सागर। दमोह जिले के हनौता गांव में 28 फरवरी को हुए जमीनी विवाद के चलते खून की होली खेली गई. दो बुजुर्गों को मौत के घाट उतार दिया गया. घटना के बाद लोधी और ब्राह्मण समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए हैं. मृतक ब्राह्मण और आरोपी लोधी समुदाय से आते हैं. घटना को 2 हफ्ते बीत चुके हैं और 5 आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. ब्राह्मण समुदाय का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है. आरोपियों के फरार होने के बावजूद उनके अतिक्रमण नहीं गिराए गए.
क्या है मामला : दमोह जिले के पथरिया थाना के हिनौता गांव में 28 फरवरी की सुबह जमीनी विवाद में दो लोगों की गोली मारकर हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया था. विवाद में गोली लगने से सेवक शुक्ला (65) और बद्री शुक्ला (68) की मौत हो गई थी. विवाद खेत से रास्ता निकालने को लेकर हुआ था. शुक्ला परिवार के लोग खेत में बने मकान पर थे, तभी आरोपी पक्ष के सात लोगों ने विवाद शुरू किया और गोली चला दी. गोली लगने से सेवक शुक्ला व बद्री शुक्ला की मौत हो गई. घटना के बाद इलाके में तनावपूर्ण माहौल हो गया और भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा. पुलिस ने इस मामले में 7 आरोपियों पर मामला दर्ज किया है, जो एक ही परिवार के हैं. इनमें से दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन पांच आरोपी अभी भी फरार हैं.
क्यों नहीं चला बुलडोजर : आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने इनाम घोषित किया है. ब्राह्मण समाज का आरोप है कि आरोपी लोधी समुदाय के हैं और इलाके में लोधी समुदाय का वर्चस्व के कारण उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. नाराजगी की बड़ी वजह ये भी है कि जिन मामलों में ब्राह्मण समुदाय के आरोपी रहे हैं, उन मामलों में पुलिस और प्रशासन ने बेवजह भी आरोपियों के ठिकानों पर बुलडोजर चलाए. जबकि इस मामले में 7 में से 5 आरोपी फरार हैं और घटना को 15 दिन बीत चुके हैं. फिर भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. इसके बावजूद पुलिस प्रशासन आरोपियों की धरपकड़ के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं कर रहा है. ब्राह्मण समुदाय का कहना है कि आरोपी पक्ष द्वारा अवैध अतिक्रमण किया गया है. फिर भी आरोपियों के ठिकानों पर बुलडोजर नहीं चलाया गया.
सवर्ण बनाम पिछड़ा की राजनीति : बुंदेलखंड इलाके में पिछले कुछ सालों से जातीय ध्रुवीकरण की राजनीति को ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है. खासकर सत्ताधारी दल बीजेपी द्वारा ओबीसी वोट बैंक को पक्का करने के जतन किए जा रहे हैं. बुंदेलखंड में यह पहला मामला नहीं है, जब ब्राह्मण और पिछड़ा वर्ग के लोग आमने-सामने आए हों. इसके पहले सागर के सेमरा लहरिया मामले में यादव और ब्राह्मण आमने-सामने आ गए थे. फिर बंडा में एक छेड़खानी के मामले में लोधी और ब्राह्मण समुदाय आमने-सामने आ गए थे. इन घटनाओं को काफी राजनैतिक रंग भी दिया गया था. एक बार फिर दमोह में हुए हत्याकांड में जातिवाद का जहर खोलने की कोशिश की जा रही है और जमीनी विवाद की घटना को जातिवाद के रंग देकर सवर्ण बनाम पिछड़ा के जरिए जातीय ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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बुंदेलखंड में ओबीसी वोट पर बीजेपी की नजर : दरअसल, विधानसभा चुनाव 2023 के मद्देनजर सत्ताधारी दल बीजेपी बुंदेलखंड के पिछड़ा वर्ग के वोटों पर नजर गड़ाए हुए हैं, जिनमें लोधी वोट बैंक बीजेपी से छिटक ना जाए, इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. कुर्मी और यादव वोट बैंक में बीजेपी की उतनी पकड़ नहीं है जितनी लोधी जाति के वोट बैंक पर है. दमोह के सांसद प्रहलाद पटेल भी लोधी समुदाय से आते हैं. बुंदेलखंड यानि सागर संभाग के 6 जिलों में लोधी मतदाताओं की संख्या भी काफी ज्यादा है. ऐसी स्थिति में सत्ताधारी बीजेपी उन घटनाओं को बढ़ावा देने की कोशिश करती है. जिसमें जातीय ध्रुवीकरण के जरिए ओबीसी वोट बीजेपी के पक्ष में एकजुट हों.