जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट ने जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ और चीफ इंजीनियर के पद पर पदस्थ संविदा अधिकारी को तत्काल पद तथा वित्तीय अधिकार छोड़ने को कहा है. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश को पलटते हुए सरकार को नई नियुक्ति करने निर्देश दिए हैं.
एकलपीठ के आदेश को युगलपीठ में दी गई थी चुनौती
विभाग में पदस्थ सीनियर अधीक्षण अभियंता जोश सिंह कुशरे और विनोद सिंह टेकाम की तरफ से दायर अपील में कहा गया था कि उन्हें साल 2014 में पदोन्नति प्रदान की गई थी. अनावेदक शिरीष मिश्रा को साल 2014 में अधीक्षण अभियंता नियुक्त किया गया था. वरिष्ठ होने के बावजूद कनिष्ठ अधिकारी शिरीष मिश्रा को साल 2023 में सेवानिवृत्त होने के बाद संविदा आधार पर इंजीनियर इन चीफ और चीफ इंजीनियर के पद पर पदस्थ कर दिया.
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जिस अधिकारी को संविदा नियुक्ति प्रदान की गई है उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का आपराधिक मामला चल रहा है. याचिका में कहा गया था कि इंजीनियर इन चीफ और चीफ इंजीनियर विभाग का सर्वोच्च पद होता है और इसे पदोन्नति से भरा जाता है. जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. एकलपीठ ने याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि संविदा नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार होता है.
युगलपीठ ने पाया कि नियमों की गलत व्याख्या करते हुए दी गई है नियुक्ति
युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि संविदा नियुक्ति प्रावधान नियम 2017 में नियमों की गलत व्याख्या करते हुए नियुक्ति प्रदान की गई है. युगलपीठ ने शिरीष मिश्रा को दोनों पदों के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार तत्काल छोड़ने के निर्देश दिए हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि संविदा इंजीनियर को विभाग के मुखिया का पद देकर फीडर कैडर में उपलब्ध नियमित कैडर में सेवा के सदस्यों के वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है.
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि संविदा इंजीनियर शिरीष मिश्रा केवल अधीक्षण अभियंता के पद या उसके समान वेतनमान वाले समकक्ष पद का प्रभार ही संभाल सकेंगे.