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कुदरत ने छीना हाथ...हौसला ऐसा कि पैरों से दी 12वीं की परीक्षा, रिजल्ट आया तो चौंक गए सब - बिन हाथ 12वीं परीक्षा पास

रीवा जिले के हरजई मुड़हान गांव के एक दिव्यांग ने अपने पैरों से लिखकर 12वीं की परीक्षा में 82 फीसदी अंक हासिल कर सभी को चकित कर दिया है. गरीब परिवार का कृष्ण कुमार आगे पढ़कर कलेक्टर बनना चाहता है, लेकिन आर्थिक स्थिति उसके आड़े आ रही है. ऐसे में दिव्यांग के पिता ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

divyang Krishna Kumar
दिव्यांग कृष्ण कुमार
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Published : Jul 31, 2020, 11:10 AM IST

रीवा। कहते हैं इरादे अगर मजबूत हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. हम बात कर रहे हैं रीवा के मऊगंज स्थित हरजई मुड़हान गांव की, जहां के रहने वाले कृष्ण कुमार के बचपन से ही दोनों हाथ नहीं थे, इसके बावजूद भी कृष्ण कुमार ने 12वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर दी और 82 फीसदी अंक हासिल कर सबको चकित कर दिया. कृष्ण कुमार के बुलंद हौसलों के आगे मजदूर पिता की गरीबी भी आड़े नहीं आई. पढ़ाई के लिए हर दिन 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचने वाले इस होनहार छात्र ने उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज के टॉप टेन छात्रों में जगह बनाई है. कृष्ण कुमार बेहद गरीब होने के बावजूद भी आगे की पढ़ाई कर कलेक्टर बनने की ख्वाहिश रखता है.

दिव्यांग ने 12वीं में हासिल किए 82 प्रतिशत

जन्म से नहीं हैं दोनों हाथ

दिव्यांग कृष्ण कुमार के दोनों हाथ मां की कोख में ही गल गए थे. बढ़ती उम्र के साथ कृष्ण कुमार ने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया और 12वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर 82% अंक अर्जित कर दिए. कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि से पूरा परिवार गदगद है. दरअसल कृष्ण कुमार के दोनों हाथ जन्म से ही नहीं थे, अपने तीन भाई और चार बहनों के बीच ना केवल चलना सीखा, बल्कि पढ़ाई में भी मन लगाया. बचपन से ही पैरों से सारे काम करने का हुनर खुद ही विकसित किया और मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से वह मुकाम हासिल किया जो हाथ वाले भी ना कर पाए. कृष्ण कुमार ने कक्षा 1 से 12वीं तक की परीक्षा पैरों से ही लिखकर उत्तीर्ण की है. कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि के बाद उनकी मदद के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग उनके घर पहुंच रहे हैं.

Family of krishna kumar
कृष्ण कुमार का परिवार

पिता ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

कृष्ण कुमार के पिता रामजस केवट ने कहा कि वह अपने बेटे की सफलता से काफी खुश हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका बेटा कलेक्टर बनना चाहता है, लेकिन वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कि वो उसे आगे पढ़ा सकें. ऐसे में उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

Krishna Kumar writing with his feet
पैरों से लिखता हुआ कृष्ण कुमार

कलेक्टर बनना चाहते हैं कृष्ण कुमार

पैरों से अपनी किस्मत लिखने वाले कृष्ण कुमार ने शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज में कला संकाय में तीसरा स्थान हासिल किया है. उसने 500 में से 414 नंबर प्राप्त कर परिवार सहित जिले का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है.

