सागर : मध्यप्रदेश अपने टाइगर्स के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मशहूर हैं. यहां टाइगर रिजर्व की संख्या 9 पहुंच गई है. ऐसे में टाइगर लवर्स और प्रकृति प्रेमी नए साल का जश्न टाइगर्स के बीच मनाने के लिए एमपी के टाइगर रिजर्व्स का रुख करते हैं. एक अनुमान के तौर पर मध्य प्रदेश के इन टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 1000 के करीब पहुंच गई है. ऐसे में यहां नए साल पर हजारों की तादाद में पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए भी खास इंतजाम किए जा रहे हैं. यहां टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सरकार के साथ-साथ होटल्स और रिसॉर्ट संचालक विशेष तैयारियां कर रहे हैं. इस आर्टिकल में जानें मध्यप्रदेश के ऐसे 9 टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क्स के बारे में, जहां आप बाघों के बीच कर सकते हैं नए साल का आगाज.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में न्यू ईयर 2025
उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अपने टाइगर्स के लिए देश-दुनिया में मशहूर है. यहां करीब 165 वयस्क बाघों के अलावा करीब 35 शावक भी हैं. एक अनुमान के मुताबिक बाघों की संख्या यहां 200 के करीब है. वहीं 60 से 70 हाथी भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं. यहां की जैव विविधता आकर्षण का केंद्र है. बाघों के अलावा तेंदुआ और चीतल भी काफी संख्या में यहां पाए जाते हैं. यहां पर 500 से ज्यादा प्रकार की वनस्पतियां भी मौजूद हैं. यही वजह है कि नए साल पर भी यहां पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है और इस वर्ष भी यहां नए साल के आगाज की तैयारियां जोरों पर हैं. बता दें कि यहां कोर जोन की टाइगर सफारी पूरी तरह से बुक हैं. यहां जबलपुर, कटनी, शहडोल से आसाने से पहुंचा जा सकता है.
नौरादेही टाइगर रिजर्व
अगर आप सागर, दमोह या नरसिंहपुर के आसपास रहते हैं तो न्यू ईयर 2025 के लिए नौरादेही टाइगर रिजर्व भी जा सकते हैं. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व के रूप में प्रख्यात नौरादेही टाइगर रिजर्व को एक साल पहले ही टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था. यह सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले तक फैला हुआ है. फिलहाल यहां बाघों की संख्या 19 है. बाघों के अलावा यह भारतीय भेड़ियों के प्राकृतिक आवास हैं. यहां गिद्धों के संरक्षण के लिए विशेष योजना पर कार्य हो रहा है. यहां तरह-तरह के पेड़ पौधे और वनस्पतियों के अलावा शाकाहारी जानवर और पशु पक्षी पाए जाते हैं. अन्य टाइगर रिजर्व में फुल बुकिंग चल रही है, ऐसे में आप नौरादेही में टाइगर सफारी ले सकते हैं.
कान्हा टाइगर रिजर्व में नए साल की तैयारियां
मध्यप्रदेश के मंडला और बालाघाट जिले तक फैला कान्हा टाइगर रिजर्व बांधवगढ़ के बाद सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व है. यहां 2022 की गणना में बाघों की संख्या 129 दर्ज की गई थी. यहां जबलपुर और नागपुर से बाय रोड आसानी से पहुंचा जा सकता है. बाघों के अलावा कान्हा टाइगर रिजर्व बारहसिंगा और जैव विविधता के साथ वनस्पतियों के लिए जाना जाता है. जबलपुर से महज 140 किमी की दूरी होने की वजह से पर्यटक यहां प्रकृति के बीच नए साल के जश्न के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. जंगलों के बीच बने यहां के रिसॉर्ट्स में नए साल का जश्न मनाना एक अनोखा अनुभव होता है.
