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भोज से पिघलेगा 'दलितों का दिल' : BJP का 'समरसता भोज' - cm shivraj

मध्यप्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर भाजपा अब एक्शन मोड में नजर आ रही है. दलितों का जनाधार बटोरने के लिए भाजपा नेता अब दलितों के यहां भोजन कर रहे हैं.

Opposition surrounded BJP
भोज से मिलेंगे वोट !
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Published : Mar 1, 2021, 7:48 PM IST

सागर। प्रदेश की शिवराज सरकार और सत्ताधारी दल भाजपा इन दिनों दलितों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. खासकर नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए सरकार के मुखिया शिवराज सिंह और प्रदेश भाजपा संगठन के मुखिया वीडी शर्मा जहां भी जा रहे हैं, दलितों के यहां भोजन कर रहे हैं. माना जा रहा है कि दलितों में कमजोर होती पकड़ के लिए बीजेपी समरसता भोज के जरिए जनाधार बढ़ा रही है. विपक्ष का कहना है कि दलितों के यहां दिखावे का भोजन करने से अच्छा है दलित और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए प्रयास करें.

भोज से मिलेंगे वोट !

दलित जनाधार मजबूत करने की कोशिश

परंपरागत रूप से दलित वोट बैंक कांग्रेस या फिर बसपा का माना जाता है. मध्यप्रदेश के कई इलाकों में दलित वोटर की संख्या निर्णायक स्थिति में है. पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में 34 अनुसूचित जाति वर्ग की विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. हाल ही में उपचुनाव में बसपा से परदे के पीछे गठबंधन कर बीजेपी कांग्रेस से मुकाबला कर पाई थी. ऐसे में बीजेपी दलितों में जनाधार बढ़ाने के लिए भोज समरसता को बढ़ावा दे रही है.

सागर में प्रदेश अध्यक्ष से मांगी नौकरी

सागर में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने अपने जिस दलित कार्यकर्ता के घर पर भोजन किया वहां उनके परिजनों ने अपने परिवार के बेरोजगार युवकों के लिए नौकरी मांग की. दलित कार्यकर्ता के परिजनों ने यह भी कहा कि ये सिलसिला हमेशा चलता रहना चाहिए, सिर्फ चुनाव के वक्त ऐसा नहीं होना चाहिए.

एमपी : दलित के घर भोजन पर पहुंचे तोमर-शिवराज-सिंधिया, ऐसे हुई माननीयों की आगवानी

शहरी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के मतदाताओं का बड़ा आधार

हाल ही में मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होना है. प्रदेश के बड़े शहरों में रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति के मतदाता रहते हैं. पिछले नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सभी 16 नगर निगमों में जीत हासिल की थी. भाजपा दोबारा वही प्रदर्शन दोहराना चाहती है. इस बार परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में मजबूत नहीं दिख रही हैं. महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे भाजपा को परेशान कर सकते हैं.

सागर। प्रदेश की शिवराज सरकार और सत्ताधारी दल भाजपा इन दिनों दलितों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. खासकर नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए सरकार के मुखिया शिवराज सिंह और प्रदेश भाजपा संगठन के मुखिया वीडी शर्मा जहां भी जा रहे हैं, दलितों के यहां भोजन कर रहे हैं. माना जा रहा है कि दलितों में कमजोर होती पकड़ के लिए बीजेपी समरसता भोज के जरिए जनाधार बढ़ा रही है. विपक्ष का कहना है कि दलितों के यहां दिखावे का भोजन करने से अच्छा है दलित और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए प्रयास करें.

भोज से मिलेंगे वोट !

दलित जनाधार मजबूत करने की कोशिश

परंपरागत रूप से दलित वोट बैंक कांग्रेस या फिर बसपा का माना जाता है. मध्यप्रदेश के कई इलाकों में दलित वोटर की संख्या निर्णायक स्थिति में है. पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में 34 अनुसूचित जाति वर्ग की विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. हाल ही में उपचुनाव में बसपा से परदे के पीछे गठबंधन कर बीजेपी कांग्रेस से मुकाबला कर पाई थी. ऐसे में बीजेपी दलितों में जनाधार बढ़ाने के लिए भोज समरसता को बढ़ावा दे रही है.

सागर में प्रदेश अध्यक्ष से मांगी नौकरी

सागर में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने अपने जिस दलित कार्यकर्ता के घर पर भोजन किया वहां उनके परिजनों ने अपने परिवार के बेरोजगार युवकों के लिए नौकरी मांग की. दलित कार्यकर्ता के परिजनों ने यह भी कहा कि ये सिलसिला हमेशा चलता रहना चाहिए, सिर्फ चुनाव के वक्त ऐसा नहीं होना चाहिए.

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शहरी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के मतदाताओं का बड़ा आधार

हाल ही में मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होना है. प्रदेश के बड़े शहरों में रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति के मतदाता रहते हैं. पिछले नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सभी 16 नगर निगमों में जीत हासिल की थी. भाजपा दोबारा वही प्रदर्शन दोहराना चाहती है. इस बार परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में मजबूत नहीं दिख रही हैं. महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे भाजपा को परेशान कर सकते हैं.

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