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चाइनीज सामानों के आगे मिट्टी के दीयों की चमक हुई फीकी, कुम्हारों से लगाई मदद की गुहार

मिट्टी के दीए बनाने वाले कुम्हारों ने प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है, इनकी मांग है कि उन्हें दीया बनाने वाली मशीन उपलब्ध कराई जाए, जिसमें मेहनत और समय कम लगे.

मिट्टी को आकार देने वाले लगा रहे सरकार से मदद की गुहार
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Published : Oct 25, 2019, 9:28 AM IST

Updated : Oct 25, 2019, 10:00 AM IST

रीवा। मिट्टी के दीए और वर्तन बनाने का काम करने वाले कुम्हार आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं. कड़ी मेहनत से दीए बनाने के बावजूद बाजार में ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. बुरे दौर से गुजर रहे कुम्हारों ने प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है. इनकी मांग है कि इन्हें दीए बनाने वाली मशीन उपलब्ध करवाई जाए, ताकि मेहनत और वक्त कम लगे, साथ ही मशीन की मदद से ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन कर सकें.

मिट्टी को आकार देने वाले लगा रहे सरकार से मदद की गुहार


दाम कम पर मेहनत ज्यादा

इन दीयों की कीमत जरूर चाइनीज दीयों के मुकाबले काफी कम होती हैं, फिर भी ग्राहक नहीं मिलते हैं. जो मेहनत इन्हें आकार देने में लगती है, उसका दाम निकालने में कभी- कभी इनके पसीना छूट जाते हैं. ग्रामीण अंचलों में मिट्टी का काम करने वाले कारीगर अपनी मेहनत को बाजार में महज कुछ रुपए में बेचने की कोशिश में लगे रहते हैं. यह लोग अक्सर दिवाली के त्योहार के समय दीए बनाने का काम करते हैं. रीवा में इन दिनों सौ रुपए में करीब सौ दीए बिक रहे हैं, लेकिन लोग डिजाइनर और चाइना आईटम को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

रीवा। मिट्टी के दीए और वर्तन बनाने का काम करने वाले कुम्हार आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं. कड़ी मेहनत से दीए बनाने के बावजूद बाजार में ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. बुरे दौर से गुजर रहे कुम्हारों ने प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है. इनकी मांग है कि इन्हें दीए बनाने वाली मशीन उपलब्ध करवाई जाए, ताकि मेहनत और वक्त कम लगे, साथ ही मशीन की मदद से ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन कर सकें.

मिट्टी को आकार देने वाले लगा रहे सरकार से मदद की गुहार


दाम कम पर मेहनत ज्यादा

इन दीयों की कीमत जरूर चाइनीज दीयों के मुकाबले काफी कम होती हैं, फिर भी ग्राहक नहीं मिलते हैं. जो मेहनत इन्हें आकार देने में लगती है, उसका दाम निकालने में कभी- कभी इनके पसीना छूट जाते हैं. ग्रामीण अंचलों में मिट्टी का काम करने वाले कारीगर अपनी मेहनत को बाजार में महज कुछ रुपए में बेचने की कोशिश में लगे रहते हैं. यह लोग अक्सर दिवाली के त्योहार के समय दीए बनाने का काम करते हैं. रीवा में इन दिनों सौ रुपए में करीब सौ दीए बिक रहे हैं, लेकिन लोग डिजाइनर और चाइना आईटम को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

Intro:मिट्टी के कानों को संजोकर एक आकार देने वाले यह कुम्हार इन दिनों अपनी मेहनत को एक नया स्वरूप देने को तैयार है यह लोग त्योहार के समय में मिट्टी को दिए और मूर्ति का आकार देते हैं दिवाली पर यह मिट्टी किसी के घर में रोशनी करती है तो किसी के परिवारों को साल भर का राशन जुटाने में मदद भी करती है। हालांकि चाइनीस दीपक के मुकाबले इनका दाम काफी कम होता है लेकिन जो मेहनत इन्हें आकार देने में लगती है उसका दाम निकालने में इनका कभी-कभी पसीना भी छूट जाता है यह लोग ईटीवी भारत की मदद से सरकार से गुहार लगाने को भी मजबूर हैं और बारंबार यह इनसे मदद की अपेक्षा कर रहे हैं।


Body:रीवा के ग्रामीण अंचलों में मिट्टी का काम करने वाले कारीगर दिन रात मेहनत करके मिट्टी से दियो और मूर्ति का आकार देते हैं और अपनी मेहनत को लाकर बाजार में महज कुछ रुपए में बेचने की कोशिश में लगे रहते हैं। मिट्टी का काम करने वाले यह लोग अक्सर दिवाली के त्योहार के समय दिए का काम करते हैं और और उन्हें बाजार में ले जाकर बेचा करते हैं। जिससे कभी-कभी तो उन्हें उनकी मेहनत का फल महज कुछ रुपयों में मिल जाता है जिससे उनका गुजारा तो चल जाता है लेकिन वह उम्मीद हमेशा शांत हो जाती है।


इस दिवाली रीवा की मिट्टी से कुम्हार दिए बनाकर जिले को रोशन कर रहे हैं इसी तरह हर वर्ष दिवाली में यह त्यौहार सभी के लिए उत्सव के रूप में बनाया जाता है लेकिन मिट्टी के बर्तनों से इधर यह कभी-कभी एक अलग स्वरूप बनाकर इनके सामने आ जाता है। रोजाना हजारों दीए बनाने वाले यह लोग सरकार से एक उम्मीद के साथ जागते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि सरकार कहीं ना कहीं सामने आकर उनकी मदद करें।



रीवा में इन दिनों ₹100 में करीब 100 दिए बिक रहे लेकिन इन्हें खरीदने वाले लोग डिजाइन और चाइना बाजार की ओर बढ़ रहे हैं कम मेहनत और कम लागत में वह लोग इन कुम्हारों के बीच कभी खड़े हो जाते हैं लेकिन आखिर मिट्टी तो मिट्टी ही होती है इनका मानना है कि भगवान की ऐसी कृपा है कि उन्हें अपनी रोजी का पैसा जरूर मिल जाता है।



यह लोग आज भी सरकार से गुहार लगा रहे हैं इनका कहना है कि सरकार इन्हें वर्तमान में उपयोग होने वाली मशीनरी जिनसे दिनों का आसानी से निर्माण किया जाता है उपलब्ध करा दें जिससे उन्हें इस कामों में आसानी हो कम मेहनत के साथ-साथ समय भी कम लगेगा जिससे ज्यादा दिए बनाकर काम कर सकेंगे।


121- कुम्हार, कारीगर।


Conclusion:....
Last Updated : Oct 25, 2019, 10:00 AM IST
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