पन्ना टाइगर रिजर्व
बहुमूल्य हीरों के साथ पन्ना जिला अपनी वन संपदा के लिए भी मशहूर हैं. यहां स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व में 2022 की गणना के मुताबिक 84 से ज्यादा बाघ मौजूद थे. ये टाइगर रिजर्व पन्ना और छतरपुर जिले में फैला हुआ है. यहां बाघ के अलावा गोह, भारतीय अजगर और घड़ियाल भी काफी संख्या में पाए जाते हैं. बाघों की अगली गणना 2026 में सामने आएगी. एक अनुमान के मुताबिक यहां पर बाघों की संख्या 100 के ऊपर पहुंच चुकी है. पन्ना टाइगर रिजर्व पहुंचने के लिए खजुराहो एयरपोर्ट से आसानी से पहुंचा जा सकता है.
पेंच टाइगर रिजर्व
सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में फैले हुए पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 123 है. इस टाइगर रिजर्व को मोगली लैंड के रूप में भी जाना जाता है. कहा जाता है कि नोबेल पुरस्कार विजेता इंग्लिश राइटर रुडयार्ड किपलिंग ने 'द जंगल बुक' भी इसी टाइगर रिजर्व से प्रेरित होकर लिखी थी. यहां पर बाघों के अलावा प्राकृतिक सौंदर्य के साथ देश का इकलौता लाइट एंड साउंड प्रूफ हाईवे भी बनाया गया है. बाघों के अलावा यहां दूसरे वन्य प्राणी और दुर्लभ वनस्पतियां आसानी से देखने मिल जाते हैं. ये टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है. ऐसे में यहां जबलपुर, छिंदवाड़ा और नागपुर से आसानी से पहुंचा जा सकता है.
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में न्यू ईयर 2025
सतपुड़ा पर्वतमाला में होशंगाबाद से लेकर छिंदवाड़ा जिले की सीमा तक फैले इस टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 73 के करीब है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्राकृतिक सौंदर्य के साथ सतपुड़ा की पर्वतमाला के लिए भी मशहूर है. खास बात ये है कि टाइगर रिजर्व में 10 हजार साल पुरानी रॉक पेंटिंग भी मिलती हैं. बाघों के अलावा पक्षियों और शाकाहारी जानवरों के लिए सतपाड़ा टाइगर रिजर्व मशहूर है. इस टाइगर रिजर्व से ही पचमढ़ी हिल स्टेशन लगा हुआ है, जिस वजह से नए साल पर बड़ी तादाद में यहां लोग पहुंचते हैं. यहां जबलपुर, छिंदवाड़ा, भोपाल आदि शहरों से आसान से पहुंचा जा सकता है.
संजय डुबरी टाइगर रिजर्व
सीधी जिले के संजय डुबरी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या वैसे तो महज 13 है लेकिन ये टाइगर रिजर्व व्हाइट टाइगर के लिए जाना जाता है. रीवा के महाराजा ने 1951 में सफेद बाघ को इसी जंगल में खोजा था. यहां बाघों की संख्या भले कम है लेकिन व्हाइट टाइगर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है, जो कहीं और नहीं पाया जाता है. यहां आप रीवा, सीधी, जबलपुर से आसानी से पहुंच सकते हैं.
रातापानी टाइगर रिजर्व में नए साल का जश्न
राजधानी भोपाल की सीमा पर स्थित रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने के पहले ही यहां काफी संख्या में बाघ पाए जाते थे. अब यहां बाघों की संख्या 90 के करीब है. यहां पर हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने टाइगर सफारी की शुरुआत की है. भोपाल शहर से रातापानी टाइगर रिजर्व की दूरी महज 40 किमी है. वहीं इस टाइगर रिजर्व की करीब ही कोलार डैम स्थित है. ऐसे में नए साल पर यहां पर्यटकों का हुजूम उमड़ेगा.
माधव नेशनल पार्क
शिवपुरी जिले के इस टाइगर रिजर्व में महज तीन बाघ और दो शावक हैं लेकिन कूनो में पल रहे अफ्रीकन चीतों के नजदीक इसे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किया जा रहा है. ये बाघों के अलावा चिंकारा, चौसिंगा, नीलगाय, चीतल, सांभर और हिरणों के घर के तौर पर जाना जाता है. ग्वालियर, शिवपुरी से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.
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