ETV Bharat / state

कभी विदेशों तक पहुंचती थी बंगला पान की मिठास, अब किसानों के सामने रोजगार का संकट

author img

By

Published : Jan 16, 2020, 1:43 PM IST

रीवा जिले का महसांव गांव बंगला पान की खेती के लिए जाना जाता है. यहां से बंगला पान की सप्लाई देश- विदेश में की जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां का पान अपनी पहचान खोता जा रहा है. बंगला पान की खेती करने वाले किसानों के सामने रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

production-of-bangla-pan-is-in-danger-in-rewa
बंगला पान की सप्लाई हुई कम, किसानों के सामने रोजगार का संकट

रीवा। बंगला पान की खेती के लिए जाने- जानेवाला रीवा जिले के महसांव गांव के किसान आज रोजी- रोटी के संकट से जूझ रहे हैं. कभी यहां से बंगला पान की सप्लाई देश- विदेश में की जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से ये पहचान खोता जा रहा है. महसांव क्षेत्र के ज्यातार परिवार पान की खेती करते थे, बंगला पान की खेती चौरसिया समाज के किसानों का पुस्तैनी धंधा हुआ करता था, जो उन्हें विरासत में मिली थी, लेकिन अब वहीं किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है.

बंगला पान की सप्लाई हुई कम, किसानों के सामने रोजगार का संकट

दूर-दूर तक मशहूर है यहां का बंगला पान

जिले में पान उत्पादन के क्षेत्र में मशहूर महसांव गांव के लोग पान की खेती पर ही निर्भर है, यहां का बंगला पान विश्व प्रसिद्ध हुआ करता था. देश- विदेश में बड़ी मात्रा में इसकी सप्लाई हुआ करती थी, लेकिन पिछले कई सालों से यहां के पान का कारोबार सिमट कर रह गया है. इसमें लगातार हो रहे घाटे के चलते पान की खेती करने वाले किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्राकृतिक आपदाओं की

बदलते दौर में पान की जगह गुटखा और पान मसालों ने ले ली है. जिसके चलते पान की खेती करने वाले किसान इससे किनारा करने लगे हैं. किसानों की माने तो उनके पास अब कोई दूसरा रोजगार नहीं है, जिससे किसी तरह से मेहनत मजदूरी का काम कर अपना परिवार चला रहे हैं. कुछ किसान पान की खेती को बचाए रखने के लिए लगातार घाटा होने के बावजूद इसकी खेती कर रहे हैं, लेकिन उनकी पान की खेती प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा है. पान की खेती ठंड में ओले और पाला के चलते बर्बाद हो गई है और पान खराब हो गए हैं.

किसानों ने कहा- प्रशासन दे रहा ध्यान

किसान राजेंद्र प्रसाद चौरसिया ने बताया कि, पहले पान की खेती से काफी फायदा होता था, लेकिन अब हालत ये है कि इससे बच्चों की पढ़ाई- लिखाई तो दूर किसी तरह से उनका घर चल जाए यही काफी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार बदली, तो पान की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदें भी बढ़ी, लेकिन उनकी बदहाली पर मौजूदा सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया.

पान एक ऐसी चीज है जो भगवान के पूजा सामग्री में भी काम आता है. साथ ही शादी- बारात में इसे खिलाना एक व्यवहार माना जाता है, लेकिन अब वक्त का तकाजा है कि, शादी- बारात में भी पान का उपयोग बहुत कम हो गया है. अगर पान की खेती का यही हाल रहा, तो यहां का बंगला पान जो कभी देश विदेश में यहां की पहचान हुआ करता था, वो खुद अपनी पहचान का मोहताज हो जाएगा.

रीवा। बंगला पान की खेती के लिए जाने- जानेवाला रीवा जिले के महसांव गांव के किसान आज रोजी- रोटी के संकट से जूझ रहे हैं. कभी यहां से बंगला पान की सप्लाई देश- विदेश में की जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से ये पहचान खोता जा रहा है. महसांव क्षेत्र के ज्यातार परिवार पान की खेती करते थे, बंगला पान की खेती चौरसिया समाज के किसानों का पुस्तैनी धंधा हुआ करता था, जो उन्हें विरासत में मिली थी, लेकिन अब वहीं किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है.

बंगला पान की सप्लाई हुई कम, किसानों के सामने रोजगार का संकट

दूर-दूर तक मशहूर है यहां का बंगला पान

जिले में पान उत्पादन के क्षेत्र में मशहूर महसांव गांव के लोग पान की खेती पर ही निर्भर है, यहां का बंगला पान विश्व प्रसिद्ध हुआ करता था. देश- विदेश में बड़ी मात्रा में इसकी सप्लाई हुआ करती थी, लेकिन पिछले कई सालों से यहां के पान का कारोबार सिमट कर रह गया है. इसमें लगातार हो रहे घाटे के चलते पान की खेती करने वाले किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्राकृतिक आपदाओं की

बदलते दौर में पान की जगह गुटखा और पान मसालों ने ले ली है. जिसके चलते पान की खेती करने वाले किसान इससे किनारा करने लगे हैं. किसानों की माने तो उनके पास अब कोई दूसरा रोजगार नहीं है, जिससे किसी तरह से मेहनत मजदूरी का काम कर अपना परिवार चला रहे हैं. कुछ किसान पान की खेती को बचाए रखने के लिए लगातार घाटा होने के बावजूद इसकी खेती कर रहे हैं, लेकिन उनकी पान की खेती प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा है. पान की खेती ठंड में ओले और पाला के चलते बर्बाद हो गई है और पान खराब हो गए हैं.

