपी कार्यकारिणी को लेकर नेताओं में नाराजगी
बता दें कि बुंदेलखंड इलाके में जिले में ही तीन मंत्री हैं, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती भी बुंदेलखंड इलाके से आती हैं. इसके अलावा कई ऐसे नेता है, जो लंबे समय से समर्पण भावना से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें संगठन में स्थान नहीं दिया गया है. इन परिस्थितियों को लेकर जहां विपक्ष को कद्दावर नेताओं की उपेक्षा पर सवाल खड़ा करने का मौका मिल गया है, तो दबी जुबान में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं.

कद्दावर मंत्रियों के समर्थकों को नहीं मिली तवज्जो
मौजूदा शिवराज सरकार में बुंदेलखंड के सागर जिले के तीन मंत्री हैं, जिनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सबसे नजदीकी भूपेंद्र सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी गोविंद सिंह राजपूत. इन मंत्रियों के कई समर्थक नेता भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में जगह बनाने के लिए पिछले कई महीनों से सक्रिय थे, लेकिन कार्यकारिणी में इन मंत्रियों के समर्थकों को कोई खास जगह नहीं मिल पाई है. चर्चा है कि मंत्रियों ने भी पार्टी की स्थिति और मजबूरी को समझते हुए पार्टी स्तर पर ज्यादा प्रयास भी नहीं किए हैं.

समर्पित परिवारों को भी पार्टी ने भुलाया
जनसंघ के जमाने से भारतीय जनता पार्टी तक पार्टी को मजबूत करने के लिए तन-मन-धन का समर्पण करने वाले कई नेता परिवारों के परिजनों और समर्थकों को भी स्थान नहीं मिला है. खासकर पूर्व मंत्री स्वर्गीय हरनाम सिंह राठौर के बेटे पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर को जगह ना मिलने पर सागर में चर्चाओं का बाजार गर्म है. हरनाम सिंह राठौर, उमा भारती के काफी करीबी थे और पार्टी के नेताओं को मुकाम तक पहुंचाने में उन्होंने तन मन धन से सेवा की थी, लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी में हरनाम सिंह राठौर के परिवार को महत्व नहीं दिया गया है.
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के समर्थकों में भी निराशा
कार्यकारिणी घोषित होने के पहले केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जिस तरह से सक्रिय थे, लग रहा था कि प्रदेश की संगठन और सरकार की आगे की राजनीति में उनका महत्व ज्यादा देखने को मिलेगा, लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा में उनके नजदीकी लोगों को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है, जबकि प्रहलाद पटेल महाकौशल और बुंदेलखंड अंचल में खास प्रभाव रखते हैं. लोधी जाति बाहुल्य इलाके में उनका जबरदस्त प्रभाव है.


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उमा भारती और उनके समर्थकों की उपेक्षा
परंपरा के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री प्रदेश कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं. उमा भारती को तो कार्यकारिणी में स्थान भी नहीं दिया गया. इसके अलावा उनके समर्थक जिनकी बुंदेलखंड में काफी ज्यादा तादाद है, उमा भारती के जरिए संगठन में स्थान चाहते थे, लेकिन कुछ खास हासिल नहीं कर पाए.

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