रीवा। सूबे के मुखिया कमलनाथ प्रदेश में स्वस्थ्य स्वास्थ्य व्यवस्था के कितने ही दावे कर लें, लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट है. प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था अपनी आखिरी सांसें ले रही है, जिसका जीता-जागता सबूत है रीवा का संजय गांधी अस्पताल. जहां मरीज इतनी भीषण गर्मी में तपने को मजबूर हैं, क्योंकि अस्पताल प्रबंधन ने यहां कूलर तो लगाए हैं, लेकिन वह सिर्फ देखने के लिए. ये कूलर न तो चलते हैं और न ही किसी मरीज को इनकी हवा लगती है.
जिले में पारा 41 डिग्री पार हो चुका है, ऐसे में अस्पताल में भर्ती मरीजों के पास भगवान से प्रार्थना करने के अलावा कोई चारा नहीं है. जो मरीज सक्षम हैं वे घर से पंखे लाकर अस्पताल में गर्मी से बचने का इंतजाम कर रहे हैं. लेकिन जो असहाय और गरीब हैं उनकी सुनने वाला कोई नहीं. संजय गांधी अस्पताल विंध्य क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन इसमें बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. मरीजों के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर समय पर जांच भी नहीं करते. गर्मी से उनका बहुत बुरा हाल है, लेकिन उनके पास सरकारी अस्पताल के अलावा कहीं और जाने का चारा भी नहीं है.
मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधक रत्नेश त्रिपाठी का कहना है कि शिकायत मिलने पर तत्काल प्रभाव से समाधान किया जाता है. कूलर की देखरेख के लिए एक संस्था से अनुबंध है, जिसने 18 तारीख तक सारे कूलरों को चालू करने की बात कही है. क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल के जब ये हाल हैं, तो बाकी अस्पतालों के हालात क्या होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है....संजय गांधी अस्पताल के ये हाल सरकार के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा हैं.