कृष्ण कुमार का गांव हरजई मुड़हान मऊगंज तहसील से 5 किलोमीटर दूर है. जहां से वह पैदल चलकर स्कूल जाता था. पढ़ाई के प्रति लगन इतनी थी कि रास्ते में ही बैठकर पैरों से अपना होमवर्क करने लगता था. इस मेघावी छात्र की उपलब्धि चाहे भले ही किसी पहाड़ की चोटी के बराबर ना हो, लेकिन ख्वाहिशें बड़ी हैं. कृष्ण कुमार अब आगे की पढ़ाई कर कलेक्टर बन कर परिवार की मदद करना चाहते हैं. कृष्ण कुमार आगे पढ़ना चाहता हैं, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति उसके पढ़ाई के आड़े आ रही है.

रीवा। कहते हैं इरादे अगर मजबूत हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. हम बात कर रहे हैं रीवा के मऊगंज स्थित हरजई मुड़हान गांव की, जहां के रहने वाले कृष्ण कुमार के बचपन से ही दोनों हाथ नहीं थे, इसके बावजूद भी कृष्ण कुमार ने 12वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर दी और 82 फीसदी अंक हासिल कर सबको चकित कर दिया. कृष्ण कुमार के बुलंद हौसलों के आगे मजदूर पिता की गरीबी भी आड़े नहीं आई. पढ़ाई के लिए हर दिन 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचने वाले इस होनहार छात्र ने उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज के टॉप टेन छात्रों में जगह बनाई है. कृष्ण कुमार बेहद गरीब होने के बावजूद भी आगे की पढ़ाई कर कलेक्टर बनने की ख्वाहिश रखता है.

दिव्यांग ने 12वीं में हासिल किए 82 प्रतिशत

जन्म से नहीं हैं दोनों हाथ

दिव्यांग कृष्ण कुमार के दोनों हाथ मां की कोख में ही गल गए थे. बढ़ती उम्र के साथ कृष्ण कुमार ने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया और 12वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर 82% अंक अर्जित कर दिए. कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि से पूरा परिवार गदगद है. दरअसल कृष्ण कुमार के दोनों हाथ जन्म से ही नहीं थे, अपने तीन भाई और चार बहनों के बीच ना केवल चलना सीखा, बल्कि पढ़ाई में भी मन लगाया. बचपन से ही पैरों से सारे काम करने का हुनर खुद ही विकसित किया और मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से वह मुकाम हासिल किया जो हाथ वाले भी ना कर पाए. कृष्ण कुमार ने कक्षा 1 से 12वीं तक की परीक्षा पैरों से ही लिखकर उत्तीर्ण की है. कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि के बाद उनकी मदद के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग उनके घर पहुंच रहे हैं.

Family of krishna kumar
कृष्ण कुमार का परिवार

पिता ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

कृष्ण कुमार के पिता रामजस केवट ने कहा कि वह अपने बेटे की सफलता से काफी खुश हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका बेटा कलेक्टर बनना चाहता है, लेकिन वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कि वो उसे आगे पढ़ा सकें. ऐसे में उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

Krishna Kumar writing with his feet
पैरों से लिखता हुआ कृष्ण कुमार

कलेक्टर बनना चाहते हैं कृष्ण कुमार

पैरों से अपनी किस्मत लिखने वाले कृष्ण कुमार ने शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज में कला संकाय में तीसरा स्थान हासिल किया है. उसने 500 में से 414 नंबर प्राप्त कर परिवार सहित जिले का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है.

कृष्ण कुमार का गांव हरजई मुड़हान मऊगंज तहसील से 5 किलोमीटर दूर है. जहां से वह पैदल चलकर स्कूल जाता था. पढ़ाई के प्रति लगन इतनी थी कि रास्ते में ही बैठकर पैरों से अपना होमवर्क करने लगता था. इस मेघावी छात्र की उपलब्धि चाहे भले ही किसी पहाड़ की चोटी के बराबर ना हो, लेकिन ख्वाहिशें बड़ी हैं. कृष्ण कुमार अब आगे की पढ़ाई कर कलेक्टर बन कर परिवार की मदद करना चाहते हैं. कृष्ण कुमार आगे पढ़ना चाहता हैं, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति उसके पढ़ाई के आड़े आ रही है.

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