रीवा। झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले से पैदल तीर्थ दर्शन के लिए घर से निकले 23 वर्षीय विराट सिंह गुरुवार को मध्य प्रदेश के रीवा पहुंचे. दरअसल विराट सनातन धर्म की रक्षा के लिए लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से अकेले, पैदल ही अपने घर से निकल पड़े हैं. झारखंड से निकले विराट रीवा से मैहर होते हुए उज्जैन महाकाल के दर्शन के लिए जाएंगे, जिसके बाद वे महाकाल के दर्शन कर भगवान राम की नगरी अयोध्या और फिर केदारनाथ धाम के दर्शन कर वापस अपने घर के लिए रवाना होंगे. झारखंड से तीर्थ दर्शन की शुरुआत करने के बाद विराट ने सबसे पहले बनारस में स्थित काशी विश्वनाथ भगवान के दर्शन किए. विराट की समूची यात्रा लगभग 4 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा होगी, जिसमें उन्हें 8 माह का समय लगेगा. (virat singh special story)
आचानक आया पैदल यात्रा का ख्याल: विराट सिंह की मानें तो अचानक सुबह नींद से जागने के बाद उनके मन में यह ख्याल आया कि तीर्थ दर्शन के लिए उन्हें पैदल यात्रा करनी चाहिए. इसके साथ ही विराट ने इस यात्रा के माध्यम से सनातन धर्म को जागरूक करने की ठानी और उन्होंने अकेले पैदल यात्रा पर जाने के लिए परिजनों से बात कर उन्हें राजी कर लिया. इसके बाद विराट की पैदल यात्रा की शुरुआत हुई. सबसे पहले विराट ने काशी विश्वनाथ के दर्शन करते हुए विंध्याचल पर्वत पर विराजमान मां विंध्यवासिनी माता का आशीर्वाद लिया, अब वे 25 दिनों की यात्रा संपन्न कर रीवा पहुंचे हैं. (virat singh pad yatra jharkhand to kedarnath)
आठ माह में 4 हजार किलोमीटर तक की यात्रा: ईटीवी भारत से बात करते हुए विराट ने बताया कि वे झारखण्ड से पैदल यात्रा कर रीवा पंहुचे, जिसके लिए उन्होंने तकरीबन 600 किलोमीटर तक का सफर पूरा किया है. इस यात्रा के दौरान उन्हें केदारनाथ धाम तक जाना है, इसके लिए उन्हें तकरीबन 4 हजार किलोमीटर तक की यात्रा तय करनी होगी. इस यात्रा मे उन्हें 7 से 8 महीने का समय लग जाएगा, जो कि गर्मियों के समय जून के महीने तक समाप्त होगी. इसके बाद वे वापस झारखंड के गिरिडीह स्थित अपने घर पहुचेंगे. विराट का कहना है कि, "धर्म की रक्षा के लिए मैंने इस यात्रा की शुरुआत की है." (kedarnath padyatra )
प्रतिदिन 30 से 40 किलोमीटर की पैदल यात्रा: विराट ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि, "मेरी इस पैदल यात्रा में कई तरह की कठिनाइयां भी सामने आती हैं, तो कहीं राह बड़ी आसान सी लगती है. मुझे रास्ते में कुछ लोग ऐसे भी मिलते है, जो मुझे परेशान करते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी मैंने हार नहीं मानी और धर्म की रक्षा के लिए मैं आगे बढ़ रहा हूं." विराट कहते हैं कि, "रात होते ही मैं विश्राम करता हूं तथा दूसरे दिन सुबह होते ही अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाता हूं. प्रतिदिन मैं 30 से 40 किलोमीटर तक की यात्रा तय करता हूं, इस बीच मुझे जंगलो से होकर भी गुजरना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद मैं निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हूं. इस पैदल यात्रा के दौरान रास्ते में मुझे कई सारे ऐसे भले लोग भी मिलते हैं, जो मेरा भोजन और ठहरने की व्यवस्था के साथ ही आर्थिक मदद भी करते हैं."
लोग निभाएं अपनी जिम्मेदारी: 23 वर्षीय विराट ने जनता और सराकर से अपील की है कि, मात्र 23 वर्ष की उम्र में धर्म की रक्षा करने के उद्देश्य से वह लोगों को जागरूक करने लिए धर्म की यात्रा पर निकले हैं. हर एक सनातनी का यह फर्ज बनता है कि वह अपने धर्म की रक्षा करें और इसमें अपनी भागीदारी निभाएं.
व्यवसाय में हाथ बटाते हैं विराट: विराट बताते हैं कि, उनके पिता और बड़े भाई एक बिजनेसमैन हैं, गांव में ही उनका कपड़े का व्यसाय है. बड़े भाई और पिता के साथ मिलकर विराट भी उनका व्यवसाय में हाथ बटाते हैं. (rewa special story) (rewa virat singh paidal yatra) (virat singh paidal yatra jharkhand to ujjain)