सागर। कोरोना संक्रमण के चलते देश भर में शिक्षण संस्थाएं संचालित ना करने के शासन के सख्त आदेश हैं. वहीं बीना में क्रिश्चियन बोर्डिंग स्कूल में दस नाबालिग लड़कियों को रखने का मामला सामने आया है. तहसीलदार की जांच में क्रिश्चियन बोर्डिंग स्कूल की ना तो मान्यता है, ना ही स्कूल के पास लड़कियों के परिजन के सहमति पत्र. प्रशासन ने मामले की जांच कर लड़कियों को उनके माता- पिता के पास भेजने की बात कही है.
सभी स्कूल बंद होने पर भी बच्चियों को रखा गया
कोरोना काल के चलते सभी स्कूल पूरी तरह बंद हैं और इस स्थिति में शहर से सात किलोमीटर दूर पीपरखेड़ी गांव में बने यूफ्रेसिया भवन में बोर्डिंग स्कूल के नाम पर दस बच्चियों को रखा गया था. इसकी जानकारी ना तो प्रशासन को थी और ना ही शिक्षा विभाग को. एक समाजसेवी संगठन के कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर जब एक बच्ची की बात उसकी मां से कराई, तो बच्ची रोने लगी और उसका कहना था कि, 'हमें यहां से ले चलो, ये लोग सिर्फ चावल खाने को दे रहे हैं, अच्छा खाना भी नहीं मिल रहा है'.
एक बच्ची ने बताया कि, यह लोग मां-बाप से बात नहीं करने देते हैं, जब उसने खाना खाने से इनकार किया, तब बात करने दी थी. यह बात बच्चियों ने एसडीओपी डीबीएस चौहान के सामने भी बोली. दो बच्चियों के परिजन प्रशासन की सूचना के बाद मौके पर पहुंचे. अधिकारियों ने उनके भी बयान लिए. सभी बच्चियों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद ही उन्हें घर भेजा जाएगा.
सागर में हुए बड़े स्तर पर हो रहे धर्मांतरण के प्रयासों का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि लॉकडाउन में गुना, अशोकनगर, उत्तरप्रदेश के बालाबेहट की लड़कियों का बिना अनुमति के चल रहे बोर्डिंग स्कूल मे मिलना अनियमितताओं और बड़ी लापरवाही की ओर इशारा करता है. उस पर मौके पर पहुंचे प्रशासन को संस्था के संचालक कोई भी दस्तावेज नहीं दिखा पाए. प्रशासन अब इन लड़कियों को उनके घर भेजने की बात कह रहा है.