रीवा। एमपी के रीवा जिले से चौंकाने वाला बच्चा सामने आया है. यहां साल 2011 में एक युवक ने अपनी पत्नी की नसबंदी कराई थी, लेकिन नसबंदी फेल हो गई, और पीड़ित परिवार के यहां पिछले कुछ सालों में देखते ही देखते पांच बच्चे पैदा हो गए. यानी दंपत्ति के कुल 8 बच्चे हैं, इनमें 6 बेटियां और 2 बेटे हैं. वहीं, अब इनकी पूरी कमाई बच्चों को पढ़ाने लिखाने और उनको पालने की जगह दवाई में खर्च हो रही है. दंपत्ति ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए, कार्रवाई और हर्जाने की मांग की है.
क्या है पूरा मामला: मामला रीवा जिले के गंगेव ब्लॉक के बांस गांव का है. महेश साकेत और कुशुमकली के कुल 8 बच्चे, 6 बेटियां और 2 बेटे हैं. इनमें एक बच्चे की मौत हो चुकी है. इन बच्चों का जन्म माता-पिता के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. नसबंदी से पहले 2 लड़के और एक लड़की होने के बाद 2011 में कुशुमकली ने नसबंदी ऑपरेशन करा लिया. लेकिन इसके बाद भी बच्चे होते रहे. इन सालों में दंपत्ति के 5 बच्चे पैदा हो चुके है. जब भी ये बच्चे 6 से 8 साल की उम्र पार करते हैं, तो भयानक बीमारी का शिकार हो जाते हैं.
महेश ने अपनी पत्नी कुशुमकली का नसबंदी का ऑपरेशन लालगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कैम्प में 9 जनरवरी 2011 को करवाया था. इसके बाद भी महेश की पत्नी कुशुमकली गर्भवती हो गई. इधर, कुशुमकली को गर्भवती होने की जानकारी जब मोहल्ले के लोगों को हुई, तो गांव के कुछ लोग इसे डॉक्टरों की लापरवाही मान रहे थे. रमेश ने डॉक्टर सहित ऑपरेशन करने वाले नर्सिंग स्टाफ की शिकायत भी की, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की.
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डॉक्टरों पर कार्रवाई और हर्जाने की मांग: महेश का कहना है कि परिवार की हालत ठीक नहीं हैं. दो बच्चे पहले ही हो चुके थे. अन्य संतान का बोझ वह नहीं उठा सकता था. इसलिए पत्नी ने नसबंदी कराने का फैसला लिया था, परंतु नसबंदी कराने के बाद भी उसे संतान पैदा हो गईं. इसमें डॉक्टर की लापरवाही निकल कर सामने आई है. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की शिकायत कई बार की परंतु उसकी सुनवाई नहीं हुई.
रहने के लिए घर नहीं दवाई बोझ अलग से: दंपत्ति बच्चों को पालने के लिए सरकारी जमीन में कच्ची दीवार के ऊपर पालीथीन के तिरपाल में रहते हैं. मेहनत मजदूरी से जो भी पैसा मिलता है, उसी से बच्चो की दवाई कराते हैं. किसी तरह का सरकारी लाभ भी नहींं मिल रहा है.