रीवा। जिले के गढ़ स्थित सरस्वती ज्ञान मंदिर पब्लिक हाई स्कूल से एक मामला सामने आया है, जहां पर समय से स्कूल में फीस न जमा करना चौथी कक्षा के एक छात्र को भारी पड़ गया. दरअसल स्कूल के प्रिंसपल ने थर्ड डिगरी का इस्तेमाल करते हुए मासूम छात्र को दो घंटे तक नंगे पैर धूप में खड़े रखा, इसके बाद उसे उसकी कक्षा में प्रवेश दिया. (Rewa Crimen News) इस बात की जानकारी जब छात्र ने अपने घर पहुंचकर अपने अभिभावकों को दी तो उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की है.
फीस जमा नहीं करने पर दी जाती है सजा: रीवा के गढ़ क्षेत्र निवासी सुरेंद्र दुबे पेसे से किसान है, इसके अलावा उनकी एक छोटी साइकिल रिपेयरिंग की दुकान भी है. सुरेंद्र दुबे के दो बच्चे है, बेटी और बेटा. दोनों बच्चे ही गढ़ के एक निजी सरस्वती ज्ञान मंदिर पब्लिक हाई स्कूल अध्यनरत है. छात्र के पिता का कहना है दोनों बच्चों के स्कूल की वार्षिक फीस 6 हजार रुपए है, लेकिन इस वर्ष स्कूल प्रबंधन के द्वारा 10 हजार 500 मांगे जा रहे है. पिता की गंभीर बीमारी के चलते उपचार के दौरान उनका देहांत हो गया, जिसकी वजह से सुरेंद्र दुबे काफी परेशान थे. इस वजह से वह बच्चों के स्कूल की फीस समय से नहीं दे पाए. सुरेंद्र दुबे ने स्कूल में जल्द फीस जमा करने के लिए प्रिंसपल से निवेदन भी किया था, लेकिन प्रिंसपल नहीं माने. इसके बाद अब स्कूल में फीस जमा करने के लिए मासूम बच्चे को प्रताड़ित किया गया, बच्चे को तकरीबन 2 घंटे तक स्कूल में कक्षा के बाहर ही धूप में खड़ा कराया गया. बता दें कि स्कूल में कई और ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें समय से फीस न जमा करने पर इसी तरह सजा दी जाती है.
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रद्द हो सकती है स्कूल की मान्यता: मामले को लेकर मीडिया ने जब जिला शिक्षा अधिकारी गंगा प्रसाद उपाध्याय से बात की तो उन्होंने कहा कि, "मीडिया के माध्यम से घटना की जानकारी हुई है, अगर स्कूल में छात्र के साथ कुछ ऐसा हुआ है तो मामले की जांच करवाकर उचित कार्रवाई की जाएगी. मेरे पास प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द करने का पॉवर तो है पर जांच के बाद ही कोई कार्रवाई करना संभव होगा."
स्कूल के प्रिंसिपल अनुज कुमार यादव का बयान: पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने सरस्वती ज्ञान मंदिर पब्लिक हाई स्कूल के प्रिंसिपल अनुज कुमार यादव से फोन पर बात की तो उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया. प्रिंसिपल ने कहा की बच्चे के पिता खुद स्कूल आए थे. उनके द्वारा 3 हजार रुपए देकर बाकी की फीस माफ करने की बात कही गई, जबकि दोनों बच्चो की वार्षिक फीस 6 हजार रुपए है. 10 हजार 500 रूपए वार्षिक फीस लेने की बात पूरी तरह से गलत है. रही बात छात्र को दो घंटे तक स्कूल के बाहर धूप में खड़ा रखने की तो स्कूल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. लगाए गए सारे आरोप का मुख्य कारण स्कूल और प्रबंधन को बदनाम करने की साजिश है.