रीवा। प्रदेश में भाजपा सरकार ने गाय की सुरक्षा के लिए गौ कैबिनेट का गठन किया है. जिसको लेकर ईटीवी भारत की टीम वास्तविक स्थिति जानने के लिए प्रदेश की गौशालाओं का रियलिटी चेक कर रही है. रीवा जिले में आवारा मवेशी परेशानी का सबब बने हुए हैं. आए दिन सड़कों पर घूमते हुए गाय दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं. जिनका इलाज कर गौशाला में भेज दिया जाता है.
सड़कों पर आवारा घूमने को मजबूर हैं गाय
रीवा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने वाले आवारा मवेशी किसानों की परेशानी का करण बने हुए हैं. आवारा घूमती गाय किसानों की फसलों को अक्सर नुकसान पहुंचाती रहती है. जिले में 15 गौशालाएं संचालित की जा रही हैं. जिनमें 5 गौशाला समिति के माध्यम से और 10 गौशाला ग्राम पंचायत के माध्यम से संचालित हो रही है. शासन द्वारा 200 गौशालाओं का लक्ष्य दिया गया था.
गौशाला में 90 प्रतिशत बेसहारा और आवारा गाय
वर्ष 2009 में सबसे पहले लक्ष्मण बाग गौशाला का उन्नयन किया गया, तब इस गौशाला में करीब 100 गायों को रखा गया था. उसके बाद इस गौशाला में गायों की वृद्धि होती गई, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते गायों की आए दिन मौतें भी हो रही हैं. गौ संवर्धन बोर्ड समिति के जिला उपाध्यक्ष ने बताया कि, इस गौशाला में 590 गाय मौजूद हैं. 95 प्रतिशत गोवंश बेसहारा और आवारा हैं. समिति के अध्यक्ष ने बताया कि, जिलेभर से आए दुर्घटना का शिकार हुए गोवंश को गौशाला में लाकर उनका डॉक्टरों की देखरेख में उपचार किया जाता है.
पूर्व मंत्री करते हैं गायों के भोजन की राशि का भुगतान
गौशाला में गायों के आहार की व्यवस्था को लेकर उपाध्यक्ष राजेश पांडे ने बताया कि, मध्यप्रदेश में 602 गौशालाएं हैं, जिसमें मात्र रीवा की लक्ष्मण बाग गौशाला व बसामन बाबा स्थित गौशाला के गौ सेवकों और गायों के भोजन के लिए कुछ राशि का भुगतान पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक राजेन्द्र शुक्ला द्वारा किया जा रहा है. जबकि प्रति गाय के हिसाब से 20 रुपय का भुगतान मध्यप्रदेश शासन द्वारा किया जाता है. इसके साथ ही बसावन बाबा गौशाला में जनसहयोग से दो करोड़ की एफडी की गई थी. जिसके ब्याज से वहां के गौ सेवकों की वेतन दिया जाता है. रीवा स्थित लक्ष्मण बाग गौशाला की बात की जाए, तो यहां पर्याप्त मात्रा में चारा और भूसा की व्यवस्था की गई है.
जिले में दो तरह की गौशालाएं
जिले में दो तरह की गौशालाएं संचालित हैं. एक गौसंवर्धन बोर्ड व दूसरी मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के माध्यम से संचालित हैं. गौसंवर्धन बोर्ड के माध्यम से जिले में 6 गौशालाएं हैं. जिनमें दो सिरमौर, दो रीवा और एक हनुमना व एक जवा विकाश खंड में है. इन सभी गौशालाओं में लगभग 6 हजार गाय हैं. वहीं मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के अंतर्गत 30 गौशालाएं खोले जाने का लक्ष्य पिछले वर्ष दिया गया था. जिसमें 24 गौशालाओं का निर्माण कार्य हो चुका है. 19 गौशालाओं में पशुओं का प्रतिस्थापन हो गया है और अन्य गौशाला जो की अर्ध निर्मित हैं, उनमें भी जल्द गायों का प्रतिस्थापन कर दिया जाएगा.
हर सप्ताह होता है गायों का टीकाकरण
डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि, नगर निगम पशुपालन विभाग और पशु चिकित्सकों की एक टीम गठित की गई है. जिसमें सड़कों में घूमने वाली गायों को वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सूचना मिलने के बाद यह टीम गौवंश के प्राथमिक इलाज के लिए पहुंचती है. बीमार गायों का उचित इलाज कर नगर निगम के वाहन से गौशाला भेज दिया जाता है. इसके साथ ही ब्लॉक लेवल पर पशु चिकित्सकों को रखा गया है. हर गौशाला के लिए एक बीएफओ की परमानेंट नियुक्ति की गई है, जिनके द्वारा हर सप्ताह गायों का टीकाकरण सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं.