रीवा। मिट्टी के दीए और वर्तन बनाने का काम करने वाले कुम्हार आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं. कड़ी मेहनत से दीए बनाने के बावजूद बाजार में ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. बुरे दौर से गुजर रहे कुम्हारों ने प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है. इनकी मांग है कि इन्हें दीए बनाने वाली मशीन उपलब्ध करवाई जाए, ताकि मेहनत और वक्त कम लगे, साथ ही मशीन की मदद से ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन कर सकें.
दाम कम पर मेहनत ज्यादा
इन दीयों की कीमत जरूर चाइनीज दीयों के मुकाबले काफी कम होती हैं, फिर भी ग्राहक नहीं मिलते हैं. जो मेहनत इन्हें आकार देने में लगती है, उसका दाम निकालने में कभी- कभी इनके पसीना छूट जाते हैं. ग्रामीण अंचलों में मिट्टी का काम करने वाले कारीगर अपनी मेहनत को बाजार में महज कुछ रुपए में बेचने की कोशिश में लगे रहते हैं. यह लोग अक्सर दिवाली के त्योहार के समय दीए बनाने का काम करते हैं. रीवा में इन दिनों सौ रुपए में करीब सौ दीए बिक रहे हैं, लेकिन लोग डिजाइनर और चाइना आईटम को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.