रीवा। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार शनिवार को एक दिवसीय प्रवास पर रीवा पहुंचे. वह रीवा के आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में बतौर मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने स्कूल के 50 साल पूरे होने पर बधाई दी. साथ ही कहा कि अब घर में बोली जाने वाली बोली में ही शिक्षा देंगे. चाहे वह बघेली या बुंदेली बोली हो. किताबें लिखने का काम तेजी से चल रहा है. वीर सावरकर को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिसे दो आजीवन कारावास की सजा मिली हो, वह महानायक है और हमें उन पर गर्व करना चाहिए.
गलत इतिसाह को बदलेंगे : स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि विंध्य सफ़ेद शेरों की धरती है, जिसे मैं प्रणाम करता हूं. शिक्षा नीति में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भारत के सभी राज्यों ने स्वीकार किया है. जो अपनी अपनी मातृभाषा में छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने का काम करेगी. साथ ही गौरवशाली इतिहास और अभी तक जो गलत इतिहास पढ़ाया गया, उसे ठीक करेंगे. इस मौके पर स्थानीय विधायक व पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, रीवा सांसद जनार्दन मिश्र व अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे.
अब तक गुलामी का इतिहास पढ़ाया: स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब गुलामी करने, पिटने-पिटाने का इतिहास पढ़ाया गया. वह इतिहास गलत है. 1857 से लेकर 1947 तक जिन्होंने देश की आजादी के आंदोलन में भाग लिया होगा या फिर शहीद हुए होंगे, हम उनको इस शिक्षा नीति में सम्मान देने जा रहे हैं. वीर सावरकर भी एक ऐसे नायक हैं, जिन्हे राजनीतिक बंदी होकर दो-दो आजन्म कारावास की सजा हुई. दुनिया के इतिहास में इससे पहले कभी किसी को इस तरह की सजा नहीं हुई. ऐसे वीर सावरकर पर हमें गर्व है, जो विरोध कर रहे हैं, उन्हे भी गर्व करना चहिए.
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पाठ्यक्रमों में शामिल होंगे महापुरुष : स्कूल शिक्षा मंत्री शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि हम सभी का सम्मान करना चाहते हैं. हमारे पाठयक्रमो में भगवान परशुराम, महाराणा प्रताप, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, असफाक उल्ला खां जैसे सभी महापुरुषों का नाम आ रहा है. हम लोकमान्य तिलक को भी इसमें सम्मिलित करने जा रहे हैं. हम भारत की आजादी की जब भी बात करेंगे तब तब इन महापुरुषों का मान बढ़ाना होगा. अब असली वीर योद्धाओं को सम्मान देने का समय आ गया है.