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रीवा: संजय गांधी अस्पताल का बुरा हाल, अपने घरों से पंखे लाने को मजबूर हुए मरीज

रीवा के संजय गांधी अस्पताल में अव्यवस्थाओं के चलते मरीज परेशान हैं.लेकिन कोई इनकी सुनने वाला नहीं है.

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Published : Apr 16, 2019, 11:36 PM IST

बेहाल अस्पातल की तस्वीर

रीवा। सूबे के मुखिया कमलनाथ प्रदेश में स्वस्थ्य स्वास्थ्य व्यवस्था के कितने ही दावे कर लें, लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट है. प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था अपनी आखिरी सांसें ले रही है, जिसका जीता-जागता सबूत है रीवा का संजय गांधी अस्पताल. जहां मरीज इतनी भीषण गर्मी में तपने को मजबूर हैं, क्योंकि अस्पताल प्रबंधन ने यहां कूलर तो लगाए हैं, लेकिन वह सिर्फ देखने के लिए. ये कूलर न तो चलते हैं और न ही किसी मरीज को इनकी हवा लगती है.

बेहाल अस्पातल की तस्वीर

जिले में पारा 41 डिग्री पार हो चुका है, ऐसे में अस्पताल में भर्ती मरीजों के पास भगवान से प्रार्थना करने के अलावा कोई चारा नहीं है. जो मरीज सक्षम हैं वे घर से पंखे लाकर अस्पताल में गर्मी से बचने का इंतजाम कर रहे हैं. लेकिन जो असहाय और गरीब हैं उनकी सुनने वाला कोई नहीं. संजय गांधी अस्पताल विंध्य क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन इसमें बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. मरीजों के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर समय पर जांच भी नहीं करते. गर्मी से उनका बहुत बुरा हाल है, लेकिन उनके पास सरकारी अस्पताल के अलावा कहीं और जाने का चारा भी नहीं है.


मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधक रत्नेश त्रिपाठी का कहना है कि शिकायत मिलने पर तत्काल प्रभाव से समाधान किया जाता है. कूलर की देखरेख के लिए एक संस्था से अनुबंध है, जिसने 18 तारीख तक सारे कूलरों को चालू करने की बात कही है. क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल के जब ये हाल हैं, तो बाकी अस्पतालों के हालात क्या होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है....संजय गांधी अस्पताल के ये हाल सरकार के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा हैं.

रीवा। सूबे के मुखिया कमलनाथ प्रदेश में स्वस्थ्य स्वास्थ्य व्यवस्था के कितने ही दावे कर लें, लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट है. प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था अपनी आखिरी सांसें ले रही है, जिसका जीता-जागता सबूत है रीवा का संजय गांधी अस्पताल. जहां मरीज इतनी भीषण गर्मी में तपने को मजबूर हैं, क्योंकि अस्पताल प्रबंधन ने यहां कूलर तो लगाए हैं, लेकिन वह सिर्फ देखने के लिए. ये कूलर न तो चलते हैं और न ही किसी मरीज को इनकी हवा लगती है.

बेहाल अस्पातल की तस्वीर

जिले में पारा 41 डिग्री पार हो चुका है, ऐसे में अस्पताल में भर्ती मरीजों के पास भगवान से प्रार्थना करने के अलावा कोई चारा नहीं है. जो मरीज सक्षम हैं वे घर से पंखे लाकर अस्पताल में गर्मी से बचने का इंतजाम कर रहे हैं. लेकिन जो असहाय और गरीब हैं उनकी सुनने वाला कोई नहीं. संजय गांधी अस्पताल विंध्य क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन इसमें बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. मरीजों के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर समय पर जांच भी नहीं करते. गर्मी से उनका बहुत बुरा हाल है, लेकिन उनके पास सरकारी अस्पताल के अलावा कहीं और जाने का चारा भी नहीं है.


मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधक रत्नेश त्रिपाठी का कहना है कि शिकायत मिलने पर तत्काल प्रभाव से समाधान किया जाता है. कूलर की देखरेख के लिए एक संस्था से अनुबंध है, जिसने 18 तारीख तक सारे कूलरों को चालू करने की बात कही है. क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल के जब ये हाल हैं, तो बाकी अस्पतालों के हालात क्या होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है....संजय गांधी अस्पताल के ये हाल सरकार के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा हैं.

Intro:

रीवा जिले में पारा 41 डिग्री के पार हो चुका है, ऐसे में विंध्य  के सबसे बड़े  संजय गांधी  अस्पताल में मरीजों का गर्मी से बुरा हाल है। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उपलब्ध कराया गया कूलर और पंखा केवल दर्शनार्थ के लिए ही रह गया है। इस गर्मी से राहत पाने के लिए लोग अपने घरों से पंखे कूलर लाने को मजबूर हैं। सरकार स्वास्थ्य के बड़े-बड़े दावे करती है लगातार नेताओं के द्वारा अस्पतालों का दौरा भी किया जाता है लेकिन सुविधाएं केवल सरकारी अस्पतालों में भी पैसे देकर हासिल की जाती हैं।  आज जिनके  ना तो नेताओं का साथ है और ना ही पैसे का ऐसे लोग घरों से खुद पंखे कूलर लाकर गर्मी से राहत पाते हैं।  




Body:वियो-  रीवा जिले का संजय गांधी अस्पताल में इन दिनों भीषण गर्मी का ताप झेल रहा है।  विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों का गर्मी से बुरा हाल है लोग यहां बड़े हादसे इलाज कराने तो आते हैं लेकिन राशन की कमियों का दंश भी जेल रहे हैं।  तपती गर्मी में मरीज वार्डों में घरों से पंखे कूलर लाकर गर्मी से राहत पाते हैं शासन में कूलर पंखे तो लगाए लेकिन केवल दर्शन मात्र के लिए ही सीमित रह गए हैं। 


अस्पताल में इलाज करवा रहे लोगों का कहना है कि अस्पताल में लगे कूलर पंखे कुछ तो चलते हैं और कुछ केवल अस्पताल की शोभा बढ़ा रहे हैं जो चलते हैं उनमें कूलर में पानी रहता है।  जिसके कारण मजबूरन उन्हें अपने घरों से पंखे और कूलर लाने की जरूरत आन पड़ी है। जब हमने इस पूरे मामले को लेकर हॉस्पिटल प्रशासन से बात की तो उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द मरीजों की समस्याओं का हल निकाला जाएगा।




Conclusion:बता दें कि रीवा के इस अस्पताल में दूर-दूर से मरीज इलाज के लिए आते हैं किस अस्पताल में हर एक सुविधा की बात की जाती है नेता और मंत्री के दौरे भी होते हैं और प्रशासन भी कभी कभी यहां जांच के लिए आते रहते हैं   उसके बाद भी अस्पताल की कमियों से लोग खुद ही लड़ रहे हैं। 


बाइट 

 मरीज के परिजन

बाइट

 रत्नेश  त्रिपाठी

अस्पताल प्रबंधक

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