किसानों ने कहा- प्रशासन दे रहा ध्यान

किसान राजेंद्र प्रसाद चौरसिया ने बताया कि, पहले पान की खेती से काफी फायदा होता था, लेकिन अब हालत ये है कि इससे बच्चों की पढ़ाई- लिखाई तो दूर किसी तरह से उनका घर चल जाए यही काफी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार बदली, तो पान की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदें भी बढ़ी, लेकिन उनकी बदहाली पर मौजूदा सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया.

पान एक ऐसी चीज है जो भगवान के पूजा सामग्री में भी काम आता है. साथ ही शादी- बारात में इसे खिलाना एक व्यवहार माना जाता है, लेकिन अब वक्त का तकाजा है कि, शादी- बारात में भी पान का उपयोग बहुत कम हो गया है. अगर पान की खेती का यही हाल रहा, तो यहां का बंगला पान जो कभी देश विदेश में यहां की पहचान हुआ करता था, वो खुद अपनी पहचान का मोहताज हो जाएगा.

Intro:रीवा जिले के मंहसांव का बंगला पान कभी देश के कोने कोने के साथ ही पाकिस्तान सहित कई देशों में लोगों के मुंह का स्वाद बना करता था वही पान अब अपनी पहचान खोता जा रहा है एक समय था जब मंहसांव क्षेत्र के ज्यादातर घरों में पान की खेती होती थी लेकिन गुटखा के चलन में ये पान कंही खो से गए इसमें लगातार हो रहे घाटे के चलते पान की खेती करने वाले किसानो के पास रोजगार का संकट आ खड़ा हुआ है।

Body:रीवा जिले के ग्राम मंहसांव सहित आसपास के गाँव में एक दौर ऐसा था जब पग पग पर पान की खेती हुआ करती थी यंहा के चौरसिया समाज के किसानो का यह पुस्तैनी धंधा हुआ करता था जो उन्हें विरासत में मिलती थी यंहा का बंगला पान विश्वप्रसिद्ध पान हुआ करता था जो लोगों की पहली पसंद हुआ करता था और लोग बड़े शौक से इसे खाते थे ये पान देश के कोने कोने में तो बिकता ही था उसके आलावा पाकिस्तान, श्रीलंका सहित और कई देशों में भी लोगों के मुँह का स्वाद बना करता था यंहा के किसानो का पान की खेती से घर चलता था यही इन किसानो का मुख्य धंधा हुआ करता था बदलते दौर के चलते पान की खेती करने वाले किसान गुटखा संस्कृति का शिकार हो गए और इनके पान की जगह गुटखा और पान मसाले ने ले ली जिसके चलते पान की खेती करने वाले किसान इससे किनारा करने लगे है। यंहा का बंगला पान जो कभी देश विदेश में यंहा की पहचान हुआ करता था वो खुद अब अपनी पहचान खोता जा रहा है पान की खेती करने वाले किसानो के पास अब दूसरा कोई रोजगार नहीं है जिससे किसी तरह से मेहनत मजदूरी और दूसरा काम कर ये किसान अपना परिवार चला रहे है कुछ किसान पान की की खेती को बचाये रखने इसमें लगातार आ रहे घाटे के बावजूद अभी भी इसकी खेती कर रहे है लेकिन उनकी पान की खेती भी ठण्ड और ओले पाले के चलते बर्बाद हो गई और पान ख़राब हो गए जो किसान पहले से इस खेती में घाटा झेल रहे थे उन्हें मौसम की मार ने और बर्बाद कर दिया। एक समय था जब पान की खेती करने वाले किसानो को पान की खेती से काफी फायदा होता था इसी से वो बच्चों का लालपालन और पढाई लिखाई सहित पूरा घर चलाते थे लेकिन अब ये हालात है की इससे बच्चों की पढाई तो दूर किसी तरह से उनका घर चल जाए यही काफी है। प्रदेश में सरकार बदली तो पान की खेती करने वाले किसानो की उम्मीदे भी बढ़ी ये किसान इस बात की आस लगाए हुए है की शायद प्रदेश सरकार इस ओर ध्यान दे और पान की खेती को बढ़ावा दे जिससे यंहा का बंगला पान एक बार फिर देश विदेश में अपनी पहचान बना सके।
Conclusion:पान एक ऐसी चीज है जो भगवान के पूजा सामग्री में भी काम आती है साथ ही इसका उपयोग शादी बारात में भी किया जाता है शादी बारात में इसे खिलाना एक व्यवहार माना जाता है लेकिन अब समय का तकाज़ा है की शादी बारात में भी पान का उपयोग बहुत कम हो गया अगर पान की खेती का यही हाल रहा तो वो समय दूर नहीं जब यंहा का बंगला पान जो कभी देश विदेश में एक पहचान हुआ करता था वो खुद अपनी पहचान को मोहताज हो जायेगा
बाईट: 01 मोतीलाल चौरसिया, किसान
बाईट: 02 राजेंद्र प्रसाद, चौरसिया किसान
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.